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कभी मौका [प्रशंसा] मिले कभी मौका मिले काम करना कभी भागेश्वर धाम जाना और वहा धीर कृष्ण से नहीं मिलना वहा तुम धीरेंद्र कृष्ण नामक व्यक्ति से नहीं मिलना सीधा मंदिर चढ़ जाना हाथ में नाय लेना और उस लाल लाल बजरंग को देखना कह देना बस करने की जरूरत नहीं है तुम बुधवार गुरुवार शुक्रवार शनिवार रविवार जिस दिन जाओगे वो दिन मंगल होगा जितने सना तु दो बजे रात को भी जाओगे तुम्हारे लिए महा आरती होगी ये निवेदन शायद आपको बुरा लगा होगा हमें पता है तुम सुधरने वाले... Read more
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[संगीत] राधा ने सुंदर हाथ में बांसुरी ली और कृष्ण के हाथ में बांसुरी दी और दोनों आंखों में आंसू भरे हाथ जोड़े गोविंद कृष्ण आज तू अपनी बासुरी की तान सुना दे ध्यान रखना जब तक मैं मना न करू यह बांसुरी रोके नहीं परमात्मा ने अपने अदृष पर बांसुरी को रखा सुंदर तान छेड़ी [प्रशंसा] राधा बैठी बैठी रो रही है अचानक राधा के मुख से शब्द निकला हे [प्रशंसा] कृष्णा और जैसे ही हे कृष्ण कहा उसी समय राधा के अंदर से प्राण निकलकर भगवान के अंदर समाहित हो गए Read more
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मैंने तो तुझे जन्म देकर महल का रास्ता बताया धन्य तो तेरी वो मां है जिसने महल से परमात्मा के मिलने का रास्ता बताया वो बड़ी मा है तेरी उसी को प्रणाम करके तू जंगल चला जाता वहीं से तो मैं सीना ठोक कर कहती कि मेरा बेटा ध्रुव जा रहा है धव जी की आंखें सूख गई दोनों हाथ चरणों पर रखे कहा मां ध्रुव संकल्प ग्रहण करता हूं जब तक परमात्मा का दर्शन ना हो जाएगा तब तक लौटकर अपने मुख का दर्शन तुझे नहीं कराऊंगा मां ने हृदय से लगाया पाच वर्ष का बालक बोले बेटा भगवान... Read more
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विचार करना एक नहीं कई [संगीत] रातें पत्नी की बातों में आकर जब बच्चा अपनी मां से कहता है कि मां मुझे अब अलग होना है तो विचार कीजिए उस मां के हृदय पर क्या बीत थी होगी जिस माने उस मास के टुकड़े को पाल पोस बड़ा किया क्या इसी दिन के लिए बड़ा किया था पर ध्यान रखना मां कुर्बानी देती है मां कहती है कि मुझसे अलग रहकर तू खुश रह लेगा बेटा कहता है मां मजबूरी है रहना पड़ेगा मां कहती है जा Read more
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ऐसे 19 श्लोक हैं गोपी गीत के भागवत में और अगर यह 19 श्लोक में पूरे गा दूं तो पंडाल में से 50 प्रतित सो जाएंगे क्यों क्योंकि यह गोपी गीत गोपियों के गीत नहीं है ब्रह की दशा है जो हृदय से निकल रही है और जब ब्रह की दशा हृदय से निकलती है तो आपने देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति दुखी होता है और अपने मन की बात जैसे जैसे सामने वाले से कहता चलता है वैसे वैसे उसके मन में शांति आती जाती है यह शांति वाला प्रकरण है भागवत में तो वर्णन नहीं है पर रास पंचा अध्याय... Read more
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कोट नमन करते हुए मंगलाचरण की ओ जय श्री राधे जय श्री [संगीत] [संगीत] कृष्ण स्वस्ति श्री गणेशाय नमः श्री राधा वल्लभ [संगीत] विजयते श्री सरस्वत्य नमो [संगीत] नमः बैकुंठ लीला प्रवर मन [संगीत] हरम नमस्कृत्य देव गणे परम [संगीत] बरम गोपाल लीला भी उतम [संगीत] भजामि [संगीत] सिरसा नमाम प्रात नमामि वृषभानु सुता पदा नेत्रा प्रतम ब्रज सुंदरी प्रेमा तो रेण हरना सुभ शार देन श्रीम ब्रजेश तन येन सदा वि बंदम सच्चिदानंद रूपाय विश्वो पतदे तवे ताप प्रय विनाशाय श्री कृष्णाय... Read more