MH370: What Really Happened? सच्चाई का खुलासा|Video in Hindi #MH370#AviationMystery#सच्चाई_का_खुलासा

Published: Aug 26, 2024 Duration: 00:40:52 Category: People & Blogs

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इस प्लेन में मौजूद किसी भी पैसेंजर को जरा भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह सफर उनके जिंदगी का आखिरी सफर होने वाली है क्योंकि पायलट कुछ ही समय में जानबूझकर प्लेन के नीचे मौजूद दोनों आउटफ्लो वल्व को खोल देगा जिसके वजह से प्लेन में मौजूद सारा की सारा प्रेशराइज एयर बाहर आ जाएगा और प्लेन में मौजूद 227 पैसेंजर दम घुटने के वजह से एक-एक करके मरने लगेंगे लेकिन सवाल यह उठता है कि पायलट ने ऐसा जानबूझकर क्यों किया क्या यह प्लेन हाईजैक हो गया था या फिर कुछ और ही आइए जाने दुनिया के सबसे रहस्यमय और सबसे मशहूर एविएशन मिस्ट्रीज में शामिल मलेशियन फ्लाइट 370 की दर्दनाक कहानी पु इंटरनेशनल एयरपोर्ट जहां मलेशिया एयरलाइंस द्वारा संचालित बोइंग 77 बीजिंग की अपनी यात्रा की तैयारी कर रहा था फ्लाइट 370 के कॉकपिट में दो पायलट थे इस विमान के फर्स्ट ऑफिसर फारी अब्दुल हमीद थे जिन्होंने 2007 में कैडेट पायलट के रूप में मलेशिया एयरलाइंस में शामिल हुए थे बोइंग 77 पर ट्रेनिंग शुरू करने से पहले उन्होंने मलेशियन एयरलाइन के लिए बोइंग 737 और एयरबस a330 फ्लाई किया था इस पलेन के कैप्टन 53 इयर्स ओल्ड जारी अहमद शाह थे वह 1951 में एक कैडेट पायलट के रूप में मलेशिया एयरलाइंस में शामिल हुए थे उनके पास लगभग 18000 घंटे का फ्लाइट एक्सपीरियंस था और वह देश के सबसे अनुभव पायलटों में से एक थे वह पायलटों को बोइंग 77 फ्लाई करने के लिए ट्रेनर के रूप में भी काम करते थे मलेशियन एयरलाइंस के इस फ्लाइट में 2 27 पैसेंजर और दन फ्लाइट अटेंडेंट मौजूद थे 3732 केड फॉर टेक ऑफ गुड नाइट 32 राइट क्लीयर्ड फॉर टेक ऑफ मलेज 370 थैंक यू कैप्टन जरी ने टेक ऑफ के लिए विशाल रोल्स रॉयस इंजनों को जोर से पुश किया और फिर टेक ऑन ऑफ के बाद क ल फर्स्ट ऑफिसर फरी अब्दुल हमीद को सौंप दिया जैसे ही विमान कुछ हाइट पर पहुंचा कैप्टन जारी अहमद शाह ने डिपार्चर कंट्रोल से संपर्क किया डिपार्चर मले 370 मलेशियन 370 गुड मॉर्निंग आइडेंटिफिकेशन को एक शॉर्टकट दिया था जिससे वे सीधे जा सके उनके मार्ग के आगे एक वे पॉइंट है जिसे आगार नाम से जाना जाता है यह वे पॉइंट एक असामान्य प्रकार का है यह पृथ्वी पर उन वे पॉइंट्स में से एक है जो कि कुल पांच अलग-अलग हवाई क्षेत्रों से घिरा है जैसे कि मलेशिया थाईलैंड कंबोडिया वियतनाम और सिंगापुर कुछ समय बाद डिपार्चर कंट्रोल ने फ्लाइट 370 को क्वाला लंपुर रडार कंट्रोलर को सौंप दिया 370 कांटेक्ट लपर र 26 गुड नाइट 3 च मलेज 370 गुड नाइट इसके बाद कैप्टन ने 13 26 फ्रीक्वेंसी को अपने रेडियो सेट में डायल किया और कुआ लालपुर रडार कंट्रोलर से संपर्क किया लपर कंट्रोल मले 370 मले 370 लंपर रडार गुड मॉर्निंग क्लाइम फ्लाइट लेवल 250 मॉर्निंग लेवल 250 मलेशियन 370 अब तक सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था यह एक स्पष्ट चांदनी वाली रात थी विमान अच्छी स्थिति में था और आसपास के क्षेत्र में बहुत कम ट्रैफिक था उन्हें अब एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से हाइट पर क्लाइम के लिए अंतिम मंजूरी लेनी थी मलेशियन 370 फ्लाइट लेवल 350 क्लाइम लेवल 350 मलेशियन 370 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से हाइट पर क्लाइम के लिए मंजूरी लेने के बाद विमान लगभग 35000 फीट पर पहुंच गया जब विमान 35000 फीट पर फ्लाई कर रहा था तब कैप्टन जहरी ने एसी को रिपोर्ट किया मजिन 37 मेंटे निंग लेवल 350 ओके मजिन 370 इस समय तक सब कुछ सामान्य था प्लेन के अंदर फ्लाइट अटेंडेंट उन लोगों के लिए भोजन सेवा कर रहे थे जो अभी भी जाग रहे थे हालांकि अधिकांश पैसेंजर इस समय तक सो चुके थे ए और ना पर जैसे ही फ्लाइट 370 आई गाड़ी वे पॉइंट के पास पहुंची मलेशियाई एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने क्रूज को होची मीन एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से संपर्क करने के लिए कहा क्योंकि वे जल्द ही वियतनामी हवाई क्षेत्र में प्रवेश करेंगे मलेज 370 हो मीन कंट्रोल एक टज डेसिमल ना गुड नॉट गुड नॉट मलेज 370 कोवाला लंपुर कंट्रोल को शुभ रात्रि कहने के कुछ ही सेकंड बाद कैप्टन जहरी ने फर्स्ट ऑफिसर को दोनों के लिए कॉफी लाने के लिए कहा फर्स्ट ऑफिसर के कॉकपिट से जाने के बाद कैप्टन ने कॉकपिट का दरवाजा बंद कर दिया सामान तौर पर केबिन क्रू ही कॉफी लाता है कैप्टन जहरी ने एक महीने से अधिक समय से इस रात के लिए अभ्यास किया था हर कदम हर गतिविधि की योजना अत्यंत सटीकता के साथ बनाई गई थी अब वह दुनिया के सबसे बड़े आधुनिक जेट विमानों में से एक को पृथ्वी से गायब करने की कोशिश