Hitler, Gandhi, Modi, Ambedakar: Heroes vs Villains | Ft. ‪@aktk‬ brothers | Podcast EP-08

हमारे पास किस-किस तरीके के थ्रेट्स आए हैं कांग्रेस पार्टी उसके द्वारा हमारे चैनल पर स्ट्राइक आई एनडीटीवी की तरफ से हमें ईमेल आता है कि आपको हमें एक करोड़ रुपए देने हैं क्योंकि आपने हमारे कुछ क्लिप्स जो है वो यूज किए हैं अपने वीडियोस [संगीत] में मेरी दोस्त मरियम उसके साथ हिंदुओं ने बहुत बुरा किया उसका पहले पेट फड़ा पेट फाड़ने के बाद उसमें जलता हुआ कोयला डाला फिर वो जलते हुए कोयले से जब तड़प तड़प के मर गई उसके बाद मरियम के माथे पे ओम गंधा गया ओम लिखा गया तलवारों से पाकिस्तान के अंदर बैठा अहमदी जिसने एक्चुअली पाकिस्तान बनाने में सबसे अधिक योगदान दिया वो अहमदी मुसलमान जो है वो जूते खाता है वहां वो मुसलमान ही नहीं तो ये उम्मत का जो कांसेप्ट है ये फ्रॉड कांसेप्ट मैं इसको मानता हूं जो जमीन पर है धरातल हरभजन के खुद के वर्ड्स है कि हम इसको लेके जाते थे एक मौलवी के पास जो इनको निमाज बढ़ाता था तो हर भजन ने इंजमाम को कहा कि मेरा मन करता है कि मैं इस मौलवी की बात सुनू और सुन के कन्वर्ट हो जाऊं लेकिन मैं तुम्हें देख के रुक जाता हूं भारत के जो मुसलमान थे वो पाकिस्तान चले गए थे पंजाब क्षेत्र से तो उनमें से काफी प्रॉपर्टीज तो जो हिंदू वहां से आए थे पाकिस्तान से उनको मिल गई थी बाकी जो बची हुई प्रॉपर्टीज थी वो वक्फ को दी गई है और वंस अ वक्फ ऑलवेज अ वक्फ क्योंकि अल्लाह की जो जमीन है आप अल्लाह से थोड़ी ले लोगे ये जो लेफ्ट है या फिर जिसे आप कम्युनिस्ट बोलते हैं वो अपने आप को रेवोल्यूशन बोलते हैं विडंबना सबसे बड़ी ये है कि चीन में रेवोल्यूशन की कंट्री में रेवोल्यूशन अलाउड नहीं है मोदी को डिक्टेटरशिप मोदी हिटलर है मोदी डिक्टेटर है आप इसको 2007 से ऐसे बयानों की पूरी श्रंखला है कौन सा लीडर है जिसने नहीं कहा नितीश कुमार ने नहीं कहा आज साथ बैठे हैं आर्टिकल में गांधी जी बताते हैं कि एक को कैसा होना चाहिए और वो बताते हैं कि इस समाज के लोगों को पता होना चाहिए कि किस तरीके से शौच को सा करते हैं साथियों आपने इस पॉडकास्ट में इंटरेस्ट दिखाया है उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं इस पॉडकास्ट में एक गेमिंग सेक्शन होता है जो हम केवल अपने स्ट्रकिंग थॉट शो youtube3 एस चाहिए और हमारे जो आगे आने वाले गेस्ट हैं उनसे अपने क्वेश्चंस पूछने हैं तो आप हमारी मेंबरशिप भी ले सकते हैं और साथियों ये पॉडकास्ट शिक्षणम द्वारा संभव हो पाया है आप सभी को पता होगा कि शिक्षणम पर हम भारतीय दर्शनों को उपनिषदों को और संस्कृत भाषा को सिखाते हैं और इस बार आपके लिए खुशखबरी भी है कि हमारे संस्कृत कोर्स में अब आपको अनलिमिटेड लाइव सेशंस मिलेंगे यानी आप हमारे संस्कृत कोर्स में इनरोल करते हैं तो आपको आजीवन जो आचार्य पढ़ाते हैं उनसे हर रविवार को शाम 7:00 बजे जुड़ने का मौका मिलेगा आप संस्कृत से जुड़े विषयों पर बात कर सकते हैं और अपने प्रश्न भी पूछ सकते हैं और ये आपको आजीवन काल के लिए मिलता है क्योंकि जैसे-जैसे शिक्षण हम ग्रो कर रहा है हम संकल्प बद्ध होते जा रहे हैं ज्यादा से ज्यादा आपकी सहायता करने के लिए डिटेल्स और लिंक्स आपको नीचे कमेंट सेक्शन और डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगी आइए अब पॉडकास्ट को प्रारंभ करते हैं सभी इतिहास अनुराग का शिक्षणम द्वारा आयोजित स्ट्राइकिंग थॉट्स पर स्वागत है साथियों चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य जी ने कहा था कि यो ध्रुवा परिज अध्र वम परिशे होते ध्रुवा तस्य नश्य चा ध्रुवम नष्ट मेवही मतलब जो निश्चिता को छोड़कर निश्चित चीजों को छोड़कर अनिश्चितता का सहारा लेता है उसका निश्चित तो नष्ट होता ही है और अनिश्चित भी स्वभाव से नष्ट हो जाता है अगर आप अपने चारों ओर देखेंगे तो हमारे चारों ओर लो दिखते हैं कहानियां ज्यादा दिखती हैं और यह कहानियां निश्चिता हों और अनिश्चितता हों से घिरी रहती हैं कोई चाय बेचने से लेकर अपने प्रधानमंत्री बनने तक के सफर की कहानी सुना रहा है तो कोई लोकतंत्र को बचाने के लिए अपने परिवार की पारंपरिक जो आहुति देने की एक विधा रही है जो एक परंपरा रही है उसकी कहानी बेच रहा है ऐसे हम देखते हैं कि एक व्यक्ति अहिंसा का प्रयोग करके अंग्रेजों को भगा देते हैं वहीं पर एक व्यक्ति ऐसे हैं जो जातिवाद से लड़ते हैं ऐसा संविधान बनाते हैं कि उसी की छत्रछाया में आज चुनाव होते हैं जातिवाद पर ही तो सब के सब चाहे छोटे छोटे से छोटा व्यक्ति हो या बड़े से बड़ा व्यक्ति हो सब कहानी बेच रहे हैं और अपनी-अपनी कहानी में सभी हीरो हैं और जो अपनी कहानी नहीं बेच पाए उनकी कहानी दूसरे बेचते हैं या तो हीरो बनाकर या विलन बनाकर और कुछ-कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो एक कहानी में हीरो हैं लेकिन दूसरी कहानी में विलन होते हैं आज का एपिसोड विशेष होने वाला है क्योंकि आज इतिहास के पन्नों में एक व्यक्ति कैसे हीरो बनता है और कैसे विलन बनता है इसकी रेसिपी हम जानने वाले हैं और इसके लिए हमारे साथ जुड़ चुके हैं आज की ताजा खबर यानी कि एके टीके से गर्वित जी और अनुज जी नम राम रामई गर्वित जी अनुज जी हिस्ट्री एंथियास हैं और बहुत से ऐसे इतिहासिक विषय हैं गहन विषय हैं जिन पर शोध करके यह आपके सामने सच लाते हैं जिनका झूठ आप तक पहले ही पहुंच चुका होता है यह डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से लॉन्ग वीडियोस के माध्यम से अपने चैनल के माध्यम से और डिस्कशन के माध्यम से आप तक यह सच रखते हैं बहुत सत्य निष्ठा से वर्क करते हैं और इनके कई चैनल हैं अगर आप इनके जो मेन चैनल है एकटी के उस पर जाएंगे तो आपको करंट अफेयर्स पर पॉलिटिक्स पर कमेंट्रीज देखने को मिलेंगी वहीं अगर आप इनके दूसरे चैनल भारद्वाज ब्रदर्स पर जाएंगे तो वहां पर आपको द रेड फाइल्स और द वोक शो के माध्यम से सोशल कमेंट्रीज भी देखने को मिलती हैं जो सबसे बड़ा उद्देश्य है आप दोनों का वो यह है कि भारत की सबसे बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री को प्रोड्यूस करना और बनाना और इन डॉक्यूमेंट्री को आप एकए टीके डॉक्यूमेंट्री पर देख भी सकते हैं तो ये मेरा सौभाग्य है कि मैं गर्वित जी और अनुज जी को यहां पर आमंत्रित कर पाया और दोनों ने समय निकाला उससे पहले मैं जानना चाहूंगा कि इतने ढेर सारे चैनल आप लोग कैसे मैनेज कर रहे हैं हमसे तो एक भी नहीं हो रहा है जैसे तैसे देखो इसको मैनेज करने का तो ऑनेस्टली फर्स्ट ऑफ ऑल इसको बनाने का जो प्लान था हम वो आउट ऑफ फियर आया है रीजन बीइंग कि हम जिस कार्य को कर रहे थे एकटी के पर वो बहुत अधिक रिपोर्ट हो रहा था और उस कारण से फिर थॉट ये आया कि एक चैनल इज नॉट इनफ नहीं है बिकॉज आपकी रीच को दबाया जा रहा है आपके वाणी को विराम दिया जा रहा है तो आपको मल्टीपल चैनल्स बनाने पड़ेंगे ताकि आपके पास बैकअप रहे हमारे पास किस-किस तरीके के थ्रेट्स आए हैं फर्स्ट ऑफ ऑल कांग्रेस पार्टी हम भारत की सबसे पुरानी एओ ह्यूम द्वारा बनाई गई पार्टी उसके द्वारा हमारे चैनल पर स्ट्राइक आई कैन यू बिलीव दैट कांग्रेस जस्ट बिकॉज हमने एक वीडियो राहुल गांधी का मतलब पब्लिक पब्लिक स्पीकर है उनकी वीडियो हमने 30 सेकंड की जो कि है हम वो 30 सेकंड की एक वीडियो हमने यूज की हम उसके ऊपर कांग्रेस पार्टी ने आईएनसी के हैंडल ने हमारे ऊपर स्ट्राइक डाल दी अब राहुल गांधी खुद ही वायरल हो जाते तो हम क्या करें सो आई थिंक उनका कुछ सिंगापुर में था कुछ इवेंट था तो वो हमने यूज़ किया था उसपे हमने कमेंट्री की थी ये थोड़ी पुरानी बात है हां फिर उसके बाद ये तो एक इवेंट हो गया ना उसके बाद एनडीटीवी एनडीटीवी जब एनडीटीवी को अडानी भाई साहब ने नहीं लिया था उससे पहले एनडीटीवी की तरफ से हमें ईमेल आता है कि आपको हमें एक करोड़ रुपए देने हैं क्योंकि आपने हमारे कुछ क्लिप्स जो है वो यूज किए हैं अपने वीडियोस में हम अब मैंने कहा यार यह भी फेर यूज में है ना हमें इतना इन चीजों को ज्ञान है हमें लीगल चीजों का ज्ञान नहीं हमें हम बिकॉज अपना काम करते हैं हम इन चीजों में नहीं पढ़ते एक आम आदमी जो होता है वो पुलिस और तहसील इन दोनों चीजों से दूर रहता है कहता है दूर रहो भाई इनसे य आपको घुमाते हैं क्योंकि और कई बार इन चक्रों में ऐसा भी होता कि हमारे आपके जैसे क्रिएटर बहुत सी बातों को रख भी नहीं पाते जस्ट बिकॉज कि हमारे पास कोई लीगल बैकअप नहीं है कोई लीगल सपोर्ट नहीं है बहुत सी ऐसी बातें होती है जो सच होती है लेकिन सच को सच रख पाना भी एक लोकतंत्र की जिम्मेदारी होनी चाहिए उसमें क्या था कि फिर जो हमने एके टीके के बाद यह भारद्वाज ब्रदर्स बनाया उसमें हमने एकटी के पर अनाउंस किया था व क्विट ये हमारा थंबनेल पर लिखा हुआ है आज भी देख सकते हैं उसे और उसके बाद हमने बीवी बनाया था भारद्वाज ब्रदर्स और उसका रीजन यही था कि हम कुछ भी अपलोड करते थे वो उस मोनेटाइज हो