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सिपाहे श्याम ने चारों तरफ सेली थ आगे हो बै प् लबे फराता हर एक खून का प्यासा ल चरागे इमामत अभी बुझा ना है जमी पे जीन से शबी [संगीत] कोराना ये सुनके संग किसीने जबी फमा किसीने पहलू में बरछी का फल उतार दिया किसी ने सामने आकर चलाई तेग जफा गरीबे जहरा काज पर सबला मुशकिल ली वो सहरा को रग में रुलाया जाता था हुसैन गिरते नहीं थे गिरा जाता लगा जो तीर तो असगर को शरने याद किया पुकारा गाजी को जिस वक्त सरप गुर्ज लगा लगी जो बछी तो अकबर को दी... Read more