करेगा कैप्टन ने बुलेट प्रूफ कॉकपिट दरवाजे को सुरक्षित रूप से बंद कर दिया ताकि फर्स्ट ऑफिसर अंदर ना आ सके कॉकपिट का दरवाजा बुलेट प्रूफ मटेरियल का बना होता है ताकि हाईजैकर्स को कॉकपिट में घुसने से रोका जा सके कि विमान को गायब करने में कैप्टन का पहला कदम इसे रडार से गायब करना था ऐसा करने के लिए कैप्टन को विमान के ट्रांसपोंडर को बंद करने की जरूरत थी लेकिन अगर वे इस समय ट्रांसपोंडर को बंद करेंगे तो मलेशियन एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को वार्निंग मैसेज चला जाएगा और उन्हें पता चल जाएगा कि पायलट ने इसे जानबूझकर बंद किया है इसलिए जब तक प्लेन अगार वे पॉइंट तक पहुंच नहीं जाता कैप्टन ट्रांसपोंडर को बंद नहीं करेगा क्योंकि अगवे पॉइंट तक पहुंचने के बाद प्लेन मलेशियन एयरलाइंस के कंट्रोल एरिया से बाहर हो जाएगा कुछ समय बाद अवे पॉइंट पर पहुंच गया और अपने अगले रास्ते की ओर मुड़ने लगा ठीक उसी समय कैप्टन ने ट्रांसपोंडर को बंद कर दिया जिसके वजह से प्लेन मलेशिया वियतनाम थाईलैंड और कंबोडिया के एयर ट्रैफिक कंट्रोल स्क्रीन से गायब हो गई कैप्टन ने इस प्लेन को गायब करने के लिए फर्स्ट स्टेप को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया था लेकिन मलेशियन एयरलाइंस को अभी भी पता था कि विमान हवा में ही है ऐसा इसलिए था क्योंकि इस विमान में एयरक्राफ्ट कम्युनिकेशंस एड्रेस एंड रिपोर्टिंग सिस्टम लगा था जिसे शॉर्ट फॉर्म में ए कार्स कहा जाता है जो सैटेलाइट के जरिए विमान का करंट स्थिति एयरलाइन को रिपोर्ट करता है कैप्टन को पता था कि वह वास्तव में तब तक प्लेन को गायब नहीं कर सकता है जब तक ए कार्स सिस्टम काम कर रही हैं इसलिए पायलट को इस सिस्टम को डीएक्टिवेट करने की आवश्यकता है लेकिन एक कार सिस्टम को बंद करना ट्रांसपोंडर को बंद करने जितना आसान नहीं होगा यदि वह एक आर्स को सामान्य तरीके से बंद करता है तो यह ग्राउंड पर एक संदेश भेजेगा कि इसे बंद किया जा रहा है वास्तव में कोई निशान छोड़े बिना गायब होने के लिए कप्तान को कुछ और करने की आवश्यकता होगी कैप्टन ने प्लग को सॉकेट से बाहर खींचा ताकि एक कार्स ग्राउंड में मैसेज भेजने से पहले ही बंद हो जाए ऐसा करने के लिए कैप्टन ने दोनों इंजनों के इलेक्ट्रिसिटी जनरेटर को बंद कर दिया जिसके कारण सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम सहित पूरे विमान की इलेक्ट्रिसिटी सि तुरंत कट गई इस समय यह प्लेन दक्षिण चीन सागर के ऊपर था यह वही जगह है जहां अंतिम बार इस प्लेन को देखा गया था कुछ समय बाद पायलट ने विमान की बाहरी लाइटें बंद कर दी अब यह प्लेन पूरी तरह से अदृश्य हो गई थी कैप्टन ने विमान को लोगों से सफलता पूर्वक छिपा दिया था प्लेन में सवार 240 लोगों को अभी भी यही लग रहा था कि वे चाइना की तरफ जा रहे हैं फर्स्ट ऑफिसर कॉफी बना रहा था और वह जल्द ही कॉकपिट में लौट आगा 300 फीट पर के इंसान लगभग 45 सेकंड तक कॉन्शियस रह सकता है उसके बाद वह अनकॉन्शियस हो जाएगा हर प्लेन में प्रेशराइज एयर रहता ताकि यात्री को सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो अगर कप्तान किसी तरह अपने विमान में एक छेद खोल दे तो इसमें से प्रेशराइज एयर तेजी से बाहर आ जाएगी और वह वही करता है कैप्टन विमान के नीचे मौजूद दोनों तरफ आउटफ्लो वल्व को खोल देता है जिसके कारण सारी प्रेशराइज एयरप्लेन बाहर निकल जाती है कैप्टन ने अपना ऑक्सीजन मास्क निकाला और उसे पहन लिया ताकि उसे सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो प्लेन के मौजूद दोनों आउटफ्लो वल्व के खोलने के वजह से केबिन के अंदर एक जबरदस्त चीख पुकार मच गई क्योंकि हवा तेजी से बाहर आ रही थी जो भी यात्री सो रहे थे वे शोर और एयर प्रेशर में बदलाव के कारण जाग गए ऑक्सीजन मास्क ऑटोमेटिक रूप से सीलिंग से नीचे ड्रॉप हो गया केबिन के अंदर हवा के अचानक बदलाव ने यात्रियों को सदमे में डाल दिया लेकिन इससे पहले कि यात्रियों को अपना मास्क लगाने का मौका मिले इससे पहले ही कैप्टन ने काफी तेजी से प्लेन को लेफ्ट साइड की तरफ टर्न लिया जिसके कारण प्लेन के केबिन में मौजूद फर्स्ट ऑफिसर का सिर प्लेन के कोने से हिट कर गया फर्स्ट ऑफिसर के पास ऑक्सीजन मास्क ढूंढने के लिए कुछ सेकंड्स का समय था इससे पहले कि वह बेहोश हो जाए इस समय प्लेन थाय हवाई क्षेत्र के ठीक बगल में था भले ही कैप्टन ने ट्रांसपोंडर को डीएक्टिवेट कर दिया था फिर भी एक तरीका था जिससे प्लेन का पता लगाया जा सकता था और वह तरीका था प्राइमरी रडार यह सबसे बुनियादी प्रकार का रडार है और यह रेफ रिफ्लेक्टेंस के बहुत ही सरल सिद्धांत पर काम करता है जमीन पर मौजूद रडार डिश सिग्नल भेजता है जो विमानों और पक्षियों के झुंड सहित हवा में मौजूद किसी भी वस्तु से टकराता है और रडार डिश पर वापस रिफ्लेक्ट होता है क्योंकि यह सिर्फ रेडियो तरंगों को बाउंस