रहा है उसकी रीच को दबाया जा रहा है वो सारी चीजें जब होने लगी रिपोर्टिंग होने लगी तो वही थॉट के एक नया चैनल आपको क्रिएट करना पड़ेगा फिर इसमें क्या था कि हमने डॉक्यूमेंट्री का अनाउंस किया डॉक्यूमेंट्री के लिए फिर आप सेम चैनल्स पर सेम मतलब अपलोड नहीं कर सकते हैं तो उसके लिए हमने सोचा कि डॉक्यूमेंट्री एक ही क्यों बनानी है मल्टीपल बनाते हैं तो उसके लिए फिर नया चैनल आ गया फिर ये पॉडकास्ट वाला अलग से बन गया लोग ये चार चैनल इस तरीके से ब बन गए बट इसका मेन रीजन था कि फियर कि आप एक चैनल के भरोसे नहीं रह सकते ये कभी भी कोई भी बंद करा सकता है बिकॉज कई लोग जो है अपनी लगाम को थाम कर काम कर रहे हैं हम लोग थोड़ा आउट स्पोकन रहते हैं हम लोग जैसी चीज जो बिकॉज हमारा एम यही था जब हमने स्टार्ट किया कि जो चीज जैसी है उसको हम फिर वैसे ही रखेंगे इसमें क्या हुआ ना के शुरू शुरू में तो नॉट जस्ट कि पॉलिटिकल या इस तरीके से दूसरे अदर थ्रेट्स भी आने लगे जैसे किसी कम्युनिटी के बारे में बोला तो उस कम्युनिटी ने थ्रेट देने शुरू कर फॉर एपल खालिस्तानी थ्रेट बहुत ज्यादा हा राट और हमने उस समय कुछ वीडियोस बनाए थे जब यह किसान आंदोलन और उससे भी पहले की बातें शायद जब ये जनल सिंह भिंडरान वाले के ऊपर हमने काफी बात की थी उसके बाद थ्रेट आने लगे दे मेकिंग इट कल्ट कल्ट की तरह उसको प्रोजेक्ट किया जा रहा है हमने भी एक दो वीडियो खाली स्तान पर और कुछ क्वेश्चन उठ ते हुए बनाई थी तो उसके बाद हमें भी कॉल्स आने लगी मैं कहा आज तक चैनल पर काम करते मुझे डेढ़ साल हो गए हमने बहुत से मुद्दों पर बात की है और लेकिन जो जो एग्रेसिवनेस खालिस्तानिस तो मुझे लग रहा है कि किसी में इस तरह से है नहीं कनाडा से कॉल्स आते हैं मेरे अपने फोन प मेरा नंबर निकला कहां से मेरे को आज तक नहीं पता मेरे अपने फोन प फ आए मेरे मेरे ऑफिस के फोन पर आया प्लस इसमें मैं देखता हूं कि मैं बचपन से जब मैं बचपन से आठ या 10 की ज तक मैं सिख की ही तरह पला बढ़ा हूं क्योंकि मेरी कॉलोनी सिख वाली थी मैं मैं वो पगड़ी लगाता था उसके बाद गुरुद्वारे में सेवा हो गई लंगर बांटना हो गया उसके बाद मैंने अपने शहर में पंजाबी में मैंने टॉप किया था एज अ लैंग मैं उसको देखता हूं मेरे अभी भी जो रिसेंट बॉस रहे हैं वो सिख ही थे इतना सब कुछ देखने के बाद जब मैं ये देखता हूं तो आज मुझे लगता है कि क्या मतलब सबको हिंदुओं से ही लड़ना है क्या नहीं एक्चुअली में एक्चुअली में ये क्या हुआ है कि ये हिंदुओ से भी नहीं ब्राह्मणों से लड़ना हां और इसमें भी अभी वो वाला केस हो गया स्वर्ण मंदिर में जो खालिस्तानी है वो बहुत आउटस्पोकन है उन्हीं की आवाज सुनाई देती है हमें और जो एक नॉर्मल सामान्य सिख है ना उसकी आवाज दब चुकी है वो आवाज भी नहीं देता ये पॉइंट आ गया है आप आप जरा अपनी कॉलोनी में निकलो अपने शहर में निकलो आपको एक नर्मल नर्मल एव इ नर्मल लेकिन जो जो एग्रेसिवनेस जो एज अ कम्युनिटी जो जो आपके चार लीडर्स होते जो बात करते हैं उनकी एग्रेसिवनेस की अगर आप बात करेंगे तो सबसे ज्यादा दिखती है पहले इसी पे स्टार्ट करेंगे आप लोग डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं अभी एक्सपीरियंस हो सकता है आपको तीन चार साल हो गए हो या दो साल डॉक्यूमेंट्री बनाते हुए 2021 में हमने फर्स्ट रिलीज की थी हां लेकिन जो रिसर्च एप्टीट्यूड है आपका वो पाछ साल का तो है ही क्योंकि और भी काम कर रहे थे हां राइट राइट वो हो गया होगा इतना पढ़ मैं तो काफी समय से पढ़ना स्टार्ट कर चुका था तो जिसे कहते हैं ना वो धीरे-धीरे चीजें बिल्ड अप होती हैं मुझे लगता है कि मैं 20009 10 इस अराउंड ऐसा हो चुका था कि मैं मेरा इंटरेस्ट जो था वो पढ़ने में ज्यादा होने लगा था चीजें एक्सप्लोर करने में थोड़ा जानने में इस टाइप का हो चुका था मेरा स्पोर्ट्स नहीं था अच्छा वो आज भी अभी भी लग रहा है बैठे अभी जैसे मैं बात कर रहा था और इंट्रो में भी जैसे बोला कि मोस्टली क्या होता है कि कहानियां ही रह जाती हैं हम हम बहुत लोगों से मिले नहीं होते हैं और हमारे दिमाग में जो चीजें रहती हैं बस कहानियों के रूप में में बना रहता है अगर मैं आपसे मिला भी नहीं होता तो शायद जिंदगी भर सोचते रहता कि हां गर्वित जी हैं जो एक [संगीत] उनके लिए लिए कहानिया इतनी जगह नहीं है हमारे लिए जितना बायसी क्रिएट करती है लड़ाइया तो यहां प भी जर जरू जमीन प ही हो रही है हो उसी पे रही है हो उसी पर रही है लेकिन कुछ कहानियां भी है हां विचारों पर तो मैं ये जानना चाहूंगा जब हम बहुत ज्यादा देखते हैं कि हम बायस होते हैं या पूर्वाग्रह हमें हो जाता है और आप एज डॉक्यूमेंट्री क्रिएटर कैसे इस चीज को इंश्योर करते हैं कि आप वो उस बायस में ना पड़े और लोगों को सही चीजें मिले देखो डेमो में अगर आप हो तो आपके बासेस होंगे ही क्योंकि आपको कहा जा रहा है ना कि आप वोट दो हा वोट आप बिना बायस के तो एक जने को दे नहीं आओगे आपके कुछ ना कुछ बासेस तो होंगे तो आपको कहा ही जा रहा है कि आपके बासेस होने चाहिए ठीक है अब वो जो बासेस है उनको आपको दूर रखना है जब आप रिसर्च कर रहे हो ये इंफॉर्मेशन मिल रही है तो वो इंफॉर्मेशन पढ़ो आप ढंग से पढ़ो इसने पढ़ा है उसके फिर प्राइमरी सोर्स प जाओ अगर प्राइमरी सोर्स प आपको चीजें ढंग से मिल आती है तब तो ठीक है हम अभी सेकेंडरी टर्श सोर्सेस का कोई भरोसा है नहीं हम तो प्राइमरी सोर्सेस पे रिलाई करो तो आपके बासेस अपने आप दूर होते जाएंगे प्राइमरी सोसे बेसिकली अगर रोमिला थापर ये कह रही है कि हिंदुओं ने बौद्ध टेंपल तोड़े तो उस पर विश्वास मत करो उससे पूछो इसके सोर्सेस क्या है आपको कहां से ब्रह्म ज्ञान ये प्राप्त हुआ है पूछिए वो चीज अभी वो नालंदा वाला जो चल रहा था हां हां हां उसमें तो बख्तियार बेकसूर और ब्राह्मण जला दिए ब्राह्मणों ने जलाया उसका बेसिकली क्या है ना उसका जो सोर्स ये बेसिकली देते हैं ये कोई सन मिग हो करके कुछ एक बंदा था चाइना का एटली नाम नहीं याद ऐसे नाम से वो याद भी नहीं आते ना तो वो नाम था उसने नालंदा जलने के 500 साल के बाद एक बुक लिखी उसने और उसने लिखा उके लिए भी हिस्ट्री हो गई व तो उसने 500 साल के बाद वो बुक लिखी और उस बुक में उसने लिखा कि टू नॉन दे केम टू नालंदा और वहां पर उन्होंने मतलब बहुत बहुत फनी स्टोरी है बहुत फनी स्टोरी है सुनना मजा आएगा सुनने में भी तो उसने लिखा के यहां पर दो नॉन बौद्ध आए आने के बाद इन दो नॉन बौद्धों ने यहां पर यज्ञ किया वो 12 साल तक यज्ञ करते रहे ये बुक में लिखा है ये उस बुक में लिखा है उसने 12 साल तक वो यज्ञ करते रहे फिर उन्होंने 12 साल यज्ञ के बाद उनके अंदर सूर्य का ताप आ गया अब उनमें सूर्य का उ लोग तो ये सब मानते नहीं है ये स्टोरी सेल कर रहे हैं सूर्य का जब उसम ताप आया तो उन्होंने हवन की अग्नि से यज्ञ की अग्नि से पूरी नालंदा जला दी और फिर उनको लगा नहीं नहीं अरे लाइब्रेरी तो रह ही गई है फिर उन्होने यज्ञ की अग्नि जो लकड़ियां होती है उसम वो ऐसे उसमें लाइब्रेरी की तरफ है कि पूरी लाइब्रेरी जल गई और नालंदा की अग्नि से फिर यह दोनों भी जल गए म अभी इनमें सूर्य का ताप था अभी ये उस अग्नि से जल भी गए फशन लिख रहे हो कैसा लिख रहे हो ये तो देखो ये सोर्सेस है इनके अब ये ये कहानी पढ़ी सबसे पहले कोई यादव यादव करके एक हिस्टोरियन रहे हैं हमारे उन्होने ठीक है उन भाई साहब ने स्टोरी पढ़ी और उन्होंने ये चीज लिखी वहां प ठीक है और उन्होंने यह भी लिखा कि एगजैक्टली कोई हमें ज्ञान नहीं है कि यह सही चीज लिख रहे हैं कि नहीं लिख रहे हैं फिर आते हैं डीएन झा डीएन झा ही है ना केनझा डीएन झा डीएन झा तो डीएन झा भाई साहब यादव को कोट करते हुए कहते हैं देखो यादव जी हमारे एमिनेंट हिस्टोरियन उन्होंने कहा है के नालंदा तो ब्राह्मणों ने चलाई थी नॉन टू नॉन बौद्ध अब ब्राह्मण हो चुके हैं और उनमें सूर्य का ताप था जो कि अगनि से जल चुके हैं ठीक है एक दूसरे को ही कोट कर रहे हां वो एक दूसरे को टर्श सोर्स है डीएन झा हां ठीक है टर्श भी क्यों चौथा चौथा सोर्स है पहला हो गया चाइनी चाइनीज 500 साल बाद लिखी है उसने 500 साल बाद ख दूसरा हो गया यादव तीसरा अगला हो गया ये डीएन झा और कारवान जो मैगजीन है वो डीएन झा को कोट करते हुए कहती है ब्राह्मण ने लिखा और इनको ऑर्गेजम आ जाते हैं कि भाई अरे ब्राह्मण ने फूक दी ये तो बौद्धों के एक्चुअली में क्या होता है कि आपको ना एक एनिमी चाहिए होता है ठीक है अब क्या है कि ये जो मार्क्सिस्ट लेफ्टिनेंट की बात कर रहा हूं तो कॉलोनियल टाइम में जो ये पोषण हुआ ल बंदे को ही अगर ये बोल द कि आप हो दोषी तो ऐसा नहीं हो तो इन्हे एक नया एनिमी खोजना है अब एनिमी ऑलरेडी इनको मिला हुआ था ब्राह्मण की फॉर्म में सारी स्टोरीज उनके ही अगेंस्ट बनी है फिर वो वो चीज चलती है अभी इसमें इवन खालिस्तानी इवन जो ड्र वेडियन मामला है सारा ब्राह्मणों के अराउंड घूम रहा है 3 पर ब्राह्मणों के सारे दुश्मन है अभी इस इसका जो