बारिश के मौसम के भी अलग ही किस्से हैं जहां एक तरफ गरमागरम चाय पकौड़े और भुट्टा खाने को मिलता था वहीं दूसरी तरफ स्कूल जाने में नानी याद आ जाती कई बार खतरों के खिलाड़ी बन के छाता घर पे ही भूल के स्कूल चले जाते थे पर हवा तब निकल जाती जब छुट्टी के टाइम पे जोरों से बारिश होती जब तक अपने नन्हे से दिमाग पर जोर डाल ही रहे होते थे कि अब घर कैसे जाएं तब तक पता नहीं कहां से मम्मी छाता लेकर प्रकट हो जाती मम्मा को देख के जान में जान आ जाती पूरे रास्ते में स्कूल में हुए किस्सों के बारे में बताती और मम्मी मुझे अपने आंचल में छुपा के बारिश से बचाती और हम कब घर पहुंच जाते पता भी नहीं चलता