Paris Paralympics में Silver Medalist Badminton खिलाड़ी Suhas Lalinakere Yathiraj प्रेस कॉन्फ्रेंस

जी आपका ये दूसरा ओलंपिक्स था दूसरे में भी आपको सिल्वर मिला है तो पहले और दूसरे सिल्वर के बीच में फर्क क्या रहा फर्क यह रहा कि पहले पैरालंपिक्स में मुझे भी विश्वास नहीं था और शायद देश को भी पता नहीं था कि बैडमिंटन में क्या मेडल्स आएगी और मेरे लिए मेरा परफॉर्मेंस क्या होगा सो ट वास अ डिफरेंट काइंड ऑफ फीलिंग कमिंग हियर एस वर्ल्ड नंबर वन एंड एज वर्ल्ड चैंपियन द प्रेजर एंड एक्सपेक्टशंस अपॉन माइसेल्फ मैं भी एक्सपेक्ट कर रहा था कि मैं य अच्छा करूंगा सो आई थिंक इट वाज अ डिफरेंट काइंड ऑफ चैलेंज वेर इन यू आर ट्राइट डू वेल नोइंग दैट यू हैव डन वेल बिफोर सो आईडियली आई वुड हैव लाइक टू विन गोल्ड मेडल जैसे हर खिलाड़ी का सपना होता है तो सिल्वर पाने से एक मिक्स्ड फीलिंग होती है गोल्ड से चूकने का एक दुख होता है बट एट द सेम टाइम जब थोड़ा फीलिंग सिंकिंग होती है तो देन महसूस हो है कि पैरालंपिक में क्वालिफाई करना इतनी बड़ी बात होती है देश के लिए खेलना इतनी बड़ी बात होती है और उसके बाद सिल्वर पाना भी मुझे लगता है कि अपने आप में एक बहुत खुशी और गर्व की बात है आई एम एक्सट्रीमली हंबल्ड एंड आईम एक्सट्रीमली ग्रेटफुल हम जब छोटे थे हम कभी सोचते नहीं थे जिंदगी में कि जिंद जिंदगी की सफर यहां तक हमें ले आएगी सो बहुत ही अच्छा लग रहा है दूसरा ज्यादा मुश्किल था या पहला मुश्किल था क्योंकि दूसरे में जैसे आप कह रहे थे लोग भी आपको ज्यादा करते हैं पोनेंट ज्यादा अवेयर है आप वर्ल्ड नंबर वन है तो इज इट द फर्स्ट मेडल दैट टफ और इ द सेकंड वनट लवेज दोनों में अपनी अपनी चुनौतियां है द फर्स्ट मेडल एस आई सेड पीपल डोंट रियली टेक यू टू सीरियसली अंट्स लेवल एंड व्हेन यू वन आई हैव कम टू पेरिस प्रोबेबली एवरी बडी हैड डन वीडियो एनालिसिस लाइक ऑल एलिट प्लेयर्स डू ऑफ डिफरेंट प्लेयर्स प्ले अंडर प्लेजर एंड प्लेइंग विद एक्सपेक्टेशन इ डिफरेंट काइंड ऑफ प्रेशर सो एंड आई एम हैप्पी एट द एंड ऑफ द डे आफ्टर द य नो द मोर टाइम हैज इट एज इट पासेस बाय देन द फीलिंग इट स्टार्टस टू रियली सिंक इन अभी भी शायद इतना फीलिंग पूरा लगा नहीं प्रोबेबली जब इंडिया जाएंगे लोगों से मिलेंगे रिलाइज करेंगे द जर्नी बिकॉज व्हेन आई स्टार्टेड दिस पैरालंपिक क्वालिफिकेशन जर्नी मैं उससे पहले काफी एक दो साल खेला नहीं था तो मेरे रैंक था 39 वर्ल्ड नंबर 39 से पहले टॉप 12 में आना लेवल वन टूर्नामेंट में क्वालीफाई करना फ्रॉम देयर टू विन एशियन पैरा