करके काम करता है इसलिए इस रडार का उपयोग करके केवल यह पता लगाया जा सकता है कि कोई वस्तु कहां है लेकिन इस रडार का यूज करके यह नहीं पता चल सकता है कि वह क्या चीज है और कितनी ऊंचाई पर है यदि थाईलैंड की सेना ने अपने हवाई क्षेत्र में किसी अज्ञात लक्ष्य को स्पॉट किया तो वे लड़ाकू विमानों को यह जांचने के लिए भेज सकते हैं कि यह रहस्यमय घुसपैठिया कौन है लेकिन कैप्टन ने थाईलैंड की सेना से प्लेन को सफलता पूर्वक बचा लिया प्लेन अब विपरीत दिशा में वापस मलेशिया की ओर जा रहा था कैप्टन के मिशन का पहला भाग पूरा हो गया था लेकिन पायलट के सामने एक और चुनौती थी अब कैप्टन को उसे मलेशियाई पनिशर को वापस पार करना होगा वह भी मलेशियाई या थाई एयरफोर्स द्वारा रोके बिना यात्रियों ने केबिन क्रू के निर्देशों के अनुसार अपने ऑन सीजन मास्क लगा रखे थे केबिन क्रू ने उन्हें बताया कि प्लेन में तेजी से डीकंप्रेशन हुआ है और वे जल्द ही सांस लेने योग्य ऊंचाई पर उतरेंगे फर्स्ट ऑफिसर को पता था कि किसी भी डिप्रेशराइजेशन चेकलिस्ट में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि प्लेन में डीकंप्रेशन होने पर पायलटों को टर्न ले लेना चाहिए जबकि प्लेन में डीकंप्रेशन होने के तुरंत बाद उनकी पहली प्राथमिकता विमान को ऑक्सीजन मास्क के साथ ऐसी ऊंचाई पर ले जाना है जहां हवा सांस लेने योग्य हो फर्स्ट ऑफिसर को पता था कि जो कुछ भी हो रहा है वह बहुत अजीब है फर्स्ट ऑफिसर इस आपातकालीन स्थिति में कैप्टन की मदद करने के लिए कॉकपिट में लौटने के लिए तैयार थे लेकिन कॉकपिट दरवाजे के दूसरी तरफ कप्तान के पास कुछ और ही योजना थी यात्रियों के पास मौजूद ऑक्सीजन मास्क उन्हें 20 मिनट तक ऑक्सीजन प्रदान कर सकते थे ताकि पायलटों को सुरक्षित ऊंचाई पर उतरने के लिए पर्याप्त समय मिल सके इस प्रोसेस को करने में आमतौर पर लगभग 10 मिनट लगते हैं लेकिन कैप्टन ने प्लेन में डीकंप्रेशन होने के बावजूद प्लेन को नीचे नहीं उतारा यात्रियों के ऑक्सीजन मास्क में मौजूद ऑक्सीजन काफी तेजी से खत्म हो रहा था फर्स्ट ऑफिसर केबिन के पास पहुंचे उनका दिल तेजी से धड़क रहा था उन्होंने विमान में मौजूद पोर्टेबल ऑक्सीजन की बोतलों से ऑक्सीजन को इस्तेमाल कर रहे थे यात्रियों के पास मौजूद ऑक्सीजन मास्क के विपरीत इंपोर्टेबल ऑक्सीजन बोतलों में लगभग दो गुनी ऑक्सीजन थी फर्स्ट ऑफिसर ने कॉकपिट में प्रवेश पाने के लिए हैंडसेट उठाया और कोड डायल किया कॉकपिट में मौजूद कैप्टन के सेंट्रल स्क्रीन पर केबिन कॉल नाम से संदेश डिस्प्ले हुआ यदि कैप्टन जहरी दरवाजा खोलना चाहते तो उन्हें बस पेडेस्टल पर स्विच को ऑटो पोजीशन से अनलॉक स्थिति पर घुमाना होगा जिसके कारण दरवाजा अनलॉक हो जाएगा और दरवाजे के बाहर मौजूद एंट्री की पैड पर लाइट ग्रीन हो जाएगा फर्स्ट ऑफिसर ने इंतजार किया लेकिन एंट्री की पैड पर लाइट लगातार लाल चमक रही थी जिसका मतलब था कि कैप्टन ने कॉकपिट का दरवाजा खोलने के लिए रिक्वेस्ट को डिनायर दिया था फर्स्ट ऑफिसर ने अनुमान लगाया कि कैप्टन सायद में आए आपात स्थिति को हैंडल करने में बिजी होंगे इसलिए फर्स्ट ऑफिसर ने कुछ समय इंतजार किया और फिर से कोशिश किया लेकिन कैप्टन ने फिर से इस रिक्वेस्ट को नजरअंदाज कर दिया इस मिशन में कैप्टन का योजना था ई हवाई क्षेत्र और मलेशियन हवाई क्षेत्र के बीच की सीमा को पार करने की थी जब मलेशियाई सेना ने विमान को रडार पर देखा तो उन्होंने मान लिया कि इसे थाई कंट्रोलर्स द्वारा कंट्रोल किया जा रहा था और इसी तरह जब थाई सेना ने विमान को देखा तो उन्होंने मान लिया कि इसे मल मलेशियाई कंट्रोलर्स द्वारा कंट्रोल किया जा रहा था और कैप्टन जहरी ने अनुमान लगाया कि भले ही कंट्रोलर्स इस प्लेन को देख ले तो भी वे सोचेंगे कि मलेशियन फ्लाइट 370 किसी आपातकालीन कारण के वजह से एयरपोर्ट पर वापसी कर रहा है फर्स्ट ऑफिसर के मन में एक विचार आया कि हो सकता है कि कैप्टन अचानक हुए प्लेन में डीकंप्रेशन के कारण बेहोश हो गए हो फर्स्ट ऑफिसर को कॉकपिट के अंदर वापस जाने की जरूरत थी और इसके लिए फर्स्ट ऑफिसर के पास एक आखिरी विकल्प था कि वे एक इमरजेंसी कोट को डायल करके कॉकपिट का दरवाजा खोल दें इस कोट का इस्तेमाल तब किया जाता है जब प्लेन में कोई इमरजेंसी आ जाता है तब केबिन क्रूज इस कोट को डालकर कॉकपिट में जा सके लेकिन अगर कॉकपिट में मौजूद पायलट इस रिक्वेस्ट को 30 सेकंड के अंदर डिनायर देते हैं तब वे कॉकपिट में एंटर नहीं कर पाएंगे लेकिन अगर पायलट 30 सेकंड के बाद जवाब नहीं देते हैं तो दरवाजा ऑटोमेटिक खुल जाता है इस आपातकालीन कोर्ट का उपयोग हाईजैकर्स द्वारा कॉकपिट में प्रवेश पाने के लिए आसानी से किया जा सकता है इसलिए कॉकपिट में हाईजैकर्स को जाने से रोकने के लिए पायलटों के पास कोड दर्ज होने के 30 सेकंड के भीतर दरवाजे के स्विच को डिनाइल्स तरीके से इस कोट के जरिए केबिन क्रूज को