प्राइमरी सोर्स है जो नालंदा का प्राइमरी सोर्स है बख्तियार खिलजी खुद लिख रहा है उसमें लिख रहा फूक दी भाई साहब मैं फूक के आ रहा हूं उनको तो उनको तो बताने में ही उनकी शता है ना तो तो बताएंगे हीन आता वही प्राइमरी सोर्स है तो प्राइमरी सोर्स को इन्होंने पूरी तरीके से नकार दिया वो खुद लिख रहा है कि भाई मैंने भूख दी हम फिर ये उसने हमले का एक्चुअली में पॉइंट यहीं पर आया उसने हमले का लिखा है मैंने हमला किया है ठीक है उनके उनके जो हिस्टोरियन थे उस समय उन्होंने लिखा है कि सेम समकालीन जो है मैंने हमला किया है बट उसमें हमला शब्द है डिस्ट्रक्शन शब्द है हम जलाना शब्द नहीं है तो इन्होंने ये अजूम कर लिया है डिस्ट्रक्शन किया होगा और फ फूल चढ़ा दिया होगा ये इनका इंटरप्रिटेशन है तो यही चल रहा है बस मतलब वो तो वहां प लूट करने गया था रार ये तो यह भी बोलते हैं कि बख्तियार नेवर वेंट टू नाल लंदा बट वो उसका नाम जो शहर का नाम है वो ऐसे ही रख दिया हमने स्टेशन का नाम बख्तियारपुर हम कह रहे कि भाई बख्तियारपुर जो है उसका नाम चेंज कर देते नहीं नहीं ये नहीं कर सकते आप अरे कैसी बात कर रहे हो भाई तु वही चीज है जैसे अभी बात उठती है कि आप बोलते हैं कि मंदिर नहीं बनाना चाहिए था यूनिवर्सिटी बनानी चाहिए थी अब नालंदा बना दी तो यूनिवर्सिटी नहीं बनानी चाहिए थी इनको अपने हिसाब के चाहि चाहिए यहां पे हॉस्पिटल होना चाहिए तो नहीं यूनिवर्सिटी बनाओ पर नालंदा के नाम प नहीं बना क्यों ना वो रिक्लेमिंग योर हिस्ट्री जो है वो कैसे कर सकते हैं क्लेम यही तो बात है दैट इज व्हाई वी कॉल देम डिस्टोन नॉट हिस्टोरियंस हम तो ये एक जो हम देख रहे हैं अभी इस पर भी हम आएंगे कि लेफ्ट लेफ्ट विंग को ऐसा क्या कहते तो है तो वो भी भारतीय ही हां मन से हो ना वो मुझे नहीं पता ब लेकिन है वो भारतीय ही उनको भारतीय परंपरा से क्या प्रॉब्लम्स है वो हम डिस्कस करेंगे साथ में जब हम बासेस की आपने बताया कि हमें प्राइमरी सोर्सेस प जाना चाहिए सेकेंडरी टर्श पे आने आते वो तीन का 13 होता है तीन का 13 नहीं वो सूर्य की अग्नि आ जाती है आप में तो अभी इसमें मुझे ये जानना है कि अभी रिसर्च करते समय पिछले पांच छ सालों में ऐसा कोई चीज जो आपको लगता था कि ऐसी है ऐसी पढ़ी है और यही है आपका विश्वास भी था लेकिन रिसर्च के दौरान आपको लगा नहीं भाई ये तो कुछ अलग ही है ना ये पूरी डॉक्यूमेंट्री बनी है उस पर जो स्वस्तिक वाली है हम हमारा बना ही इसलिए है क्योंकि सबसे पहले आपको ये प्रॉब्लम आपके लिए ये एक आई ओपनर होगा फिर आप आई ओपनर था ऑफकोर्स जब ये हमने स्कूल में पढ़ा था या फिर फिल्मों में जिस तरीके से मैंने हॉलीवुड की काफी फिल्में देखी उसमें इसी नाम का प्रयोग किया गया है हिटलर के साथ स्वस्तिक क एनसीआरटी में नाइंथ में हमें पढ़ाया जाता है कि यह जो चिन्ह था था ये स्वास्तिक से इंस्पायर्ड था हिटलर का हम और उसके अराउंड वो आर्यन आर्यन आइडियो जीी वगैरह वो सारा घुमाकर आपके सामने एक ऐसी पिक्चर बना दी जाती है कि जो हिटलर था वो भारत के या हिंदू धर्म के इस चिन्ह से इंस्पायर्ड था मैं आई थिंक 11थ में था और मेरी क्लासमेट थी एक उसके उसके जो फादर थे वो मेरी मासी के फ्रेंड थे ठीक है तो वो घर पे आए हुए थे अब उन्होंने घर पे आके मतलब स्वास्तिक बना हुआ था घर पे तो उन्होंने घर पे आके कहा अरे ये तो हिटलर का सिंबल है ही सेड ये उस टाइम की बातें हैं जब हम स्कूल में थे और ये मतलब हम तो सोच भी नहीं सकते हैं कि इस उस सिंबल को देख के ऐसा वो हैक एंड क्रूज वाली जो नहीं बट क्या है ना कि ये हमें भी नहीं पता था ये लोगों की गलती नहीं है लोगों के मन मस्तिष्क में इस चिन्ह को स्वस्तिक बना दिया गया और उसका और कभी-कभी क्या होता है ना कि ये आत्मघाती इसलिए भी होता है कभी-कभी कुछ लोग इसमें प्राइड भी लेते हैं कि हमारा सनातन हा वहां जर्मनी तक था हिटलर ने यूज किया बट वो जो रिपर है वो नहीं समझते हैं कि ये चीज ऐसी नहीं थी क्रिश्चियनिटी ने तो धीरे से अपना दबा लिया मैंने डॉक्यूमेंट्री आपकी देखी कि कैसे वो दुम दबा के किनारे हो लिए और इधर छोड़ दिया आर्यन थेरी पे और इन सब चीजों पे अब आप भुगते रहो अब जो भारतीय जा रहे हैं जर्मनी में या फिर कैनेडा में यूएसए में मेरा एक वो हेट क्राइम सहते हैं ना मेरा मित्र है एक कनाडा में वो भाई साहब उसका फोन आया मेरे पास डॉक्यूमेंट्री तब तक बनी नहीं थी उसने कहा कि यार मैंने गाड़ी ली और गाड़ी ली तो मैं मंदिर गया हम मंदिर गया तो उसने पंडित जी ने बोनट पे स्वास्तिक बना दिया यूएस में कैनेडा मेंड में तो अब वहां से वो वापस अपने घर जा रहा था रास्ते में एक जूज की कॉलोनी पड़ी वो नया-नया वहां पे गया हुआ था तो उसको पता नहीं था यहां पे जूज की कॉलोनी है तो जूज ने देखा और जूज ने उसको पकड़ के पीट दिया ठीक है अब उनके मन में क्या है कि ये स्वास्तिक और जो वो है वो सेम है हे कन क्रूज और स्वास्तिक सेम है हिटलर का सिंबल है नाजी सिंबल है तो यू आर अ नाजी नहीं उनको पता ही नहीं है इस चीज तो वही यहां से सारी प्रॉब्लम आती है मतलब आप एक घड़ी को तो आप ये कह रहे हो कि हिंदू और यहूदी भाई भाई आज के टाइम में तो नैरेटिव यही चल रहा है अगर आप बुकिश लैंग्वेज में जाओगे तो ऐसा नहीं है बट बट क्या है कि जूस जो है वो एक छोटे से देश में सिमटे हुए हैं ऐतिहासिक रूप से सारी जो चीजें हैं वो जब जब आप देखते हो तब आपको यह नैरेटिव जो आज चल रहा है वो सही लगता है क्योंकि कहीं कहीं ना कहीं दब कुचली आवाज मुझे हिंदुओं की भी लगती है और जूस के साथ भी ऐसा हुआ है ऐतिहासिक रूप से तो इस कारण से हां इस कारण से और एक कॉमन जो एक सरकमस्टेंसस रही हैं उसकी वजह से हमें दिखता है मुझे तो कई बार यह भी लगता है कि थोड़े बहुत दिनों में जूज को ब्राह्मण घोषित कर देंगे तो जू वो ब्रा एक्चुअली ब्राह्मण है और अभी जो ये ओवैसी साहब ने किया अपना जो जय फिलिस्तीन वाला जय फ यार देखो यह हमारा कल भी एक डिस्कशन हुआ था इस मुद्दे पर जो हमने कल रिकॉर्ड किया है भटके हुए हुआ उसमें मेरा उत्तर यही था के आज की डेट में इजराइल एजिस्ट करता है और जिस भूमि पर एजिस्ट करता है वह आज से 1948 से पहले जो 19 मई 1948 से पहले वह फिलिस्तीन हुआ करता था आधिकारिक रूप से यूएन में 1948 में इसको इजराइल घोषित किया गया है उसके बाद जो युद्ध हुए हैं उसमें इजराइल ने और भूमि छीनी है जिसमें सिर्फ गाजा पट्टी मोटा मोटा रूप से रह गई है और बीच में छोटे-छोटे से एरियाज है जो फिलिस्तीन कहलाता है आज की डेट में तो फिलिस्तीन एक्जिस्ट ही नहीं करता है भूमि पर अगर आप वैसे देखें तो बहुत छोटा सा एरिया है बट लोगों के मस्तिष्क में उसको उसका घेराव रखने के लिए उसको जिंदा रखने के लिए कभी कोई पाकिस्तानी प्लेयर मैन ऑफ द मैच बनने के बाद उस चीज को बोलता है हम वही मैंने बोला यह सब कहानियां है आप देखिए तो क्या है एक नैरेटिव है कहानी है कि आपका ऐसे बताया गया आप दुनिया भर के जितने लोग हैं उसके पीछे लगे हुए जबकि उनका ना लेना देना है फिलिस्तीन से और ना कुछ बस कहानियों की तरह व नशा कर कहानी से भी नहीं कहानी से भी आगे बढूंगा मैं यह बेसिकली विचारधारा वाली बात है आपके पास विचारधारा कहानी से बनाई ना वही कहा उसमें भी क्या है कि आपके पास एक विचार ऐसा उत्पन्न किया गया आपके मस्तिष्क में के देर इज नो नेशन स्टेट देर इज ओनली उम्मा तो क्या होता है कि एक यूएस में बैठा हुआ मुसलमान जो कि अपना काम कर रहा है वहां पर उसको अचानक से आता अरे मेरे तो उम्मा का उम्मा का नागरिक हूं जो एजिस्ट नहीं करती जो एसिस्ट नहीं करता है जोक आज की डेट में आप देख लो ना पाकिस्तान अफगानिस्तान एक दूसरे को गई उ पाकिस्तान के अंदर बैठा अहमदी हम जिसने एक्चुअली पाकिस्तान बनाने में सबसे अधिक योगदान दिया वो अहमदी मुसलमान जो है व जूते खाता है वहां पर वो मुसलमान ही नहीं है वहां पर तो यह उम्मत का जो कांसेप्ट है ये एक फ्रॉड कांसेप्ट मैं इसको मानता हूं जो प्रैक्टिकल जो जमीन पर है धरातल पर है बाकी कहानिया में आप मस्तिष्क में रखे जाओ भाई अभी इसमें क्या है कि एक बात बोली भाई ने कि 1948 से पहले वहां पे फिलिस्तीन हुआ करता था गेम यही बना रखा है इन्होंने कि उससे पहले तो फिलिस्तीन था हां हां ये क्या इजराइल कभी था ही नहीं लेकिन आज से दोढाई हजार साल पहले इजराइल हुआ करता था वहां से फिर फिलिस्तीन बना और उसके बाद फिर इन्होंने इजराइल फिर से रिक्लेम किया क्योंकि इन्होंने उस धरती पर उस भूमि पर यहूदियों ने अपनी जो अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी थी तो ये बेसिकली इजराइल था इजराइल को फिलिस्तीन बनाया गया फिलिस्तीन को लेम कर क्या होता है ना यही यही बसेस है कुछ लोगों की हिस्ट्री वहीं तक जाती है जहां तक उनका फायदा है बहुत से लोगों की हिस्ट्री मुगल तक जाएगी उसके ऊपर पहले जाएगी नहीं मुगल से ही भारत मुगलों ने बनाया और वहीं से भारत फिर चल रहा है सेथ से लेकर 10थ सेंचुरी तक गायब मिलेगा आपको अली खान की