गेम्स गोल्ड फ्रॉम देयर टू विन वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड फ्रॉम देयर टू बिकम वर्ल्ड नंबर वन एंड यहां से सॉर्ट ऑफ कल्मिनेशन ऑफ सर्कट इन पेरिस जैसे कहते हैं ना कि जिंदगी तो सफर ही है मुझे लगता है कि सफर को ही हम सबको एंजॉय करनी चाहिए सर भारत में दो चीज बहुत इंपोर्टेंट है मान्यता रखी जाती है एक है यूपीएससी एग्जाम और दूसरा है स्पोर्ट्स ओलंपिक्स पैरालंपिक यू आर द ओनली वनट है बीन एबल टू सक्ड इन बोथ सो व्ट इ द रीजन फॉर र सक्सेस एंड पेरेंट्स भी यह कहते देखो वो तो आईस भी और खेल भी रहा है तो आपने बच्चों के लिए समस्या थोड़ी बढ़ा दी है मैं सबसे पहले तो ईश्वर को धन्यवाद देना चाहता हूं आई एम एक्सट्रीमली ग्रेटफुल टू गॉड एंड डेस्टिनी कि हम भी जब स्कूल कॉलेज में पढ़ते थे कभी जि में सोचते नहीं थे उस वक्त जैसे 12थ में हमारी आईडिया क्या रहती है कि 12थ में सबसे अच्छा मार्क्स मिल जाए और उसके बाद एक कॉलेज अच्छे से एडमिशन हो जाए कोई कॉलेज में अच्छे से एडमिशन हो जाए फिर आपको लगता है कोई अच्छे से जॉब लग जाए जैसे हम जब कंप्यूटर साइंस कर रहे थे इंजीनियरिंग तो लग रहा था कि अच्छा जॉब मिल जाए वही जिंदगी है उसके बाद लगा कि नहीं जिंदगी में अभी कुछ और करना है तो यूपीएससी लिखा एंड आई एम ग्रेटफुल कि यूपीएससी में सिलेक्शन हुआ एंड देन फ्रॉम देन ऑन कि यहां पर पैरालंपिक्स में मेडल मिला य ब जो हुआ मुझे यह लगता है कि हर इंसान को वो रास्ता चुननी चाहिए कि जिससे उनको यह लगे कि वो शिद्दत के साथ पूरी कोशिश करें वो लक्ष्य जो चुनते हैं उसको पाने के लिए और दूसरा यह बहुत इंपॉर्टेंट बात है कि कोई भी युवक या युवती आप कोशिश करके हारिए का ये ठीक है मैं भी जिंदगी में बहुत बार हारा हूं उसके बाद ही यहां तक पहुंचा हूं कोशिश ना करना यह मंजूर नहीं है ज्यादा से ज्यादा क्या होगी कि वी विल नॉट बी एबल टू क्रैक इट जैसे अभी मैं गोल्ड मेडल नहीं ले पाया हूं बट सिल्वर लिया हूं बट कई बार गोल्ड लिया भी है कई बार नहीं भी लिया है जिंदगी का सफर में कभी हार कभी जीत लगी रहती है तो अक्सर होता क्या है कि हम यह सोच लेते हैं कि शायद हमें सफलता नहीं मिलेगी या शायद इसमें बहुत ज्यादा मेहनत है और मेरा यह मानना है कि आप वो रास्ता चुनिए कि जो आप दिल से चाहते हैं कि जैसे आई लव बीइंग ए सिविल सर्वेंट मुझे बहुत अच्छा लगता है कि एक सिविल सर्वेंट के रूप में काम करना सिमिलरली आई लव प्लेइंग बैडमिंटन तो जो पर्दे में दिखता है फाइनली वो तो एक एंड प्रोडक्ट दिखता है बट उसके पीछे जो पसीना बते आप आवर्स एंड