पायलट के अनकॉन्शियस होने की स्थिति में कॉकपिट में प्रवेश करने की अनुमति देता है फर्स्ट ऑफिसर ने कीपैड पर कोड डाला जिसके कारण कॉकपिट में एक तेज अलार्म बजने लगा फर्स्ट ऑफिसर काफी उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे 10 सेकंड बीत गए फिर 20 सेकंड लेकिन कीपैड की रोशनी लाल ही जलती रही फर्स्ट ऑफिसर ने इस इमरजेंसी कोर्ट को एक बार फिर से एंटर किया फिर भी 30 सेकंड के बाद लाइट लाल ही जलती रही इसका केवल एक ही मतलब हो सकता है कि कॉकपिट दरवाजे के दूसरी तरफ कैप्टन ने डोर ओपन अलार्म को सुना था और इस रिक्वेस्ट को फिर से डिनायर दिया था अब से लगभग 5 मिनट बाद यात्री के ऑक्सीजन मास्क में मौजूद ऑक्सीजन खत्म होने लगेंगे और ऐसा होने पर प्लेन में मौजूद सभी यात्री हाइपोक्लोरमिक क्रूज ऑक्सीजन की कमी से अनकॉन्शियस हो जाए क्योंकि अब प्लेन का आउटफ्लो वल्व खोले हुए 15 मिनट हो गए थे और अब से 5 मिनट बाद ऑक्सीजन मास्क में मौजूद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगा कॉकपिट में नीचे की तरफ दो बड़े टैंक होती है जिसमें दो पायलटों के लिए 13 घंटे या एक पायलट के लिए 27 घंटे के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन थी कॉकपिट के नीचे मौजूद इन टैंकों को हर साल टॉप अप किया जाता है और सौभाग्य से विमान के रवाना होने से ठीक पहले उसी शाम इन टैंक्स में मैं ऑक्सीजन टॉप अप किया गया था फर्स्ट ऑफिसर ने कई बार कोड एंटर किया पर लाइट लाल ही जलती रही मेन एयर ट्रैफिक कंट्रोल की चिंता बढ़ रही थी क्योंकि फ्लाइट 370 अभी भी रडार पर नहीं आई थी लेकिन लापता विमान को कॉल करने के बार-बार प्रयासों के बाद भी चुप्पी के अलावा कुछ नहीं मिला क्ला लंपर के कंट्रोलर्स ने रेडियो पर फ्लाइट 370 को कॉल करना शुरू कर दिया लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ फ्लाइट 370 टेक ऑफ के 20 मिनट बाद ही रेडर से पूरी तरीके से गायब हो गया था जब किसी विमान को संपर्क बनाने में 5 मिनट से अधिक समय लगता है तब कंट्रोलर्स को रिपोर्ट करना होता है पायलट अब अपनी योजना के अगले चरण अब अंजाम देगा या यों के ऑक्सीजन मास्क में मौजूद ऑक्सीजन धीरे-धीरे खत्म होने लगा है अब से कुछ ही मिनट बाद सभी 237 यात्री बेहोश हो जाएंगे और यदि जल्द ही प्लेन को नीचे नहीं लाया गया तो सारे के सारे पैसेंजर मौत के मुंह में समा जाएंगे फर्स्ट ऑफिसर की हताशा बढ़ती जा रही थी कॉकपिट में वापस जाने की उनकी कोई भी कोशिश का काम नहीं कर रही थी उन्हें पता था कि इस ऊंचाई पर उनके मोबाइल फोन में कोई सिग्नल नहीं होगा फर्स्ट ऑफिसर ने सोचा कि अगर वह किसी तरह एयरलाइन तक यह मैसेज पहुंचा दे तो कोई उनकी मदद कर सकता है फर्स्ट ऑफिसर के पास मौजूद ऑक्सीजन बोतल में लगभग 20 मिनट की ऑक्सीजन थी लेकिन जैसे ही वह केबिन के माध्यम से सीट की तरफ जा रहे थे उन्हें चक्कर आना शुरू हो गया था भले ही उनका मास्क 100% ऑक्सीजन प्रदान कर रहा था लेकिन इस ऑक्सीजन टैंक को लंबे समय तक हाई एल्टीट्यूड पर उपयोग करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था जबकि कैप्टन ने एक पूरा चेहरा वाला ऑक्सीजन मास्क पहना हुआ था जिसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया था जबकि कैप्टन ने एक पूरा चेहरा वाला ऑक्सीजन मास्क पहना हुआ था जिसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया था कैप्टन सीसीटीवी के माध्यम से फर्स्ट ऑफिसर को धीरे-धीरे दरवाजे से दूर मुख्य केबिन में वापस जाते हुए देख सकता था कैप्टन अब अपनी योजना में अगले महत्त्वपूर्ण कदम पर पहुंच गया था उसके आगे सुमात्रा का इंडोनेशियाई द्वीप था कैप्टन को इंडोनेशियाई हवाई क्षेत्र से पूरी तरह बचना होगा इसलिए अपनी योजना के अगले भाग के लिए उसे दाई ओर मुड़ना होगा और और सीधे मलक्का के लिए फ्लाइट भरना होगा प्लेन तब तक मलेशियाई एयरस्पेस के अंदर ही रहेगा जब तक कि वह प्राइमरी राडार की सीमा से बाहर नहीं निकल जाता उसके ठीक नीचे उसके दाहिनी ओर पनांग द्वीप था कैप्टन इस द्वीप में रहता था और अब वह आखिरी बार उसके ऊपर से उड़ान भरेगा विमान दाई ओर धीमी गति से घूमना शुरू कर दिया फर्स्ट ऑफिसर ने अपना मोबाइल फोन खिड़की के सामने रखा और कॉल करने की कोशिश की लेकिन फोन का उपयोग करने का उनका प्रयास असफल साबित हुआ क्योंकि कैप्टन द्वारा सेटेलाइट के के की निकेशन सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया गया था फर्स्ट ऑफिसर ने जब खिड़की से बाहर देखा तब वे पिनांग द्वीप के ऊपर मौजूद थे पिट छोड़ने के बाद यह पहली बार था कि उन्हें इस बात का स्पष्ट अंदाजा हुआ कि विमान कहां है आमतौर पर जिस गति और ऊंचाई पर विमान फ्लाई करते हैं उस पर मोबाइल फोन को सिग्नल नहीं मिल पाता है लेकिन विमान के एक मोड पर होने से सेल टॉवर से फोन की दूरी लगभग कुछ सेकंड के लिए स्थिर रहती है फर्स्ट ऑफिसर का आई फ पिनांग