How Doctors Confirm Death in Patients? | Hafiz Ahmed Podcast

आपकी क्योंकि न्यूरोलॉजी में स्पेशलाइजेशन है इसमें और क्या-क्या चीजें आती है दिमाग से रिलेवेंट हमारी क्या-क्या बीमारियां होती है क्या ऐसी चीजें होती है कि जो खतरनाक हो सकती है बिल्कुल जी फॉलेज है उसके अलावा मिर्गी के दौरे हैं सीजर्स है एपिलेप्सी है फिर मूवमेंट के प्रॉब्लम्स होते हैं जिस तरह पार्किंसन है फिर डिमेंशिया है जिसमें अल्जाइमर आता है तो इन सारों की कांस्टेलेशन है जी न्यूरोलॉजी काफी वसी है और एज अ न्यूरोलॉजिस्ट भी मैं हमेशा ये कहता हूं कि अल्लाह ना करे आपको न्यूरोलॉजिस्ट को देखना पड़े आमी क्योंकि यह आम बीमारियों से आई थिंक काफी हट के है कार केसेस में ही आपको जाना प जी क्रॉनिक हो जाती है कुछ एक्यूट भी होती है लेकिन क्रॉनिकली फिर आपको ये है ना कि डॉक्टर के पास बार-बार चक्कर लगाना और फिर क्वालिटी ऑफ लाइफ इफेक्ट होता है आप देखें ना दुनिया के सबसे कॉमन जो न्यूरोलॉजिकल मसला वो हेडेक है जिस बंदे को सर दर्द है वो किस तरह अपनी अपनी लाइफ को आगे लेकर चल रहा होता वो दवाइयां ही खा रहा होता है ना हर वक्त उसको डर होता है कि मैंने आज ट्रेवल करना है मैंने आज किसी से मिलने जाना है शादी प जाना है तो उसको यही स सरदर्द की व से मैं जा ना सक फिर इसकी जब क्रॉनिक फॉर्म्स आ जाती है एज के लिहाज से जिस तर ओल्ड एज में डिमेंशिया है कि आपको भूलने की बीमारी है उस पूरा लाइफ स्टाइल आपका घर का हिल जाता है क्योंकि आपने अपने वालिद की या वालिदा की बुजुर्ग की जब उनकी खिदमत करनी है तो आपको हर चीज का ध्यान रखना पड़ता है उनकी एक थोड़ा सा हट के एक चीज है बिल्कुल जी आप डॉक्टर हैं हम मुसलमान है हमारा अकीदा है जिंदगी मौत अल्ला ताला के हाथ बिल्कुल बात ठीक है बिल्कुल सेहतमंद आदमी भी अचानक चला जाता है डॉक्टर उसकी कोई रीजन नहीं डॉक्टर कहते हम को समझ नहीं आ रही लेकिन एस मेडिकल डॉक्टर मौत क्या है आप क्या देखते किस तरह के केसेस आपके पास आते हैं किस केसेस में आपको लगता है कि लोगों को हॉस्पिटल नहीं आना चाहिए उनको देखते पता चलना चाहिए ही और श डे मौत जिंदगी की वो हकीकत है जिससे अगर कोई इग्नोर करे ना तो शायद जिंदगी से ही उसकी इग्नोर है वो कहते अंग्रेजी में कहते दे टू स थ इन लाइफ डेथ एंड टैक्सेस दोनों आपने होने ही [संगीत] होनेका मैं साइंटिफिक थोड़ा लॉजिकल पले आसर देता देखि हम लोगों ने जो डेथ की सिनोनिम डेफिनेशन निकाली ब्रेन डेथ है दिमाग का मरना या दिमाग का गुजर जाना ही डेथ है उससे पहले क्लिनिकल डेथ होती है जिसमें आपके हार्ट और लंग्स काम कर करना बंद कर देते अनफॉर्चूनेटली जब केसेस आते हैं हार्ट और लंग वाले तो कई ऐसे होते हैं जो पहले ही डेथ की तरफ जा चुके होते हैं क्योंकि उनका बंद हो जाना ये बात समझने की जरूरत है कि तीन मिनट के बाद जब हार्ट और लंग्स बंद हो जाए उसके तीन मिनट के बाद दिमाग के अंदर इरिवर्सिबल डैमेज होना शुरू हो जाता है वह डैमेज जो शायद रिवर्स ना हो पाए तो आप सोचे अगर किसी का खुदान खस्ता दिल तीन मिनट से ज्यादा बंद हो चुका है तो फिर डैमेज तो शुरू हो गया ना तो घर से शुरू हो या फिर स्ट्रीट पे शुरू हो