आवर्स ऑफ प्रैक्टिस या आपको एक उस रास्ते से गुजर नहीं है उसके लिए आपको तैयार रहना होगा और सर पेरिस का जो क्राउड का अनुभव आपको लगा या जो आपको सपोर्ट मिला यहां प चाहे हम एथलेटिक्स में जा रहे हैं बैडमिंटन में जा रहे हैं हाउ इज दिस स्पोर्ट्स इट इज एक्सट्रीमली प्लेजर बल इतनी आप हमारी मैचेस में आठ 8500 लोग डेली आते थे और इतनी ज्यादा चिल्लाते थे कि शटल कॉक और हम लोगों को मारने की आवाज ही नहीं आती थी इतनी वो एक डिफरेंट एनवायरनमेंट था मुझे याद है 2018 के एशियन पैरा गेम्स में जकार्ता में ऐसे ही क्राउड आती थी जैसे आपने कहा एथलेटिक्स हो या बैडमिंटन हो बहुत अलग-अलग स्पोर्ट्स के लिए जिस तरह से विभिन्न देशों की क्राउड है आप बहुत सारे इंडियंस भी आए थे और चेयर अप करते हैं और मैं तो इनफैक्ट जब मैचेस में उतरता था दूसरे देशों के खिलाफ भी जब उतरता था तो इवन अगर हम वहां दूसरे देश की क्राउड भी रहती थी तो मैं मन में हमेशा यह सोचता था कि हमारे तो एक बिलियन पॉपुलेशन तो हमारे लिए घर में ियर कर ही रही होंगी और मैं मन में हनुमान जी का नाम लेके उतरता था कि अभी इससे ज्यादा और क्या चाहिए हमें करके आई थिंक एवरी प्लेयर फाइंड्स हिस और हर ओन वे टू कोप विद क्राउड प्रेशर एंड देन यू जस्ट गो आउट देयर एंड परफॉर्म टू द बेस्ट ऑफ योर एबिलिटी सर इन द लास्ट 10 इयर्स हाउ मच हैव यू सीन लास्ट 8 इयर्स द प्रोग्रेस ऑफ पैरा स्पोर्ट्स द इंपोर्टेंस ऑफ बहुत बहुत अंतर हुआ है आई थिंक टोक्यो 2020 वाज अ वाटर शेड मूवमेंट फॉर इंडियन पैरा स्पोर्ट्स एंड इंडियन ओलंपिक स्पोर्ट्स इन जनरल आप जानते हैं कि इंडिया में क्रिकेट तो पॉपुलर है ही हर बच्चा बच्चा जानता है क्रिकेट के बारे में बट इन लास्ट मेनी इयर्स द वे ओलिंपिक स्पोर्ट्स पैरालंपिक स्पोर्ट्स को सोसाइटी से सपोर्ट मिली है और रिकॉग्निशन मिली है क्योंकि खिलाड़ी को सबसे बड़ी चीज होती है कि उनको कोई पहचान करें कि हां आपने देश के लिए खेला है और देश के लिए मेडल जीता है तो यह समाज में इट जज परकलेटेड डाउन आई थिंक इन द कमिंग इयर्स इट विल ओनली ग्रो एंड उसी से मेडल टैली में भी इंप्रूवमेंट आएगी खेल में मैं ये मानता हूं देखिए हार और जीत इवन ओलंपिक्स में फोर्थ प्लेस फिनिशर्स बहुत रही है मेडल कन्वर्ट नहीं हो पाई फॉर्चूनेटली पैरालंपिक्स में मेडल टैली अभी जिस तरह से जा रही है कि पिछले बार से हम लोग बेहतर करने की उम्मीद रखते हैं सो आई थिंक इंडियन स्पोर्ट्स इज ऑन ए वाइब्रेंट ट्रेजे एंड इट विल ओनली डू वेल इन द फ्यूचर

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