हिस्ट्री म ही वा हिस्ट्री बफ तो भाई साहब ने बोला कि इंडिया नेवर एसिस्टेड बिफोर महाभारत तो यूं ही लिख दिया हमने उसमें भारत जो शब् तो ऐसे ही लिख दिया तो मजे मजे में कुछ होगा ठीक है तो ये बायसेल दिया गया है वो उसी को घिसे चले जा रहे हैं क्योंकि जब हम भारत की बात करते हैं जब भारत देश में बहुत से अभी विचारधारा तो यह ग्लोबल है जैसे आपने उम्मा की बात की या फिर अभी जब भारत में भी कोई बात होती है तो सबसे पहले देखा जाता है कि ये लेफ्ट विंग से आ रही है कि राइट विंग से आ रही है उसके बाद उस बात पे जाया जा जाता है है ना और मोस्टली क्या होता है राइट विंग की बातों को वो वो सीरियसनेस नहीं मिल रही है जो लेफ्ट विंग की बातों को मिलती है पहले तो मैं आपसे जानना चाहूंगा राइट विंग और लेफ्ट विंग क्या है मेरी ऑडियंस भी जान जाए वैसे चेहरे तो जानते ही हैं लेकिन वो आइडियो आई कहां से है कैसे हैं और दूसरा यह लेफ्ट का इकोसिस्टम और वर्सेस राइट का जो इकोसिस्टम है इसमें यह जो हम डिस्पर्टी देखते हैं जो हम डिफरेंसेस देखते हैं इसका और क्या बड़ा रीजन है जो एक चीज और भी है कि क्या क्या भारत में लेफ्ट और राइट एजिस्ट करता है करता है और क्या भारत में चाहिए भी ये थरी आई कहां से है देखो क्या है कि अगर हम इसको हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव में समझने की कोशिश करते हैं तो 1789 में जो ये लेफ्ट राइट का चलन जो है वो स्टार्ट होता है फ्रांस के रेवोल्यूशन के बाद अच्छा क्या था राजा था हम राजा के कुछ विरोधी थे और कुछ उसके पक्ष में थे जो लोग अमीर थे जो लोग अच्छा खा कमा रहे थे उस टाइम वो क्यों बदलाव चाहेंगे वो बदलाव नहीं चाहते थे तो उन्होंने राजा के पक्ष में रहना शुरू किया और कुछ विरोधी थे उसके वो विपक्ष में थे अब विपक्ष अब क्या होता है ना कि जब हमारी विचारधाराएं मिलने लगती है तो हम एक साथ बैठने उठने लगते हैं तो विपक्ष वाले जो थे वो एक साइड बैठने लगे और पक्ष में जो राजा के थे वो एक साइड बैठने लगे तो एक राइट साइड में बैठते थे एक लेफ्ट साइड में बैठ राजा सेंटर में इधर राजा के पक्षधर इधर राजा के विरोधी अब जो विरोधी हो ग वो लेफ्ट में बैठते थे वो लेफ्ट हो गए और इधर राइट वाले जो थे वो पक्षधर हो तो ये इतना सिंपल मामला थाा ब ये जैसे जैसे फ्रांस से निकला क्योंकि फ्रेंच रेवोल्यूशन जो थी वह बहुत एक चिंतन का विषय बन गया था पूरे वैश्विक स्तर प तो जहां जहां पहुंचा जिस जिस तरीके से पहुंचा जिस जिस देश में पहुंचा वहां के लोगों ने अपने अपने समाज के हिसाब से उसको ढाल लिया फॉर एग्जांपल अब यूएस में जाकर आप देखोगे तो जो बिब्स बेल्ट है जो बेसिकली वहां पर दो टाइप के लोग हैं एक कंजरवेटिव है जो बाइबल के अंदर काफी मानते हैं और सारी चीजें एक है जो थोड़ा जो बिब्स चीजों को नहीं मान रहे हैं जो कहते हैं नहीं ठीक नहीं है ना मैं धार्मिक नहीं हूं मैं रिलीजियस नहीं हूं वो ऐसा बोलते हैं तो दोनों ही पक्ष काफी बड़े हैं वहां पर और जो वहां पर बिब्ब बोली जाती है व कंजरवेटिव यानी कि राइट विंग बोली जाती है उनके उनके भीतर विचार देखेंगे कि इवन अर्थ फ्लैट तो अब नहीं बोलते हैं वो ब बोलते थे पहले बहुत बड़े बड़े ये प्रश्न आने वाला था वो तो मैं करूंगा क्योंकि दस जैसे कि एलजीबीटी क्यू कम्युनिटी है लेस्बियन गे वगैरह इस टाइप की जो कम्युनिटी होती है उनको वो नहीं मानते उनके अधिकारों को वो प्रश्रय नहीं देते हैं तीसरा अबॉर्शन को लेडी है कोई अबोर्ड को फॉर एग्जांपल ठीक है कई रीजन होते हैं है तो उसके वो खिलाफ हो जाते हैं अब ये क्या ये रीजन वहा जब फ्रेंच रेवोल्यूशन हो रही थी तो वहां पर भी वो अलग मामला है हर हर कंट्री के परिवेश में लेफ्ट राइट का कांसेप्ट अलग हो जाता है अपने हम अपनी कंट्री के सोशल स्ट्रक्चर है उसके अनुरूप लेफ्ट राइट के स्ट्रक्चर को डालते कैसे डिसाइड करते हैं लेफ्ट कौन जाएगा राइट कौन जाएगा नहीं अब क्या है ना कि देखो जैसे लेफ्ट कौन जाएगा राइट कौन जाएगा एक एक थ्योरी बन चुकी है बेसिकली जैसे कि यूएस में मैंने आपको बताया कि यूएस में ये तीन चार चीजें मेन है ठीक है अब फॉर एग्जांपल अबॉर्शन राइट्स है हां हां जो राइट वाला होगा वो कहेगा कि ये अबोर्ड नहीं करा सकते हैं आप एक जिंदगी को मार रहे हो हम क्योंकि वो बाइबल से आ रहा है सीधा कांसेप्ट लेफ्ट वाला कहेगा कि भाई उसका राइट है उसकी बॉडी है हम ठीक है और जो मिडल में होगा ना वो कहेगा यार ये भी सही कह रहा है यह भी सही कह रहा है वो फस जाएगा ये लेफ्ट और राइट का जो कांसेप्ट है यूएस में इस टाइप से है लेकिन जब आप इसको इसमें फिर ब्लैक्स और नॉन ब्लैक्स ब्लैक्स एंड वाइट्स के बीच में भी डिफरेंस आ जाता है यूएस की अगर हम बात करें तो तो ब्लैक्स हैं वो वो सोशल चेंज चाहते हैं दास प्रधा भी थी और सब कुछ भी था वहां पे तो वो सोशल चेंज चाहते हैं और वाइट्स जो है वो चाहते हैं कि ऐसी ही व्यवस्था बनी रहे तो भाई वाइट्स जो हो गए वो राइट साइड में आ गए और ब्लैक्स जो हो गए जिनको सोशल चेंज चाहिए वो लेफ्ट में आ गए अब इसी को आप भारत के परिवेश में डाल दो जो चाहते जो सो कॉल्ड निम्न जातियां जिनको बोलते हैं वो जो हो गई वो चेंज चाहती है तो वो लेफ्ट में आ गई और जो राइट में आ गए जो अपर क्लास जिसको बोलते हैं तरीके से आप इसको साकृति परंपरा ना कि भारत में इतना सिंपल है नहीं भारत में क्या है कि भारत में इसको आप इसका इंप्लीमेंटेशन जो है वो सोच भी नहीं सकते क्योंकि क्या हिंदू कम्युनिटी एलजीबीटी क्यू राइट्स के बारे में कुछ सोचती है इस तरीके से कि उनको राइट्स नहीं मिलने चाहिए मुझे नहीं लगता मैंने कोई एकद धर्म गुरु वगैरह बीच-बीच में कुछ आवाज उठा देते हैं वो एक अलग बात है बट लार्जर कम्युनिटी इस टाइप से नहीं सोचती है इसमें दो तरीके के अगर हिंदू कम्युनिटी की बात करें तो इसमें दो तरीके के लोग होते हैं एक ट्रेड्स हो गए एक फिर नॉर्मल जो नॉन ट्रेड्स हो गए ठीक है तो उसमें फिर डिस्टिंग्विश आ जाती है जो ट्रेड्स होते हैं वो कहते हैं टैड्स भी नहीं सोचते यार ट्रेट्स भी सोचते कु डस भी मैंने एलजीबीटी क कम्युनिटी के बारे में उस तरीके से बात करते हुए नहीं देखे हैं वो अर्थ फ्लैट भी नहीं बोलेंगे आपको वो अबॉर्शन राइट्स में भी कुछ वो नहीं घु सेंगे इस टाइप का मैंने नहीं देखा है ट्रेड्स का अलग मामला है ट्रेड्स का जो है वो उस तरीके से बोलते हैं कि भाई जो जाति प्रथा जिस तरीके से जन्म के आधार पर बना बनी हुई है जन्मना जाति जिसको बोलते हैं कि ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण दलित का बेटा दलित और उस टाइप का जो एक थॉट प्रोसेस है वो ऐसे ही चलता रहना चा और उसके भी इनके जो इनके जो थॉट्स हैं वो क करपात्री जी थे एक अच्छा हा करपात्री जी उनके उससे आते हैं वो करपात्री जी तो अपनी किताबों में लिख गए कि भाई शूद्र को तो दूध भी नहीं पीना चाहिए अब ऐसा थॉट प्रोसेस आज की डेट में आप इंप्लीमेंट करोगे क्या मतलब नहीं और कोई हिंदू सपोर्ट भी नहीं करेगा मुझे लगता है तो ये बेवकूफी वाली बातें ये ट्रेट्स जो है वो कर रहे हैं ये सारी चीजें इंप्लीमेंट करने लायक नहीं है मतलब देखो ऐसा नहीं है कि उनका उनका मैं विरोधी हूं या उनकी क बात आपको लगी नहीं नहीं कभी-कभी होता है और मैं अभी आज के समय में ऐसा होता है कि ऐसे भी लोग हैं जो शंकराचार्य जी की बातों को एज इट इज फॉलो करना चाहते हैं और ऐसे भी हिंदू मुझे लग रहा है मोस्टली ऐसे हिंदू हैं जो बातों को फिल्टर करते हैं बातों को समझते हैं जस्ट बिकॉज कि वो किसी ग्रंथ में है वैसा नहीं लेते मैं भी सुनता हूं चार बातें मुझे भी लगता है कि हां यहां शंकराचार्य जी का ये ये कहना सही नहीं है वो मेरे और ऐसे भी हिंदु ऐसा कोई आपका कोई गला नहीं काट देगा कि अगर मैं शंकराचार्य जी का ऐसे बोलू कि भाई इस बात से मैं सहमत नहीं हूं तो वही अभी आप करपात्री जी की बात कर रहे तो वही मैं आपको बता रहा हूं कि इतना जो हम और इसमें मैं अंबेडकर जी की भी बातों को कभी-कभी बहुत सीरियस लेता हूं जब वो कहते हैं कि हिंदू कम्युनिटी चूहे की तरह है वो अपने-अपने ग्रुप बना के बैठी है उनको नहीं लार्जर जो ये हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं ऐसा कभी कुछ नहीं होगा क्योंकि हिंदुओं को है ही नहीं मतलब पी ही नहीं हिंदू राज की बातें केवल शंकराचार्य जी के मुंह से ही अच्छी लग रही है क्योंकि नॉर्मल हिंदू को पड़ी ही नहीं है कि उसको हिंदू राष्ट्र चाहिए इसीलिए कोई हिंदू देश नहीं है सही बात है जस्ट बिकॉज कि सब अपनी जाति कम्युनिटी में ही बटे रहे सबको अपनी कम्युनिटी की ही चिंता है रदर देन की जो जैसे आज आप उम्मा की बात करते हैं ऐसा कुछ हिंदुओ में होने वाला नहीं क्योंकि हमारे डीएनए में वो है ही नहीं उस तरह से हमने सोचा ही नहीं है तो यह सब चीजें जब हम शंकराचार्य जी के मुंह से सुनते हैं कि हिंदू राष्ट्र बनेगा यह वो तो एक तरह से बस एक आइडियो जीी पर उसमें हिंदू राष्ट्र को हम मुस्लिम