में ग्राउंड स्टेशन से जुड़ा हुआ था लेकिन जैसे ही फर्स्ट ऑफिसर ने कॉल कर की कोशिश किया वैसे ही फोन का सिग्नल गायब हो गया कैप्टन का मिशन अब भी खत्म नहीं हुआ था कैप्टन लड़ाकू विमानों द्वारा रोके बिना मलेशियन प्रायद्वीप को पार करने में कामयाब रहा लेकिन उसके सामने अभी भी एक महत्वपूर्ण चुनौती थी क्योंकि मलेशिया एयरलाइंस को अब पता चला चुका था कि फ्लाइट में कुछ गड़बड़ है लंपुर रडार कंट्रोल पर ड्यूटी पर मौजूद सुपरवाइजर ने मलेशिया एयरलाइंस डिस्पैच सेंटर को टेलीफोन करके बताया कि होमन कंट्रोल सेंटर फ्लाइट 370 से संपर्क करने या इसे रडार पर देखने में असमर्थ है मलेशिया एयरलाइंस के डिस्पैच ने प्लेन का पता लगाने के लिए एयरलाइंस के ऑनलाइन फ्लाइट ट्रैकिंग सिस्टम की जांच की मैप में फ्लाइट 370 कंबोडिया हवाई क्षेत्र में दिख रहा था वास्तव में फ्लाइट 370 कंबोडिया के आसपास कहीं नहीं थी कंट्रोलर को यह नहीं पता था कि इस फ्लाइट ट्रैकिंग सिस्टम ने ने अपनी स्थिति को अपडेट करने के लिए विमान से लाइव जानकारी का उपयोग नहीं किया था बल्कि यह केवल इसका अनुमान लगाया था कि भविष्य में प्लेन कंबोडिया के पास मौजूद होगी जबकि इस समय विमान मलेशियाई हवाई क्षेत्र में मौजूद था और प्लेन अब सीधे मलका की ओर बढ़ रहा था मलेशिया एयरलाइंस के ट्रैफिक कंट्रोलर डिस्पैच ने कॉकपिट प्रिंटर को एक टेक्स्ट मैसेज भेजा जिसमें पायलटों से तुरंत इमिन कंट्रोल से संपर्क करने के लिए कहा गया लेकिन यह संदेश फ्लाइट 370 की कॉकपिट तक नहीं पहुंचा क्योंकि कैप्टन ने कम्युनिकेशन के सारे माध्यमों को रोक दिया था कैप्टन ने ऐसा इसलिए किया था ताकि विमान की स्थिति के बारे में एक भी सुराग एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को या मलेशिया एयरलाइंस को ना मिल सके कैप्टन अच्छी तरीके से जानता था कि मलेशियाई राज्य के दाह में एक प्राइमरी रडार स्टेशन है और वह यह भी जानता था कि इस रडार कीी सीमा लगभग 370 किमी तक थी इस रडार की सीमा के अंदर बिताए गए हर सेकंड उसी से खोजे जाने का जोखिम था मिशन के इस हिस्से के लिए कैप्टन का प्लान यह था कि रात के समय कई कमर्शियल विमान कुआला लंपुर और यूरोप के बीच अपने रास्ते पर सीधे मलाका के ऊपर और नीचे फ्लाई करते हैं अगर उस रात कंट्रोलर रडार को देखता भी तो फ्लाइट 370 रडार में केवल एक अतिरिक्त डॉट की तरह दिखाई देता जो मलाका की तरफ आगे बढ़ रहा था प्लेन के पैसेंजर केबिन में अब एक भयानक सन्नाटा छा गया था विमान को डिप्रेशराइजेशन का कंप्यूटर कक्ष जिसे एबे के नाम से जाना जाता है वह बहुत गर्म हो रहा था इसके कूलिंग पंखे उन चीजों में से एक थे जिनकी बिजली तब खत्म हो गई थी जब मेन इलेक्ट्रिसिटी जनरेटर बंद हो गए थे फ्लाइट 370 प्राइमरी रडार के किनारे के करीब थी इस रडार को पार करने के बाद कैप्टन जरी पूरी तरह से बाहरी दुनिया से अदृश्य हो जाएगा मलेशिया एयरलाइंस के ऑपरेशन ने लंपुर रडार कंट्रोलर को बताया था कि फ्लाइट 370 कंबोडिया हवाई क्षेत्र में था लेकिन जैसा कि वियतनामी कंट्रोलर ने पुष्टि की थी कि फ्लाइट 370 को कंबोडिया हवाई क्षेत्र में प्रवेश ही नहीं करना था जबकि इसे वियतनाम के ऊपर से उड़ना था रडार पर फ्लाइट 370 दिखाई नहीं दे रही थी तो सवाल यह उठता है कि आखिर फ्लाइट कहां थी क्या यह कंबोडिया या वियतनाम के ऊपर थी यह किसी को नहीं मालूम था कैप्टन ने अपने सीसीटीवी डिस्प्ले पर देखा कि फर्स्ट ऑफिसर कॉकपिट के दरवाजे के सामने मर पड़ा था यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई प्लेन में जिंदा है कि नहीं उसने माइक्रोफोन उठाया और इंटरकॉम पर कॉल किया और किसी को कॉकपिट में आकर उसकी मदद करने के लिए कहा उसने सीसीटीवी डिस्प्ले को ध्यान से देखा लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया अब कैप्टन को पता चल चुका था कि प्लेन में उसके अलावा कोई भी जीवित नहीं है रात में दो प2 पर फ्लाइट 370 रडार से बाहर निकल गई विमान में सवार 200 से अधिक लोग मर चुके थे लेकिन अभी भी केवल मलेशियन एयरलाइंस के कुछ ही लोगों को यह पता था कि विमान लापता हो गया है यह कंफर्म करने के बाद कि प्लेन में कोई भी जिंदा नहीं बचा है उसने इलेक्ट्रिकल सप्लाई को दोबारा से चालू कर दिया जिसके कारण कई सारे बंद पड़े सिस्टम अब चालू हो गए थे कूलिंग फैंस ने गर्म कंप्यूटरों को ठंडा करना शुरू कर दिया कैप्टन ने सफलता पूर्वक इस असंभव से दिखने वाले कार्य को काफी चतुराई के साथ पूरा कर दिया था अब विमान पूरी तरीके से गायब हो चुका था इसका बाहरी दुनिया से कोई भी राबता नहीं था कैप्टन को पता था कि आने वाले दिनों और हफ्तों में यह संभव था कि इन्वेस्टिगेटर्स प्राइमरी रडार की टेप रिकॉर्डिंग की रिव्यू करेंगे और उन्हें पता चल जाएगा कि विमान आगार वे पॉइंट से घूमकर सीधे इंडोने स्टेट मलक्का की ओर फ्लाई किया था कैप्टन यह बात जानता था इसीलिए वह