और एक और मैं आपको हाफ सा बात बताऊं स्ट्रीट पे एक स्टडी आई थी जिने कहा था कि अगर स्ट्रीट पे खुदाना आस्ता किसी को दिल का दौरा पड़ता है वो गिर जाता है और वहां डी फिब्स मौजूद नहीं है लोगों को नहीं पता उसका मोर्टालिटी रेट मरने का चांस बहुत ज्यादा है अस्पताल से पहले पहुंचने कही तो हमारे लोगों में थोड़ा सा ये शऊर जरूरी है कि इसकी प्रिवेंशन की तरफ जाए पहले तो पहले जरूरत है कि जी कि ये ब्रेन डेथ की डेफिनेशन बनी ठीक है 1950 में जब वेंटिलेटर बने थे ना और यह जो हम ऑर्गन को डोनेशन देते हैं तो तब एक उन्होने जरूरत पड़ी कि यार हम पेशेंट को तो वेंटिलेटर पर रख रहे हैं तो क्या वो जिंदा भी है कि नहीं यह एक वहां थॉट आया फिर 19 1968 में हार्वर्ड में प्रोफेसर्स बैठे और उन्होंने फिर एक डेफिनेशन निकाली मौत की वो थी इरिवर्सिबल कॉमा ठीक है एक कॉमा ऐसा जो रिवर्स हो ही नहीं सकता इस डेफिनेट बड़ी डिबेट हुई काम हुआ और अब हमवी सदी में जब हम आ गए तो हमें यह पता चला है कि इसके लिए तीन चीजें जरूरी है सबसे नंबर एक के पेशेंट कॉमा में हो और परसिस्टेंट कॉमा में हो कॉमा क्या है कि आप पेशेंट को हिला रहे हैं कर रहे हैं कि आप नाम ले रहे व कोई रिस्पांस नहीं दे रहा उसका स्लीप साइकल ही नहीं है पहली बात तोय दूसरी चीज यह है कि आपके जो ब्रेन है उसके उसके साथ एक स्टेम लगी हुई है उसके कुछ रिफ्लेक्सेस है अब जो रिफ्लेक्सेस है वो नर्व्स है जो कुछ नर्व्स है जो आपको देखने में कर रही है आंखें बंद करने में क रही है स्माइल में दे रही है वो रिफ्लेक्सेस जो है वो चले जाए 12 के 12 एक इसमें एक भी नहीं ऐसी कि जो हयात है तो आपके ब्रेन डेथ हो गई है सारी जानी जरूरी है और फिर तीसरा यह है कि आप अगर वेंटिलेटर उतारे और 10 मिनट बाद देखें गाइडलाइंस चेंज होती रहती है लेकिन तो पेशेंट जो है वो जो कार्बन डाइऑक्साइड जो हम वो निकालने में कामयाब नहीं है ये तीनों चीजें हो जाए तो तो मौत वाकी हो जाती है अच्छा इसमें ऐसा भी होता है कि वेंटिलेटर प एक पेशेंट है डॉक्टर कहते हैं जी वेंटिलेटर से अगर उतारेंगे तो डेथ हो जाएगी बकुल तो ऐसा क्या होता है कि उसको डिले वेंटिलेटर प है तो वो ऑटोमेटिक डिले हो रहा है लेकिन जैसे उतार तो डेथ हो जाएगी वो बेसिकली यही फिनोमेना अगर डॉक्टर साहब कह दे और टेस्ट करके देख ले कि ब्रेन डेथ हो गई है तो ब्रेन की जो स्टेम है उसके अंदर हमारे रेस्पिरेशन सांस लेने के सेंटर पड़े हुए हैं अगर उनकी डेथ हो जाए तो जब सेंटर ही काम नहीं कर रहा तो फिर वो नहीं है उसमें चलने की गुंजाइश ही नहीं है अब एक आम इंसान की लैंग्वेज में वेंटिलेटर क्या है वो आर्टिफिशियल लंग्स है वो आर्टिफिशियल फेफड़े हैं क्योंकि उसी ने ऑक्सीजन अंदर लेकर जा रहा है बाहर लेकर जा रहा है जो आपका जो ड्रिप्स लगी होती है वो क्या है वो बेसिकली जो हमारी खून की नालिया है उनको सुकड़ रही है खोल रही है ताकि ब्लड पंप होता रहे तो आप ये कह सकते हैं आर्टिफिशियल हार्ट और लंग ही लगा हु है हा लेकिन ब्रेन की डेथ हो चुकी है ब्रेन की डेथ है वो रिवर्सिबल है अच्छा इसके अलावा कुछ केसेस में डॉक्टर्स बता देते हैं वेंटिलेटर प नहीं है लेकिन बीमारी ऐसी है