राष्ट्र से कंपेयर कर देते हैं वहां पे दिक्कत आ जाती है हिंदू राष्ट्र और मुस्लिम एक इस्लामिक राष्ट्र में अंतर होता है और हिंदू राष्ट्र में हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि उसी की तरह जैसे सऊदी अरेबिया बन गया वो सब जो वैसा नहीं होगा उसमें अगर आप किसी से भी बात करो तो उसमें अधिकार सबको हैं बराबर क्या अभी क्या है कि अभी हिंदू जो है वह भारत में हम इक्वल राइट्स मांग रहा है वो कह रहा है कि भाई बाकियों को आपने माइनॉरिटी को हमसे अधिक राइट्स दे रखे हैं जबकि उल्टा होता है हर देश में बहुसंख्यक को आप ज्यादा राइट देते हो और माइनॉरिटी को कम राइट्स देते हो और जिसके लिए माइनॉरिटी लड़ती हैं यहां पे हिंदू लड़ रहा है कि भाई हमें राइट्स दे दो बराबर के राइट्स दे दो उनको आपने अधिक उनका अपीज मेंट कर रहे हो आप तो ये तुष्टीकरण जो सारी चीज वो वहीं से आती है कि आप उनका इतना अपीज कर रहे हो कि आपने उनको हमसे बहुत ज्यादा राइट्स दे दि जैसे आपका ये व वक्फ वाला एक्ट आ गया तो उसमें आपने एब्सलूट पावर दे दी ना कि दिल्ली जो है वो 77 प्र जो है वो वक्फ का है आपका जो घर है वो हो सकता है व आके कह दे भाई साहब अच्छ दिल्ली जो है 7 पर ऑफ दिल्ली जो है वो वक्फ क्लेम करता है कि हमारी प्रॉपर्टी मतलब ये कैसे ये आज तक मुझे समझ मैं आपको समझाता हूं इसका क्या तरीका है के जो वक्फ का वक्फ का मामला है पूरा ये बेसिकली अंग्रेजों ने इनको नहीं माना वक्फ को उस तरीके से ये नहीं व वक्फ की थोड़ी इतिहास बताइए बेसिकली हां मैं वही बता रहा हूं आपको वक्फ का बेसिकली मतलब होता है कि फॉर इस्लामिक प्रॉपर्टी इसका बेसिक अर्थ यही है जो दो शब्दों में अगर बताऊ तो इस्लामिक प्रॉपर्टी ये ये जो प्रॉपर्टी है जमीन है ये अल्लाह की प्रॉपर्टी है इसका शाब्दिक अर्थ यही है और वनस वक्फ ऑलवेज व क्योंकि अल्लाह की जो जमीन है आप अल्लाह से थोड़ी ले लोगे नहीं ले सकते ना तो ये बेसिकली उसका अर्थ होता है अब इसको 1954 में जो हमारे प्यारे नेहरू जी थे वो लेकर आए उन्होंने हर राज्य का एक अलग अलग वक्फ स्थापित कर दिया तो उसमें यह भी हुआ कि जो भारत के जो मुसलमान थे वो पाकिस्तान चले गए थे पंजाब क्षेत्र से पार्टीशन के समय में तो उनमें से काफी प्रॉपर्टीज तो जो हिंदू वहां से आए थे पाकिस्तान से उनको मिल गई थी बाकी जो बची हुई प्रॉपर्टीज थी वो वक्फ को दी गई है 1954 में 1954 में वक जो यहां पे मुस्लिमों ने खाली की है वो प्रॉपर्टीज वक्फ को वक्फ को मिली है 1954 में फिर यह वक्फ बोर्ड बनता है और इन इन इन प्रॉपर्टीज पे वक्फ क्या करता है मैं वही बता रहा हूं 1954 में जो वक्फ बना ठीक है और उसके बाद हर राज्य का एक अलग वक्फ था फिर 1965 में इसको थोड़ा सेंट्रलाइज किया गया कि भाई आपको जैसे कहते हैं ना एक परफॉर्मेंस मेजर करना कि कौन सा क्या काम कर रहा है तो उस टाइप से वो बना बट 1995 में यह पूरी स्थिति बहुत बदल गई क्योंकि 1995 में जो 1995 वर्क फैक्ट है वो आता है और उसका मतलब क्या होता है बेसिकली मैं आपको बहुत सरल शब्दों में बताऊंगा कि कोई बच्चा भी समझ जाए कि फॉर एग्जांपल एक व्यक्ति है अब्दुल एक व्यक्ति है संजय हम अब्दुल को दिख रहा है कि संजय के पास जमीन है यहां पर हम अब्दुल अपने आप को वक्फ डिक्लेयर कर देगा एक इंडिविजुअल है वो बट वो अपने आप को एक वक्फ डिक्लेयर करते हुए वो कह सकता है कि संजय के पास जमीन के कागज नहीं है तो यह कब्रिस्तान की जमीन है यह जमीन जो कब्रिस्तान की जमीन है यह मैंने सोच लिया अपने दिमाग में क्योंकि मैं वक्फ हूं और उसके बाद अब्दुल जो है वह वक्फ बोर्ड के पास जाकर कह सकता है कि यह कब्रिस्तान की जमीन है वक्फ बोर्ड देखेगा कि वक्फ बोर्ड उसका स्वयं मूल्यांकन करेगा उस जमीन का और वर्क्स बोर्ड उसको कब्रिस्तान की जमीन डिक्लेयर कर देगा अ उसके बाद संजय को वक्स बोर्ड को यह बताने को भी जरूरत नहीं है कि भाई आपकी जमीन जो है वो एक्चुअली में कब्रिस्तान की जमीन है हम आप 1 साल तक अगर संजय को नहीं पता चलता कि ऐसा हो चुका है मामला हम तो एक साल बाद संजय अपील भी नहीं कर सकता अच्छा संजय अपील जो है 1 साल के अंदर कर सकता है और वो भी वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट में वो भी नॉर्मल कोर्ट नहीं ट्रिबल कोर्ट में जाकर व वालो की एक अलग से कोर्ट है हा तो एक पैरेलल गवर्नमेंट की तरह के आप इसको लगा सकते तो उसम बेसिकली य है ना वक्फ अगर उसने वक्फ ने कह दिया संजय की जमीन मेरी है तो व उसको कोई नोटिस नहीं भेजेगा अच्छा अगर संजय के दिमाग में खुद से आ गया कि वक्फ ने ऐसा सोच लिया है बात है अरवा वो नोटिस नहीं भेजता नहीं नहीं क्या है कि इसमें जैसे फॉर एग्जांप तमिलनाडु में एक एग्जांपल बताता हूं एक आदमी थी उसे अपने जमीन बेचनी थी तोब जमीन बेचनी है तो उसे कागजी कारवाही करनी होती है पहुंचता है वहां पर ऑफिस में उसकी बेटी की शादी थी बेटी की शादी के लिए वो जमीन बेच रहा था और उसके लिए वो ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस पहुंचता है वहां पर कहता है भाई जमीन बेचनी है मुझे ये ये चीजें चाहिए कहता है कि आप ना नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेकर आओ वक्फ बोर्ड से हम हम क्या आपको ये जमीन बेचनी है वो कह रहा ये कौन सा बोर्ड क्या है ये ये पता नहीं होता क्या है ठीक है और उस व्यक्ति को फिर वो देखता है भाई फिर बाद में पता चलता है कि इसका जो पूरा गांव है वो पूरा गांव ही पूरा गांव बिका हुआ है पूरा गांव वक्फ ने क्लेम कर रखा है अरे एक 1500 साल पुराना मंदिर था उस मंदिर को कह दिया ये वक्फ प्रॉपर्टी है अलाहाबाद हाई कोर्ट अलाहाबाद हाई कोर्ट भागा भागा फिर रहा है सुप्रीम कोर्ट के पास भाई साहब बचा लो वक्फ की प्रॉपर्टी घोषित कर जो है वो वक्फ की प्रॉपर्टी बताया हुआ है मैंने कभी सुना था कि कोई कोर्ट भी है जो वक्फ हाई कोर्ट ही तो है वो सुप्रीम कोर्ट के पास गया सुप्रीम कोर्ट के से कह रहा है कि भाई साहब इन्होंने तो हाई कोर्ट ही ले लिया हम क्या करें वो कह रहे हो भाई बचाते रुको अब वही चीज है कि जो वक्फ यहां कर रहा है ये चीजें ये लोगों को नहीं दिखती और जब चर्चा होगी जैसे अभी थोड़ा सा भी कुछ कहीं कोई जय श्री राम बोल देगा तो उस पर चर्चा बहुत बड़ी हो जाएगी और 50 कारनामे खुद किए हुए हैं वो चर्चाएं नहीं होती है अभी आपने जय श्रीराम की बात करी मतलब मैं एक इसमें संदर्भ डालना चाहता हूं बेसिक केलिए अभी भाई ने बोला था कि आपको एक एनिमी चाहिए है ना तो एनिमी क्या होता 2002 के दंगे याद होंगे सबको ठीक है 2002 के दंगे अरुंधती रॉय आर्टिकल लिखती थी उस टाइम टाइम पे कहानियों की इतनी बात चल रही है मतलब फिक्शन से नॉन फिक्शन में आना हुआ अरुंधति रॉय भी वैसे ही हु पर उनका तो नॉन फिक्शन भी फिक्शन ही था अब अरुंधति रॉय का आर्टिकल आता है 2002 के आसपास और दंगे पीक पे हैं उस टाइम पे एक आर्टिकल लिखा उसमें क्या लिखा था कि एक मेरी दोस्त का फोन आया मेरे पास रो रही थी वो बहुत बुरी तरीके से रो रही थी और 15 मिनट तो उसको स्टेबल करने में लग गए मुझे फिर 15 मिनट स्टेबल होने के बाद उसने मुझे बताया कि मेरी दोस्त मरियम उसको तो उसके साथ हिंदुओं ने बहुत बुरा किया उसको उसका पहले पेट फड़ा पेट फाड़ने के बाद उसमें जलता हुआ कोयला डाला फिर वो जलते हुए कोयले से जब तड़प तड़प के मर गई उसके बाद म के माथे पर ओम गोंदा गया ओम लिखा गया तलवारों से यहां पर ओम लिखा और फिर जब मरियम ही थी मेरे ल नाम तो मरियम उसके बाद मर गए और कोई सुनने वाला नहीं है कोई देखने वाला नहीं है एब्सलूट अनार्की यह अरुंधति रॉय का आर्टिकल था ठीक है अब उसके बाद आर्टिकल पढ़ते बवाल मत जाता पूरा देश कहता अे ये कर दिया यार ये तो भयंकर हो गया ठीक है अब जाती है पुलिस के पास एक मतलब कोई वहां का बंदा होता है भाजपा का बंदा होता है वो कहता है यार इतना भयंकर कर दिया ये तो संज्ञान लेना चाहिए भाजपा का ही रूल था उस टाइम प तो वो पुलिस के पास जाता है पुलिस को जिस वड़ोदरा की बात है आई थिंक तो वडोदरा में पुलिस के पास जाता है वो पुलिस से कहता है कि ये तो देखो भाई ये आर्टिकल छपा है इतना भयंकर हो गया आप क्या संज्ञान ले रहे हो तो उसने कहा कि अच्छा वो ढूंढने जाते हैं तो यहां तो कुछ नहीं हुआ अच्छा फिर वो कहते हैं कि इस नाम की कोई महिला कहते इस नाम की तो महिला ही नहीं है कुछ ऐसा है ही नहीं तो फिर पुलिस जाती है वहां से अरुंधती रॉय के पास और अरुंधती रॉय से बोलती है कि तुम हमें सपोर्ट करो ये महिला को ढूंढने में हम इहे इंसाफ दिलाएंगे ठीक है अरुंधति रॉय पुलिस के ऊपर चीखती है और कहती है कि आप आपको कोई अधिकार नहीं है कोई लॉ ऐसा है नहीं जिसमें आप मुझे फोर्स कर सको यह बताने के लिए कि कौन किस ने कहां कैसे क्या किया है और किसके साथ क्या हुआ है आपको आपको स्टोरी लिखनी है और अपनी महिला मित्र को आपको इंसाफ दिलाना है लेकिन पुलिस जब पूछते है तो आप कहते हो कि नहीं नहीं आपको कोई अधिकार ही नहीं है