प्लेन को सीधे इंडियन ओशन की तरफ मोड़ लिया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि इन्वेस्टिगेटर्स को इस मिस्ट्री के बारे में कोई क्लू मिल सके प्लेन के रूट को देखते हुए सारे इन्वेस्टिगेटर प्लेन को अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी के आसपास खोजे अगर वे किसी तरीके से पता भी कर लेते हैं कि प्लेन हिंद महासागर की तरफ गया है तो भी वे उसे ढूंढ नहीं पाएंगे क्योंकि हिंद महासागर बहुत ह्यूज है अभी भी प्लेन में लगभग 6 घंटे तक फ्लाई करने के लिए फ्यूल बचा है कैप्टन प्लेन को हिंद महासागर के काफी अंदर ले जाना चाहता था ताकि कभी भी इन्वेस्टिगेटर को इस प्लेन के बारे में कोई सुराग ना मिल सके जब कैप्टन ने सुबह दो पामस ट पर पावर सप्लाई को चालू किया तब पावर सप्लाई पाते ही सटकम रिव्यू हो गया और सटकम का एक यूनिट जिसे स्टेट लाइक डाटा यूनिट ऑफ सैटेलाइट नेटवर्क पर लॉग ऑन करना चाहता था यह लॉग ऑन अनुरोध इस बात का प्रमाण था कि विमान अभी भी हवा में था इसका मतलब यह था कि कैप्टन जारी की यह धारणा पूरी तरह से गलत थी कि वह पूरी तरह से गायब हो गया है हालांकि इस मैसेज में एक छोटी सी जानकारी छिपी हुई थी जो एक सप्ताह के बाद दुनिया को चौका देगी एक सप्ताह बाद जब इन मार्सेट कंपनी का एक इंजीनियर ने इस मैसेज को गौर से देखा तो उसे पता चला कि विमान द्वारा भेजे गए मैसेज में टाइम रिकॉर्ड हो गया था और सैटेलाइट पर मैसेज रिसीव होने के बाद भी टाइम रिकॉर्ड हुआ था कि मैसेज कब सैटेलाइट पर रिसीव हुआ है जिससे यह पता लगाया जा सकता था कि सैटेलाइट और प्लेन के बीच कितनी दूरी है हालांकि इंजीनियर को यह नहीं पता था कि प्लेन का स्पीड उस समय कितना था और प्लेन किस डायरेक्शन में मौजूद है लेकिन यह जरूर पता लगाया जा सकता था कि मैसेज को प्लेन से सैटेलाइट तक आने में कितना देरी लगा है इन दो समय को कंपेयर कर के यह निर्धारित करना संभव था कि सिग्नल भेजते समय विमान सैटेलाइट से कितनी दूर मौजूद था इंजीनियर ने सिंपल फिजिक्स का यूज करके इस जवाब को पा लिया कि 8 मार्च की सुबह दो बट पर फ्लाइट 370 इस रिंग पर मौजूद था ना कि रिंग के अंदर लेकिन यह नहीं पता चल सका कि प्लेन इस रिंग पर कहां मौजूद था क्योंकि इस रिंग का हर एक हिस्सा सेटेलाइट से इक्वल दूरी पर था इसका मतलब यह था कि प्लेन कहीं भी इस रिंग के ऊपर हो सकता था लेकिन प्राइमरी रडार पर विमान की लास्ट पोजीशन केवल 3 मिनट पहले यहां पर थी तो इस हिसाब से प्लेन केवल 3 मिनट में इस आर्क पर ही मौजूद हो सकती है क्योंकि इतने कम समय में प्लेन अफ्रीका भारत या दक्षिण की तरफ नहीं जा सकती है और इस तरह से यह पता चल गया कि प्लेन इस आर्क पर ही मौजूद था और जब भी सैटेलाइट प्लेन को मैसेज भेजेगा तब हर घंटे एक नया रिंग और उसके लिए एक नया आर्क बनेगा इन नियमित आदान प्रदान को हैंड शेक के रूप में जाना जाता है कवाला लंपुर में मलेशिया एयरलाइंस के कंट्रोल सेंटर की चिंता बढ़ती जा रही थी किसी विमान का इतनी देर तक संपर्क से बाहर रहना ऐसा कभी नहीं हुआ था सुबह के दो च पर कंट्रोलर ने विमान को एक संदेश भेजा लेकिन यह संदेश फ्लाइट 370 तक पहुंच ही नहीं पाया क्योंकि कैप्टन ने कम्युनिकेशन के सारे माध्यमों को बंद कर रखा था कुछ समय बाद मलेशिया एयरलाइन के कंट्रोलर ने विमान को सेट कॉम पर फोन करने का फैसला किया लेकिन फोन के लगातार बजने के बावजूद कैप्टन ने कॉल को रिसीव नहीं किया अभी भी मलेशिया एयरलाइंस को प्लेन के लोकेशन के बारे में कुछ भी नहीं पता चला था मलेशिया एयरलाइंस को यह एहसास होने में एक और घंटा लगेगा कि उन्हें जो स्थिति अपडेट मिल रही है वे बस विमान के अनुमानित पद से थे मलेशिया एयरलाइंस ने फिर एक और संदेश भेजा और एक मिनट बाद दूसरा लेकिन हर बार की तरह इस बार भी संदेश प्राप्त नहीं हुआ मलेशियाई सेना एक घंटे से अधिक समय तक फ्लाइट 370 की पहचान करने में विफल रही और फ्लाइट 37 अंध अधेरे की आड़ में सीधे मलेशियाई हवाई क्षेत्र से होकर गुजर गया कैप्टन अब अपना अंतिम रुख दक्षिण की ओर करेंगे कैप्टन जानता था कि जब तक विमान का मलबा खोजा नहीं जाता तब तक हमेशा लोगों में यह संदेह की छाया बनी रहेगी कि विमान के लापता होने का कारण क्या था कुछ लोग कहेंगे कि उस रात बिजली की विफलता या प्लेन में तेजी से डीकंप्रेशन होने के कारण फ्लाइट 370 लापता हो गया लेकिन इन सारी बातों में मेन बड़े पैमाने पर खामियां थी अगर प्लेन में सच में बिजली की इतनी बड़ी विफलता हुई थी जिसके कारण पायलट अनकॉन्शियस हो गए तो फिर सैटेलाइट डाटा यूनिट इनक्टो होने के एक घंटे बाद ऑनलाइन वापस कैसे आ गई और उसके बाद घंटों तक काम कैसे करती रही आमतौर पर जब प्लेन में इलेक्ट्रिकल फेलियर हो जाती हैं तो वे कुछ समय बाद अपने आप सही नहीं होती हैं जो कोई भी यह मानता है कि फ्लाइट 370 का गायब होना एक दुर्घटना थी उसे इस तथ्य पर भी विचार करना होगा