कि वो कहते इतने घंटे या इतने दिन ये सरवाइव करेगा उसके बाद इस बंदे की डेथ हो जाएगी जी कहना तो बड़ा मुश्किल होता है मैं आल बी ऑनेस्ट विद यू हम हमेशा इसीलिए कभी टाइम नहीं देते क्योंकि अगेन आपने जिस तरह कहा ना मौत तो अल्लाह के हाथ में हम टाइम नहीं देते हम अपने एक्सपीरियंस से बता सकते हैं कि पेशेंट इतनी जल्दी डिटेट कर रहा है कि हमसे कंट्रोल नहीं हो रहा हमारे पास जो एलोपैथी है दवाइयां है ये वेंटिलेटर उसमें नहीं है दूसरा ये है कि जो न्यूरोलॉजिकल डिजीज होती है खासतौर पर स्ट्रोक होता है उसमें एक बड़ी इंपॉर्टेंट चीज बात करने की है व क्वालिटी ऑफ लाइफ है पेशेंट को अगर खुदान खस्ता एक फालिज का बड़ा अटैक हो तो क्या उसकी क्वालिटी ऑफ लाइफ होग उसके बाद उसको चांसेस क्या इंफेक्शन होने की क्या अपना व ध्यान रख सकता है कि नहीं रख सकता फिजिकल थेरेपी में जाकर क्या बनेगा उसका कि नहीं बनेगा इसलिए आ बड़ा जरूरी है पाकिस्तान में भी आप आप अपनी आखरी ख्वाहिश जो है ना अपनी फैमिली से डिस्कस करें इसको विल पावर ऑफ एटर्नी कहते हैं या लिविंग विल कहते हैं क्या बात करें अपने वालदैन से उनसे बात करें कि जी खुदान खस्ता अगर इस तरह का मौका है तो आपकी क्या मर्जी है ये पूरी दुनिया में इसी तरह अमेरिका में इंग्लैंड में क्योंकि फिर आप उनकी मर्जी से काम कर रहे हैं और आप बहुत ज्यादा तकलीफ से बचा रहे हैं किसी को तकलीफ में रखना भी तो एक आइडियल सिनेरियो नहीं है ना जी तो ये लिविंग विल का कांसेप्ट हमारे जरा ज्यादा होना चाहिए इसके ड साब थैंक यू वेरी मच फॉर योर टाइम बड़ा मजा आया बड़ी मजे की डिस्कशन हुई लास्ट प कोई मैसेज यंग जनरेशन को जो कि डिप्रेशन प भी अगर थोड़ी सी इस मैसेज में बात हो जाए एंजाइटी का शिकार है डिप्रेशन का शिकार है है या नहीं है ये भी थोड़ा सा बता दें कि एजटी ऑफ डिप्रेशन है क्या और आप कोई मैसेज देना चाहे तो प्लीज बिल्कुल जी मैसेज यह है कि फेलर्स को इस तरह देखें कि एक सीढ़ी है सक्सेस की तरफ कभी भी उसकी वजह से अपने आप को डाउट ना करें वो अल्लाह ताला राय हम बर करता रहता है और उसकी वजह से एंजाइटी डिप्रेशन में जाने की जरूरत नहीं है लेकिन मैं आपको एक इंपोर्टेंट बात बता एंजाइटी और डिप्रेशन का जो डायग्नोसिस है ना वो हमेशा एक साइकेट्रिस्ट से ही दिलवाए या फिजिशियन से दिलवाए खुद अपने आप की तशी ना करें खुद से कर खुद ना करें क्योंकि फिर आप फिर दवाई ऐसी लेना शुरू कर देंगे जो हो सकता है आपको ना लेने की जरूरत पड़े और दूसरी बात यह है कि वोह आपको जरूरी नहीं कि हर दफा दवाइयों प डाले हो सकता है वो थेरेपी प डाल दे जो अगेन इट्स नॉट अ प्रॉब्लम यू शुड गो एंड टॉक हमारा जो सबकॉन्शियस माइंड है ना जी वो बड़ी चीज अपने अंदर रखता है उसको निकालने के लिए साइकेट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट की जरूरत होती है ट्रेड बनने की जरूरत होती है तो मैं तो यह कहूंगा एक स्पेशलिस्ट के पास जाए स्पेशलिस्ट से बात करें और अपनी लाइफ की चीजों को इसी तरह सीरियस ले सॉरी मेंटल हेल्थ को ऐसी सीरियस ले जि फिजिकल हेल्थ को थैंक यू वेरी मच जजक

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