आपको कोई लॉ ही ऐसा नहीं कहता तो ये सरासर फेक न्यूज़ उसने छापी थी और माहौल बनाया ओम के अगेंस्ट तब जयश्री राम वाला इतना नहीं चल रहा था ना अभी क्या है अभी वो जय श्री राम को मतलब आप अगर लगातार आर्टिकल्स देखोगे ना तो 00 आर्टिकल्स मैं आपको भेजता हूं जिसमें यह लिखा होगा कि जय श्री राम इज अ वर क्राई जय श्री राम इज अ वर क्राई जय श्री राम बोल के मुस्लिम्स को लिंच किया जा रहा है और ये आई थिंक बीबीसी का इसम आर्टिकल है जिस पर बीबीसी यह कह रहा है कि भाई जय श्रीराम अब वर क्राई नहीं बचा है वो अब आतंक की आवाज बन चुका है इट इज नॉट इवन अ वर क्रा इट इ आतंक की आवाज यह बीबीसी का आर्टिकल है ठीक है तो अब उसको जो ओम को उस टाइम पे अरुंधति रॉय ने करने का प्रयास किया वह अब जयश्री राम को करने का पूरा पूरा प्रयास किया जा रहा है आर्टिकल्स लिख लिख के और फिर इसके बियोंड एक चीज होती है जो एमिनेंट पर्स पर्सनालिटी होते हैं जैसे हमारे अनुराग कश्यप जी हो गए या फिर मतलब इस तरीके के और जितने भी लोग हो गए वो जो बॉलीवुड से रखते हैं अपना सरोकार जो राइटर्स हैं उनमें से बहुत सारे लोग आर्टिकल एक पत्र लिखते हैं प्रधानमंत्री को और कहते हैं कि जय श्री राम को आप अब एक वॉर क्राई घोषित कर दो क्योंकि ये मतलब इस तरीके से मुसलमानों को जय श्री राम बोल बोल के लिंच किया जा रहा है तो ये पत्र लिखते हैं एमिनेंट पर्सनेलिटीज तो पूरा का पूरा षड्यंत्र किया गया कि जयश्रीराम को एक ऐसा नारा एक टेररिज्म के इक्वेट कर दिया जाए अल्लाह अकबर बोल के मतलब आज तक आपने हजारों इंसिडेंट ऐसे देख होई है उस हजारों इंसीडेंट्स देखे होंगे जिसमें अल्लाहू अकबर बोलके किसी को काट दिया किसी को मार दिया या टेररिज्म हुआ उसके ऊपर कभी धर्म नहीं होता है कोई मजहब नहीं होता है यह सारी चीजें आ जाएंगी आतंक का कोई मजहब नहीं है लेकिन जय श्रीराम जो है वह आतंकी आतंकी स्लोगन हो गया है इनके अनुसार तो यह षड्यंत्र इस तरीके से रचे जाते हैं और ओम और यह मैंने दो एग्जांपल आपको दिए इसलिए और इसमें आप देखिए कितनी जल्दी विक्टिम का जो होता है और ऐसा नहीं कि केवल एक कम्युनिटी आप देखिए कि अभी जब भारत में वर्ल्ड कप हुआ और पाकिस्तान है उसमें आपने भी वीडियो बनाई कि जय श्री राम के नारे पे होला होने लगा सबसे ज्यादा डर ग पाकिस्तान के प्लेयर्स और रिटायर्ड ऐसे डर गए कि भाई क्या हो जाएगा और इतना सब कुछ करके जहां पे वीडियोस आती हैं कि श्रीलंकन प्लेयर्स को कन्वर्ट कर रहे हैं जहां पर शाहिद अफरीदी खुद ऐसी बातें कर रहे हैं गजवा हिंद की बात कर रहे हैं शो भक्तर तो मतलब नॉर्मल जनता से लोग एक्सपेक्ट कर सकते हैं कि हो सकता है बेवकूफ है धर्म में चूर हैं लेकिन आप इतने पढ़े लिखे इतने बड़े वर्ल्ड लेवल पे वर्ल्ड क्लास प्लेयर्स के बीच में हो जहां पर आप धर्म क्या होता है आपकी एक इंडिविजुअल आइडेंटिटी है वो आपके घर पे है या फिर आपका एक इंडिविजुअल मामला है वहां बीच में नहीं लाओगे आप इतने बड़े-बड़े आईपीएल और जो उनका पाकिस्तान प्रीमियर लीग होता है सब खेलते हैं तरह-तरह के लोग आते हैं क्रिश्चियन भी आ रहे हैं दूसरे धर्मों का आ रहे हैं एथी आ रहे हैं सब आ रहे हैं लेकिन उसके बावजूद जब आप एज अ प्लेयर ऐसा कर रहे हो तो आपकी स्टैंड में क्या होता होगा ये तो हम इमेजिन भी नहीं कर सकते बेसिकली इसका एक रीजन है ये जो हम पाकिस्तान की अभी हमने पूरी कहानी सुनी है ये कन्वर्ट करते हुए घूम रहा है एक प्लेयर दैट मींस प्लेयर है मौलाना है रिजवान तो अभी रिजवान की वो था कंटिन्यू करि एक जरा सी लाइन बोल रहा हूं तो रिजवान बेसिकली अभी न्यूजीलैंड गया और न्यूजीलैंड में सीरीज खेलने गया था वहां पे आज मैच है हम उससे पिछले वाले दिन भाई साहब लोगों को कन्वर्ट करते फिर रहे हैं सड़कों पे मतलब मस्जिदों में जा जा के या इस तरीके से वो यह सब चीजें कर रहे हैं तो उनका मुख्य काम अब हो गया है कि लोगों को कन्वर्ट करना है और सेकेंडरी चीज हो गई है क्रिकेट वो आपको उनकी परफॉर्मेंस में दिता क्रिकेट बचा भी नहीं उनका हां तो मैं यह बता रहा था कि ये देखो ये एक एक प्रोसेस रहा है पाकिस्तानी क्रिकेटर्स के रेडिकल बनने का रेडिकल भी क्या एक प्रोसेस इसको आप बोल सकते हो क्रिकेटर से मौलाना बनने का हम जो आदमी अगर कन्वर्जेंस करवाने में इतना आपको ब्रायन लारा एक कितना महान बल्लेबाज रहा है उस तक को कन्वर्ट कराने का प्रयास किया गया है पाकिस्तान के भीतर इंजी मामू इंजमाम हक तो अब मौलाना ही बन चुके उनकी जिस तरह की वीडि इट स्टार्टेड विद सईद अनवर एक्चुअली ना नो नो इट स्टार्टेड विद सद अनवर हां नो नो एक और था उसका मुझे उसका नाम था खालिद उम्र नाम था या क्या नाम था 18 सॉरी 1986 के अप्रॉक्स में वो खेलता था 80 में खेलता था लेटर 80 में क्या था कि उसका उससे पहले आप पाकिस्तान की क्रिकेट टीम को देखोगे आपको इमरान खान दिखेगा जावेद मिया दद और कई और बासित अली और कई प्लेयर्स हैं उनको आप शराब पीते हुए देख सकते हैं रज राजा आप आपको देखेंगे फोटो आप देख लीजिए नाइट क्लब्स में तो इमरान खान कितना घूमता था पूरी टीम उसका रीजन था बिकॉज क्या था ना काउंटी क्रिकेट जो होता था उस समय काफी महत्व होता था उसका तो टीम्स होती थी लीड्स की लेस्ट शरन इस टाइप की इस टाइप की टीम्स होती थी पाकिस्तानी क्रिकेटर्स भी खेलते थे तो करीब पाच छ एटलीस्ट चार महीने का तो होता था काउंट और इस कारण से जो जीवन ब्रिटिश जीवन था या ब्रिटिश प्लेयर्स जी रहे थे उसी जीवन के आदि ये लोग भी हो गए ठीक है आप देखो ना उस टाइम के जो क्रिकेटर्स हैं उनकी मैक्सिमम की जो वाइव्स है वो विदेशी है और बाहर ही रहते हैं वो वम हो ग उसके बाद फिर क्या होता है कि एक आ जाता है एक प्लेयर 18 सॉरी 1986 से अराउंड इसी टाइम के अराउंड था वो पहला फिक्सर भी बोला जाता है क्योंकि उसने स्पॉट फिक्स किया था उस टाइम तो उसको अजीवन बैन कर दिया गया था उसका रीजन यह बताया जाता है कि स्पॉट फिक्सिंग था बट एक और इंसीडेंट हुआ था तो ऑस्ट्रेलिया खेलने गया था वो पाकिस्तान का प्लेयर खालिद उम्र नाम था या क्या नाम था ऐसे ही कुछ था पीछे तो उम्र था तो वो एक वो अच्छा खेला था उस मैच में पर अपनी लापरवाही से आउट हो गया हम इमरान ट लापरवाही के कारण इमरान न जैसे ही वो ड्रेसिंग रूम में आया तो इमरान खान ने उसको डांटा उसने 46 रन बनाए थे और वो शॉट मारने के चक्कर में आउट हो गया फिर इमरान ने डाटा तो जैसे ही वो ड्रेसिंग रूम में आया तो यह सीन हुआ अब उसको बुरा लगा इस चीज का तो व पाकिस्तान पहुंचता है पाकिस्तान में वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहता है कि भाई ये जो टीम है ये इस्लाम से बहुत दूर हो चुकी है इस टीम में शराब भी पी रहे हैं यह अपना ड्रग्स वगैरह भी ले रहे हैं यह लोग लड़की भी कर रहे हैं इस इस टाइप के उसके संदर्भ में वो बोलता है उसे लगता है कि और वो एक्चुअली में दौर ऐसा था जब जियाउल हक जो था वह पाकिस्तान में एक डिक्टेटरशिप चला रहा था और जियाउल हक बेसिकली वह बंदा था जिसने पाकिस्तान में शरीयत कानून जो थे व इंप्लीमेंट करने शुरू कर दिए थे उससे पहले के पाकिस्तान और उससे बाद के पाकिस्तान में बहुत अंतर है 1978 से बाद के पाकिस्तान में और पहले के पाकिस्तान में बहुत अंतर मिलेगा आपको जियाउल हक शरीयत कोर्ट बेसिकली उसने बेंचे बिठा दिए थे जो एक्चुअल हाई कोर्ट है या सुप्रीम कोर्ट है उसके ऊपर एक शरीयत बेंच बैठ गई तो इस इस टाइप की चीजें उसने कर दी थी और हुदूगिरो थे मिलिटेंट्स टाइप के जो लोग थे वो आने लगे थे तो उस प्लेयर को लगता है खालिद उम्र को कि भाई मैं ऐसा करूंगा तो मैं बच जाऊंगा और मेरे टीम में कद बढ़ेगा क्योंकि इस्लामिक पाकिस्तान चल रहा है ये तो तो ऐसा होता नहीं है उसको बैन कर दिया जाता है हम खालिद उमर बाहर जाता है हम वो तबलीगी जमात जवाइन कर लेता है क्योंकि पाकिस्तान एटलीस्ट जो अ एक परिवेश था पाकिस्तान का वो इस्लामिक हो चुका था और जो मिडिल क्लास था पाकिस्तान का वो तबलीगी जमात को बहुत पसंद कर रहा था उसी टाइम बुक भी लॉन्च की गई थी तबलीगी जमात जो एक्चुअल बुक है वो भी लच की गई थी तो मिडिल क्लास में बहुत बिकी थी वो बुक तो मिडिल क्लास जो था पाकिस्तान का वो तबलीग जमात के उसमें फेवर में आ चुका था और ये प्लेयर जो है ये तबलीग जमात जवाइन कर लेता है फिर 19 945 के अप्रॉक्स एक और बड़ा प्लेयर जो होता है वो तबलीगी जमात जॉइन कर लेता है इसके इन्फ्लुएंस में आकर उम्र के और वो प्लेयर जो होता है उसका मुझे नाम याद नहीं आ रहा वो क्या करता है कि वो पाकिस्तान की जो एक्चुअल क्रिकेट टीम थी उसके ड्रेसिंग बोर्ड में ड्रेसिंग रूम में तबलीगी जमात के जो मौलाना होते हैं उनकी एंट्री करवा देता है वहां से और प्लेयर्स थोड़े बहुत सुनते हैं कैसेट्स मिलती है उनको और प्लेयर्स को फिर सईद अनवर की जो डॉटर होती है उसका देहांत हो जाता है तो उसका थोड़ा मानसिक संतुलन जो होता है वो थोड़ा डिस्टर्ब होता है और उसके कारण वो तबलीगी जमात में जाने