कि विमान की समस्याएं ठीक उसी समय शुरू हुई जब प्लेन मलेशियाई और वियतनामी हवाई क्षेत्र के बीच मौजूद था कुछ लोग यह भी कहेंगे कि विमान को हाईजैक कर लिया गया था लेकिन जिस हिसाब से हर एक स्टेप को जितनी सावधानी और चतुराई के साथ अंजाम दिया जा रहा था वह किसी हाईजैकर द्वारा करना लगभग असंभव था क्योंकि जिस तरीके से इस प्लान को अंजाम दिया जा रहा था वे स्पष्ट रूप से ठीक-ठीक जानते थे कि ना केवल ट्रांसपोंडर बल्कि सटकम और कार्स को भी कैसे और कब बंद करना है यह काम कोई नौसिखिया नहीं कर सकता था अगर आपको अभी भी लगता है कि यह प्लेन हाईजैक हो गया था तो आप गलत है क्योंकि अगर हाईजैकर्स द्वारा इस प्लेन को हाईजैक किया गया होता तो वह सेट कॉम कम्युनिकेशन को दोबारा चालू नहीं करते और वह कुछ ना कुछ हाई जैकिंग के बदले अपना डिमांड रखते लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ अगर आपको लगता है कि इस मिस्ट्री के पीछे किसी आतंकवादी समूह का हाथ था तो वह विमान के लापता होने के बाद जिम्मेदारी जरूर लेता लेकिन यह अबब होने के न साल बाद भी इस मिस्ट्री के पीछे किसी आतंकवादी समूह का कोई सुराग नहीं मिला है अगर किसी हाईजैकर ने इस प्लेन को हाईजैक नहीं किया और ना ही किसी टेररिस्ट ग्रुप द्वारा इस प्लान को अंजाम दिया गया था तो आखिर पायलट ने जानबूझकर ऐसा क्यों किया कुछ लोगों का यह तक कहना है कि इस प्लेन को रिमोट कंट्रोल के माध्यम से हाईजैक कर लिया गया था या फिर यह प्लेन हमेशा हमेशा के लिए ब्लैक होल में समा गया था जो लोग मानते हैं कि यह महज एक दुर्घटना थी उन्हें मैं बता दूं कि इस प्लेन के गायब होने के ठीक एक महीने पहले ही कैप्टन जहार ने अपने होम फ्लाइट सिमुलेटर पर इस रूट का प्रैक्टिस किया था कि उन्हें प्लेन को कितनी ऊंचाई पर ले जाना है और कैसे मलेशिया और थाई एयरफोर्स से प्लेन को बचाते हुए हिंद महासागर यानी कि इंडियन ओशियन के काफी अंदर ले जाकर हमेशा हमेशा के लिए इस प्लेन को हिंद महासागर की गहराई में डूबे देना है कैप्टन के घर से मिले होम फ्लाइट सिमुलेटर में इस रूट को उसी तारीख को डालकर प्रैक्टिस किया गया था जिस दिन पायलट को मलेशियन फ्लाइट 370 को ले लेकर बीजिंग जाना था यह पायलट द्वारा एक दिन पहले कैप्टन जारी ने अपने कंप्यूटर से अपना फ्लाइट सिमुलेटर हटा दिया और उस ड्राइव को भी डिस्कनेक्ट कर दिया जिस पर वह गेम स्टोर थी मलेशियन एयरलाइंस ने सटकम फोन पर फ्लाइट 370 को कॉल किया लेकिन पायलट ने इस कॉल का कोई जवाब नहीं दिया अभी भी मलेशिया एयरलाइंस को प्लेन का लोकेशन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी एयरलाइंस ने अंततः लंपुर कंट्रोल को बताया कि फ्लाइट थ 70 के लिए वे जो स्थिति की जानकारी देख रहे हैं वह वास्तव में अनुमानित स्थिति पर आधारित थी ना कि वास्तविक स्थिति पर कंट्रोलर्स ने सोचा कि हो सकता है कि विमान अपने फ्लाइंग रूट पर ही मौजूद हो और यह सारी चीजें कम्युनिकेशन फेलियर की वजह से हो रहा हो कंट्रोलर्स ने चीनी एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करना शुरू कर दिया क्योंकि इस पॉइंट तक विमान को उनके हवाई क्षेत्र में होना चाहिए था यदि फ्लाइट समय पर चल रही थी तो उसे अब तक बीजिंग पहुंच जाना चाहिए था 3 घंटे से भी कम समय में प्लेन हिंद महासागर के अंदर सैकड़ों मील की दूरी तय कर चुका था कैप्टन जितनी ऊंचाई पर प्लेन को फ्लाई करेगा उतना ज्यादा दूरी को वह कम फ्यूल में कवर कर सकेगा कैप्टन जानता था कि यदि वह समुद्र के बीच में काफी अंदर तक दुर्घटना ग्रस्त हो गया तो इन्वेस्टिगेटर को कभी भी मलबा नहीं मिलेगा और प्लेन के मलबे को तटों तक आने में कई महीने या फिर साल भी लग सकता है अगर जांचकर्ताओं इसका पता लगा लेंगे तो भी जांचकर्ताओं को कभी भी यह नहीं पता चल सकेगा कि प्लेन के साथ आखिर क्या हुआ था इस समय कैप्टन जारी इस ग्रह पर सबसे आइसोलेटेड आदमी में से एक था उसके पास पास से मिलो दूर तक कोई भी मानव जीवन नहीं था कोई द्वीप नहीं कोई विमान नहीं और कोई नावे नहीं थी हालांकि उसके विमान में अभी भी कई घंटों का ईंधन बचा हुआ था इस मिशन को कैप्टन ने वैसे ही अंजाम दिया जैसे उन्होंने हफ्तों तक फ्लाइट सिमुलेटर पर अभ्यास किया था कैप्टन ने प्लेन को ऑटोपायलट मोड पर सेट कर दिया और अपना ऑक्सीजन मास्क जानबूझकर हटा दिया जिसके कारण कुछ ही सेकंड्स के अंदर पायलट को ऑक्सीजन ना मिलने के कारण मौत हो गई अब यह प्लेन 12000 फीट की ऊंचाई पर ऑटोपायलट मोड पर फ्लाई कर रहा था इस प्लेन में सवार सारे की सारे लोगों की मौत हो चुकी थी फ्लाइट 37 अब एक भूतिया विमान बन गया था बीजिंग में सुबह हो चुकी थी और कंट्रोलर उम्मीद कर रहे थे कि मलेशियन फ्लाइट 370 लैंड करेगा लेकिन मलेशियन फ्लाइट 370 दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा था अपने प्रियजनों के आने की प्रतीक्षा कर रहे परिवारों को बताया गया