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काशीनाथ हमें खुशी हुई तुम्हारी बहादुरी देखकर तुम्हें भी बहुत खुशी होगी यह जानकर कि आज के बाद तुम मेरे गिरह में काम करोगे यह मजदूर का हाथ है कातिया लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है यह ताकत खून पसीने से कमाई हुई रोटी की है मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं कीड़े मकोड़ों की तरह गली में रंगने से बेहतर है यहां मर्दों में रहो शेर की तरह पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कातिया तू चाहता है कि मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं तू कहे तो... Read more