लगता है बहुत लोग जुड़ने और उसके बाद क्या होता है मेन जो इंसिडेंट होता है वो 2003 के उसमें वर्ल्ड कप में होते हैं जब ये सद अनवर अच्छे मौलाना बन चुके थे ऑलमोस्ट बोलते हैं कि हमें वर्ल्ड कप जो है वो एंजल्स जिताएंगे बोलते हैं कि एक जो महिला है उसका किसी पुरुष के साथ संबंध शादी से पहले ठीक है है या नहीं अगर ऐसी कोई महिला करती है तो उसका सर हमें कलम कर देना चाहिए या नहीं ये ड्रेसिंग रूम की वार्ता है बाकी प्लेयर्स कह रहे होते हैं कि भाई इसका क्रिकेट से क्या संबंध है तो कहता है कि तुम जो है खराब मुसलमान हो तुम्हारे कारण हम हारेंगे यह सारे संवाद हुए हैं रिकॉर्डेड है जो पाकिस्तान के प्लेयर्स हैं शाहनवाज क्या नाम था उन्होंने अपनी पुस्तक लिखी है जो उसमें लिखे हैं ये तो यह सारी चीजें होती हैं अब इस इंसीडेंट के बाद जो सईद अनवर होते हैं वो इंजमाम उलक को अपने में कर लेते हैं और वो तबलीगी जॉइन कर लेता है तबलीगी जमात इंजमाम लक कैप्टन बनता है और वो फेवर करने लगता है उन प्लेयर्स को जो तबलीगी जो जमात के जो सम्मेलन है उसमें जाए या फिर उन चीजों को फॉलो कर तबलीगी जमात बताती है मतलब आप पहले अगर देखोगे ना पहले आपको यह नहीं दिखेगा कि जैसे आपने इंजमाम को सुना होगा सबसे पहले तो अल्लाह ताला का शुक्र तो वो इंजमाम के साथ शुरू होता है उससे पहले नहीं दिखता है इमाम जब जाना शुरू करता है तो बिस्मिल्लाह रहमान रहीम सबसे पहले तो अल्लाह ताला का शुक्र उसके बाद बॉयज प्लेड वेल तो ये वहां से आता नहीं आप अपना जो करना है करिए है ना आप दूसरों को पहले आप खुद वो चीज करिए और जब दूसरे थोड़ा सा करें तो रोने लगी य बट क्या है ना उसने ये जो रिलीजन इंजेक्ट कर दिया टीम के अंदर के उन प्लेयर्स को फेवर मिलने लगा जो ये सारी चीजें फॉलो कर रहे हैं तबलीगी जमात को फॉलो कर रहे हैं और इस तरीके से इन्होंने हरभजन सिंह को कन्वर्ट करने की कोशिश की मैंने सुना था हजन सि युवराज सिं और वो तो कह रहा था इंजमाम खुद ही कह रहा था कि हरि भजन तो ऑलमोस्ट हो ही गया था वो तो ये कह रहा था कि हरि भजन के खुद के वर्ड्स हैय के हम इसको लेकर जाते थे एक मौलवी के पास जो इनको निमाज पढ़ाता था नमाज निमाज पढ़ाता था और निमाज पढ़ाते पढ़ाते वो सुनता था मौलवी को वो साइड में खड़ा होता था हरभजन और युवराज तो हर भजन ने इंजमाम को [संगीत] कहा ये कि मेरा मन करता है कि मैं इस मौलवी की बात सुनूं और सुन के कन्वर्ट हो जाऊं लेकिन मैं तुम्हें देख के रुक जाता हूं यह हरभजन के शब्द है सो बेसिक बात यही होगी कि इस तरीके से पाकिस्तान की जो टीम थी उसके अंदर रेडिकलाइजेशन को इंट्रोड्यूस किया गया अब तबलीगी जमात है क्या तबलीगी जमात का काम ही लोगों को कन्वर्ट करना है तबलीगी का मतलब ही यह होता है तबलीग करना कन्वर्ट करना दावा देना दावा करना और कन्वर्ट कर देना फिर आप मेवात में इन्होंने जो किया मतलब मेव हुआ करते थे मेवात में और मेवात का जो मेव था वो हिंदु आइज मुसलमान था मतलब वो शादी के तारीखें जो वो पंडित जी से निकलवा थे ठीक निकाह बेशक पढ़ा जा रहा है पर पंडित जी निकाला करते थे उनके तो हिंदु आइज मुसलमान थे फिर तबलीगी जमात का उदय होता है वहां पर और मेवो को मुसलमान बनाया जाता है तो यह काम अब पाकिस्तान के मुसलमानों को को कट्टर मुसलमान बनाने का तबलीगी जमात काम करती है फिर हां तो बेसिकली क्या होता है कि यह तबलीगी जमात जो कन्वर्जन करती है वही कन्वर्जन ये प्लेयर कर रहे हैं इसमें हमें इतना शॉक शॉक होने की बात ही नहीं है शॉक होने की बात यह है कि एज अ प्रोफेशनल प्लेयर और बात प्रोफेशन की नहीं है आप इतने आगे आए हो तो आपने जीवन में मेहनत की है और जो व्यक्ति मेहनत करता है उसको दिखता है कि क्या चीजें सही क्या नहीं है क्योंकि आप सफल नहीं हो सकते एक कंजरवेटिव माइंडसेट से मुझे नहीं लगता है कि कोई इतना सफल हो जाए और इतना कंजरवेटिव होते हुए उसके बाद भी आप इतना कंजरवेटिव थॉट रख रहे हो कि तो फिर वो सफल भी नहीं है ना अब हां नहीं है वही चीज है अब तो वो दिखता ही है पाकिस्तान क्रिकेट का जो डिक्लाइन है पिछले 15 साल में वो साफसाफ दिखता है सबको दिखता है नहीं इसमें ना मेरे को एक चीज और भी है कि हमने कंजरवेटिव लिबरल ये जो टर्म्स है ना ये विश्व के आधार पर फ्रांस के आधार पर यूएस के आधार पर मान लिया है अब हिंदू जो है वो कंजरवेटिव होते हुए भी बहुत ज्यादा लिबरल होता है अब भारत के परिवेश में कंजरवेटिव और लिबरल वाली कहानी जो है वो चलती नहीं है जैसे लेफ्ट और राइट वाली कहानी यहां नहीं चलती है तो लेकिन वह शब्दों का अर्थ हमारे लिए ऐसा हो गया है अब मैं अगर सुबह उठके पूजा करता हूं और शाम में संध्या करता हूं तो आपके अनुसार या इटर्म लजी के अनुसार मैं कंजरवेटिव हो गया ठीक है लेकिन मेरे विचार है कि भाई समान राइट्स सभी को मिलने चाहिए चाहे वो जातीय प्र थोप ना सबसे बड़ा विचार तो यही है लोगों को कुछ भी हो मेरे जो चीज है मैं नहीं थोपू दूसरों पर तो वही तो ये मैं जो हूं मैं एक साइड प कंजरवेटिव हूं एक साइड प लिबरल तो बेसिकली भारत का जो हिंदू है वो एक्चुअली लिबरल है कंजरवेटिव होते और कंजरवेटिव को हमें उस तरीके से नहीं देखना चाहि उसके लिए कुछ अलग शब्द होना चाहिए कंजरवेटिव लिबरल कुछ नहीं है भारत के परिवेश में मेरे अनुसार हम हम हम तो इस पर आगे चर्चा बढ़ाएंगे साथियों मैं आशा करता हूं कि यह पॉडकास्ट आपको बहुत ज्ञानवर्धक लग रहा होगा यदि आपके कोई सुझाव हैं चाहे विषय को लेकर या किसी गेस्ट को लेकर तो आप हमें जरूर कमेंट सेक्शन में बताइए हम उस तरह के विषयों पर और उन तरह के गेस्ट को आमंत्रित करेंगे इस पॉडकास्ट पर और इसके साथ-साथ जो गेमिंग सेक्शन है वो केवल और केवल स्ट्राइकिंग थॉट शो जाता है तो आप उसे सब्सक्राइब कर लें संडे की सुबह आपको वो भी देखने को मिलेगा और साथियों जैसा कि मैंने बताया कि ये जो पॉडकास्ट है यह शिक्षणम द्वारा ही संभव हो पाया है शिक्षणम पर हम अपने भारतीय दर्शनों को उपनिषदों को और संस्कृत भाषा को बहुत अच्छे से सिखाते हैं और एक साल के भीतर भीतर हमारे साथ 70000 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स जुड़ चुके हैं और इस साल तो अमेरिका में वैदिक ज्ञान के लिए भारत का सबसे अच्छा प्लेटफार्म शिक्षणम को चुना गया है तो यदि आप सनातन धर्म में रुचि रखते हैं तो आपके सीखने के लिए ये सबसे बेस्ट लर्निंग प्लेटफार्म है आप आप एक बार जरूर जुड़िए हमारा आपको पूरा सपोर्ट रहेगा हर एक कोर्स में हम आपको फ्री डेमो वीडियोस देते हैं क्विज देते हैं नोट्स देते हैं साथ में हमने अनलिमिटेड लाइव सेशंस की भी व्यवस्था की है जो कुछ कोर्सेस में आ गई है लेकिन अब सभी कोर्सेस में हम धीरे-धीरे देने लगेंगे और इसके साथ-साथ आप h 15 कूपन कोड को यूज़ कर सकते हैं इससे आपको हर एक कोर्स पर 15 पर का एक्स्ट्रा डिस्काउंट भी मिल जाएगा ये कूपन कोड केवल हमारे हाइपर क्वेस्ट की जो ऑडियंस है जो हमें इतना प्यार देती है उनके लिए ही है तो शिक्षणम की वेबसाइट और ऐप की लिंक आपको नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स और कमेंट सेक्शन में मिल जाएगी आप एक बार जरूर जुड़े आइए अब पॉडकास्ट को आगे बढ़ाते हैं और बहुत जैसे जो हमारे दर्शक है उनको यह लग रहा होगा कि चर्चा इस्लाम धर्म पर ज्यादा हो रही लेकिन यह भी देखिए आप कि एक तरफ अफगानिस्तान के भी मुसलमान है जब हम मैचेस होते हैं तो इस तरह से कोई ऐसा नहीं मुझे नहीं लगता है कि कोई एग्रेसिवनेस दिखाएगा और जय श्रीराम बोलेगा राशिद खान को है ना लेकिन पाकिस्तान को क्यों दिखाई जा रही है क्योंकि पाकिस्तान ऐसी हरकतें कर चुका है तो जब टिट फॉर टैट अब अब इस तरह की चीजें जो होती हैं वो एक कहीं ना कहीं कोई नाना कोई रीजन होता है और वो भी एक एक एक लिमिटेशन सबको अपनी पता है कि ये लिमिटेशन है कई बार वो लिमिटेशन हमने उनकी तरफ से टूटते हुए देखी है आप देखिए उनके स्टैंड प भी मैं आपकी वीडियो देख रहा था कि बाबरी मस्जिद के खिलाफ आंदोलन स्टैंड में चल रहा है क्रिकेट मैच में चल रहा है उनका कोई भी आंदोलन है हर सार्वजनिक स्थल पर आ जाता है हम देखते हैं कि अभी रफा वाली बात हो गई रफा वाली वो पूरा आंदोलन पूरे ग्लोबल लेवल पर चल रहा है और वो कहीं बैन नहीं हुआ लेकिन ल ऑल आइज ऑन ऋषि बैन हो गया को ऐसी मैकेनिक्स नहीं ऐसा नहीं है जय हिंदू राष्ट्र भी बोला गया है इसी बार और इसी के बाद बोला गया उसम भी इतना बड़ा मुद्दा नहीं बना है जितना वो वो दोनों चीजें दबी गई है अगर वैसे देखो तो पर हां आप यह कह रहे कह सकते हो कि अगर वो चाहे तो जय हिंदू राष्ट्र को बहुत बड़ा मुद्दा बना सकते हैं उनके पास वो मैकेनिज्म है तो वो मैकेनिज्म वो मैकेनिज्म एकदम से नहीं बन गया वो तो सालों से तैयार किया गया है 57 के बाद कुछ सरकमस्टेंसस ऐसे हुए थे हा कि आप जब देखते हैं ना उस समय लाल किला 1857 के बाद जो घटनाक्रम घटे थे तो एक एक समय ऐसा आ गया था कि जो लाल किले और पूरी दिल्ली पर वो सैनिकों का अधिकार हो