[प्रशंसा] यह कोई आम किताब नहीं बल्कि प्रतीक है हमारे मुल्क का पर कभी सोचा है आपने कि यह मुल्क आखिर होता क्या है समाजशास्त्री कहते हैं कि एक ही नस्ल धर्म जबान परचम और हुकम को मानने वाले बाशिंदों के समूह से बनता है एक मुल्क एक देश मगर हिंदुस्तान जैसे बहुत सी भाषाओं धर्मों और तमाम जातियों प्रजातियों वाले सबकॉन्टिनेंट को किसी तंग नजरिए से नहीं देखा जा सकता है और ऐसे मुल्क ऐसे समाज में पुरानी रीति हों को तोड़कर सबको साथ लेकर आगे चलने के लिए किसी पुराने कानून से भी काम नहीं चल सकता है इसीलिए हमारे पुरखों ने बनाया था हमारा संविधान हमारा कॉन्स्टिट्यूशन हमारा आईन यह आईन ही तो वो आईना है जिसमें देखकर ही हम खुद को पहचान पाते हैं