कि मलेशियन फ्लाइट 370 आज देरी से है इस समय तक साउथ चाइना में खोज और बचाव प्रयास शुरू हो गए था मलेशियन फ्लाइट 370 से घंटों तक कोई संपर्क नहीं हुआ था इसलिए बचाव कर्मियों को डर था कि कहीं प्लेन क्रैश ना हो गया हो इस समय विमान अभी भी हवा में ही था वह दक्षिण में हजारों मील दूर था और उसमें सवार सभी लोग पहले ही मर चुके थे मलेशिया एयरलाइंस के संचालन केंद्र ने फ्लाइट 370 के कॉकपिट में एक और सेट कॉम कॉल किया लेकिन दुर्भाग्यवश अब प्लेन में कोई भी इस कॉल को सुनने के लिए मौजूद नहीं था 999 मार्च को सुबह 7 बजे मलेशिया एयरलाइंस ने एक प्र बयान जारी किया और डिक्लेयर किया कि विमान लापता है और वे विमान को ढूंढने के लिए खोज और बचाव अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं अब जाकर दुनिया को पता चला कि मलेशियाई एयरलाइंस की फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जो किसी को नहीं पता था व यह था कि विमान अभी भी हवा में मौजूद था और ऑटोपायलट मोड पर दक्षिण की ओर जा रहा था सुबह-सुबह सूरज की किरणें खाली विमान की खिड़कियों पर चमक रही थी और अभी भी प्लेन साउथ की ओर काफी तेज तेजी से आगे बढ़ रहा था सुबह 8 बजे प्लेन के दाए ओर के इंजन में ईंधन खत्म हो गया क्षतिपूर्ति करने के लिए बाई ओर का इंजन पूरी शक्ति से चालू हो गया जिसके कारण प्लेन एक तरफ झुक गया ऑटोपायलट और ऑटो थ्रोटल सिस्टम ऑटोमेटिक डिस्कनेक्ट हो गया जिसके कारण विमान धीमा होने लगा और नीचे उतरने लगा यह अंत की शुरुआत थी प्लेन में पावर कट हो जाने पर इमर्ज एजेंसी में जरूरी उपकरणों को चलाने के लिए प्लेन में एक सिस्टम होता है जिसे एयू कहा जाता है एयू विमान के पिछले हिस्से में एक छोटा गैस टरबाइन इंजन होता है बोइंग से की यह सुविधा जांचकर्ताओं के लिए एक अविश्वसनीय सुराग छोड़ देगी एपी ऑटोमेटिक रूप से चालू हो गया फ्लाइट 37 लगभग 4000 फीट प्रति मिनट की दर से नीचे हिंद महासागर की तरफ कुछ सेकंड्स के बाद प्लेन लगभग 15000 फीट प्रति मिनट नट की अविश्वसनीय गति से समुद्र की ओर जा रहा था इस प्लेन की स्पीड लगभग लैंडिंग के समय स्पीड से 10 गुनी ज्यादा थी दो मिनट बाद प्लेन हमेशा हमेशा के लिए हिंद महासागर की गहराइयों में खो गया विमान का अधिकांश हिस्सा टकराने के बाद टूट गया और मलबा नीचे समुद्र तल पर बिखर गया हालांकि आने वाले महीनों और वर्षों में सैकड़ों टुकड़े पानी के साथ बहते बहते मेड़ा घास करर और दक्षिण अफ्रीका के किनारे पर पाया गया दक्षिण अफ्रीका और तंजानिया सहित अन्य देशों में अब तक विमान के अंदरूनी और बाहरी दोनों हिस्सों के 30 से ज्यादा मलबे खोजे जा चुके हैं यह एक पैसेंजर सीट के पीछे मौजूद इनफ्लाइट एंटरटेनमेंट का स्क्रीन है इन 30 टुकड़ों में से कई को ब्लक गिब्सन नाम के एक व्यक्ति ने खोजा है जो उसकी दृढ़ता और समर्पण के अलावा यह दर्शाता है कि सैकड़ों या यहां तक कि हजारों टुकड़े अभी भी तटरेखा के किनारे खोजे जाने बाकी हैं अफ्रीका और आसपास के द्वीपों पर अगर सरकारें गौर करती तो यह टुकड़े एकमात्र ठोस फिजिकल एविडेंस हैं जो दर्शाते हैं कि विमान दक्षिणी हिंद महासागर में गिरा और इसलिए उसने सुमात्रा पार करने के बाद दक्षिण की ओर उड़ान भरी ना कि उत्तर की ओर कई साल बाद खोज कर्ताओं ने समुद्र तल के 1200 हज वर्ग किलोमीटर से अधिक के मानचित्र के साथ पानी के नीचे खोज की लेकिन अब तक विमान का मलबा नहीं मिला है आज विमान के लापता होने के लग 10 साल बाद सभी खोजों को बंद कर दिया गया है लेकिन फ्लाइट थ 370 की कहानी में अभी भी एक अंतिम मोड़ है मान लीजिए कि भविष्य की किसी तारीख में शायद अब से दशकों बाद हमें मलबा मिल जाएगा तो क्या इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि विमान दुर्घटना ग्रस्त क्यों हुआ इसका जवाब है कि यदि ब्लैक बॉक्स में अभी भी डेटा मौजूद है जो दशकों तक पानी के अंदर रह सकता है तो हो सकता है कि उसमें फ्लाइट के अंतिम घंटों की कोई रिकॉर्डिंग ना हो ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर कैप्टन विमान को छुपाने और अपनी खुद की दोषी को छुपाने का इरादा रखता था तो उसने जरूर ही ब्लैक बॉक्स का सर्किट ब्रेकर खींच दिया होगा यह वीडियो इस बात का कोई निश्चित विवरण नहीं है कि फ्लाइट 370 में क्या हुआ था यह सत्य है कि जब तक मनुष्य पैसेंजर प्लेन फ्लाई कर सकते हैं तब तक मनुष्य पैसेंजर प्लेन को दुर्घटना ग्रस्त भी कर सकते हैं कोई भी ट्रैकिंग तकनीक या कॉकपिट प्रक्रिया इसे रोक नहीं सकती है ऐसी घटनाओं की दुर्लभता ही हम में से उन लोगों के लिए एक मात्र सांत्वना है जो आज फ्लाइट भरते हैं लेकिन यह उन लोगों के परिवारों के लिए थोड़ी मदद है जिन्होंने 7 मार्च 2014 को फ्लाइट 370 पर कदम रखा था यह वीडियो उन परिवारों और फ्लाइट 370 पर सवार उनके प्रियजनों को समर्पित है

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