गया था सैनिक विद्रोह बोलते हैं ना उसे सैनिकों का या फिर बहादुर शाह जफर जो था उसका अधिकार हो गया था ठीक है लेकिन 810 महीने ही चला हम 810 महीने के बाद जो इवन जामा मस्जिद है हम वहां पर अंग्रेजों का अधिकार था उन लोगों को मार मार कर जो वहां पर मुस्लिम कम्युनिटी रह रही थी कम्युनिटी की मैं बात कर रहा हूं आम लोगों की बहादुर शाह जफर राजा वजीर और उनकी तो मैं बात ही नहीं कर रहा हूं उनको तो रंगून ले गए थे ये लोग लेकिन जो आम कम्युनिटी थी जो आम मौलाना बैठा हुआ था जो आम नागरिक था उन तक को मार मार के भगा दिया गया उसका रीजन था क्योंकि अंग्रेज मानते थे कि 18 57 की घटनाओं में मुसलमानों का ही हस्तक्षेप रहा है हिंदुओं ने ज्यादा नहीं किया य ये मास्टर यह लोग थे जो मुसलमान थे और उसके बाद यह सारी घटनाएं बड़ी हुई है इवन बहुत से लोगों ने तो 1857 को जिहाद बुलाया मैं ऐसे नॉर्मल बंदों की बात नहीं कर रहा हूं इंटेलिजेंस रिपोर्ट हो गई आपके इवन जो बहादुर शाह जफर जो थे उनके ऊपर कोर्ट में केस चला है उस उस कोर्ट उस परे बहस हुई थी कोर्ट के अंदर उसको आप पढ़ लीजिए सारे को तो व स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि यह जो जिसको हम क्रांति कह रहे हैं या फिर घटना जो भी घटनाएं हुई थी 1857 की उसमें मुसलमान अग अग्रणी रूप से थे हम अब इसके बाद क्या होता है कि 1857 की घटनाओ को दबा दिया गया तो अब अंग्रेज बदला लेंगे ब्रिटिश राज ब्रिटिश राज ने बदला लेना आरंभ किया मुसलमान भागे भी दिल्ली के क्षेत्र से तो भाग गए थे यहां पर मैंने जैसे बताया कि देवबंदी जो मरकज था वो सारी वो हिस्ट्री बताती आपको हम अब क्या होता है कि अ इसमें दो चीजें और आ जाती हैं जो 1857 से पहले हम जाते हैं हम तो हिंदू जो थे वोह अंग्रेजी सीख रहे थे क्योंकि वो पहले राजकीय भाषा जो थी व फारसी या उर्दू होती थी हम क्योंकि मुगल राज कर रहे थे तो हिंदू या तो फारसी उर्दू सीख रहे थे अब उनके लिए अंग्रेजी सीखनी थी तो उनको इतनी प्रॉब्लम नहीं हुई कि हमें अपनी भाषा छोड़नी पड़ रही है बट मुस्लिम जो थे या फिर मुगल्स जो थे उनके अंदर एक यह भाव था कि हम तो यार यहां राज कर रहे हैं इतने टाइम से अब हमारे साथ ऐसा हो रहा है हमारे हम उच्च हैं हम ऊपर है हम सुपीरियर है वो वाला जो भाव था और वो आपको जो जो स्क्रिप्चर है वो भी सिखाते हैं आपको आज भी वो भाव दिख जाएगा वीी आर द रूलिंग क्लास हमने तो इनके ऊपर 800 साल राज किया है ये नॉर्मल एक किसी से पूछो तो वो भी बोलता है इस तरीके की बात सो पॉइंट यहां पर यह आ गया था कि जब मुस्लिम्स के साथ यह सब होने लगा ब्रिटिश राज के द्वारा उनको दबाया जाने लगा ऊपर से क्या होता था नौकरी नहीं मिलती थी क्योंकि अंग्रेजी नहीं आती अब 1835 में जो है अंग्रेज इस रूल को ला चुके थे कि भाई जो एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस हैं या फिर जो भी है 1835 के बाद ये चालू हुआ था तो एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस आपको जज बनना है कलेक्टर बनना है या फिर एक सरकारी अधिकारी बनना है तो आपको अंग्रेजी आनी चाहिए हिंदुओं को आ रही थी हिंदू हिंदू पढ़ने लगे थे मुसलमान नहीं पढ़ रहे थे अब हिंदू जो कि एक सब्जेक्ट था समझ रहे हो वो कलेक्टर बन रहा है वो अधिकारी बन रहा है उसके पास एक आम मुसलमान काम करवाने के लिए जा रहा है उसकी मर्जी होगी तो काम होगा हिंदू की तो नहीं तो नहीं होगा समझ रहे हो ये चीज तो एक साइकोलॉजिकली इतना शिफ्ट आ गया और उसके कारण फिर 18 लेटर 1860 या अर्ली 70 में एक इनके थिंकर आते हैं सर सैयद अहमद खान हम उसने चीजें बदलनी चालू की उसने कहा कि भाई हम दुश्मन नहीं है तुम्हारे अंग्रेजों तुम्हारे हम दुश्मन नहीं है उसने इनको बोला कि भाई थोड़ा पढ़ो हिस्ट्री पढ़ो ये पढ़ो पढ़ो और उस टाइम ही एक और हिस्टोरियन वहां से उसके बाद ये जो ये यूनिवर्सिटीज है अलीगढ़ अलीगढ़ वो यूनिवर्सिटीज प काम चालू किया उन्होंने ही और इन्हीं यूनिवर्सिटीज के भीतर एक हिस्टोरियन पैदा होते हैं जो कि आज क्या नाम है इस बंदे का जो हिस्टोरियन है जो बहुत बड़ा हिस्टोरियन है उसके फादर काफी एड है मुस्लिम ने इरफान इफान हबीब उसके भी फादर ठीक है वो उस टाइम उन्होंने लिखना शुरू किया वहां पर हिस्ट्री 187 80 की बात कर रहा हूं मैं वो हिस्ट्री पढ़ने लगे और वो ऑब्जेक्टिव हिस्ट्री पढ़ा करते थे मतलब आप समझ रहे हो एक तो हो गया हमने कहानियां लिख दी और सारी चीजें कर दी एक है ऑब्जेक्टिव हिस्ट्री उसमें आप षड्यंत्र भी कर सकते हो बट इस तरीके से कर सकते हो कि आप सोर्सेस दिखा रहे हो समझ रहे हो काफी सारी चीजें हैं उनमें से आधी चीजें दिखाई और एक नैरेटिव बना दिया बाकी आदी चीजें छोड़ दी समझ रहे हो तो जै खिलजी खिलजी किसलिए भारत आया था सिर्फ लूटने आया था उसका कोई रिलीजियस इंटेंशन नहीं था ये ये आपके सामने नैरेटिव बना दिया या फिर जो बौद्ध थे जो अ हिंदू थे उन्होंने बौद्ध मंदिर तोड़े तो क्या हो गया अगर मुसलमानों ने हिंदू म मंदिर तोड़ दिए तो तो इस टा टाइप के जो नैरेटिव थे वो बाद में इन लोगों ने बने बनाए थे अभी हम एक बेसिकली इको सिस्टम पर बात कर रहे थे ठीक है तो जो इको सिस्टम था ये जो मुस्लिम इकोसिस्टम जिसको हम बोल सकते हैं या फिर मुस्लिम इकोसिस्टम इज नॉट द राइट वर्ड बट ये यहां से बनने अब ये ना एक्चुअली में इस्लामिस्ट भी नहीं है प्रॉपर ये लेफ़्टिस्ट हैं जो इरफान हबीब की बात कर रहे हैं के फादर की हम बात कर रहे हैं उनका एक नाम मुसलमान हो सकता है उनके थॉट्स भी कुछ ना कुछ मात्रा में हो सकते हैं बट एक्चुअल में उनका जो उनका जो नैरेटिव बिल्डिंग है वो लेफ्ट है तो यहां से 187 में यह काम शुरू होता है सर सैयद अहमद खान के बाद और इसमें फिर वह यूनिवर्सिटीज बनती हैं इन यूनिवर्सिटीज में लोग आने लगते हैं और इन्हीं यूनिवर्सिटीज में फिर आगे जैसे कि रोमिला थापर वगैरह जॉइन करती हैं बट यह ना अभी भी इंस्टीट्यूशनलाइज नहीं नहीं हुए थे अब क्या होता है कि जो नेहरू जी के बाद कांग्रेस में तोड़फोड़ चालू हो गई थी कोई कहता था मैं प्रधानमंत्री बनू मैं बनू मैं बनू कामराज और पता नहीं कई लोग आ गए थे है ना तो इंदिरा गांधी को बनना था अब लाल बहादुर शास्त्री जी के बाद इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं बट वो कांग्रेस में दो फाड़ के बाद बनती हैं कांग्रेस टूट जाती है अब आधी कांग्रेस इधर आधी कांग्रेस इधर कांग्रेस भी उसके अलावा जो अपोजिशन के लीडर्स थे वो मिलकर चुनाव लड़ने लगे थे सात राज्यों में करीब कांग्रेस चुनाव हार ग थ इस कारण तो कांग्रेस को लगता है इंदिरा वाली कांग्रेस को हम कि अगर चुनाव जीतना है तो वाम दल जो है यानी कि लेफ्टिनेंट करण है वो करना पड़ेगा वो वोट बैंक बनाना पड़ेगा अब इन्होंने यह सब किया तुष्टीकरण किया मुसलमानों का और वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा एक तरीके से पर अब चुनाव जीत लिया उन्होंने चुनाव जीतने के बाद वाम दलों ने भी अपनी चीज मांगी और मुस्लिम्स ने भी अपनी अपने लिए कुछ मांगा मुस्लिम्स को मिला ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 1973 में 1971 या 72 ऐसे ही कुछ मिला था 70 अर्ली 70 में और जो वाम दल थे उनको भी चाहिए कुछ तो उनको मिला आईसीएचआर आईसीएचआर है ना आईसीएचआर इंडियन हिस्ट्री इंडियन काउंसिल फॉर हिस्ट्री रिसर्च ऐसे कुछ अ आईसीएचआर इंडिय काचर बेसिकली एक संस्था बनाई जाती है 1973 में इस संस्था का काम है आप हिस्टोरिकल रिसर्च करो आप सारी चीजें घुसो चीजों में हिस्ट्री में घुसो और उसके बाद जो रिसर्च होगी उसके आधार पर आपकी टेक्स्ट बुक लिखी जाएगी स्कूलों की समझ रहे हो समझ यहां पर जो आईसीएचआर मामला था यहां से सब कुछ इंस्टीट्यूशनलाइज हो गया और इस इंस्टीट्यूशन में आप कोई नाम उठा लो पुराना से नए तक आज के टाइम तक भी आईसीएचआर को अभी मतलब रिसेंट एग्जांपल देता हूं आईसीएचआर को अभी भेजा एक नोट एक आरटीआई भेजा कि आप एनसीआरटी की बुक में लिखवा हो कि कुतुबुद्दीन एवक और अल्तमश ने यह कुतुब बनार बनाया था हम हम तो क्या आपके पास इसका कोई प्रूफ है हम कोई डॉक्यूमेंट हिस्ट्री बेसिकली आधारित है डॉक्यूमेंट के ऊपर कम क सरकार के पास तो हो प्रूफ मेरे मेरे पास ये डॉक्यूमेंट है यहां से मैंने पढ़ा और यहां पे मैं फिर लिखवा रहा हूं डॉक्यूमेंटेशन है ना हिस्ट्री तो तो अब उन्होंने पूछा कि भाई कोई डॉक्यूमेंट है कोई प्रूफ है तो बताओ हम तो उन्होंने कहा नहीं हमारे पास कोई प्रूफ नहीं है इतमस और इसने ही कुतुब मीनार बनाया है ठीक है तो बात यहां पर आ जाती है अब जब हम इकोसिस्टम की बात करते हैं ना तो बहुत पहले ही मतलब ये बेसिकली अंग्रेजों के समय बनना चालू हो गया था इकोसिस्टम और उसको एक बेसिक फॉर्म या फिर एक इंस्टीट्यूशनलाइज जिसको कहते हैं वो इस तरीके से किया गया अब ये हिस्ट्री के विषय में सिर्फ बताया मैंने हिस्ट्री का एक डिपार्टमेंट ऐसा बन गया जिसमें लेफ्टिनेंट से तो एक सुप्रीम कोर्ट का वकील बोल नहीं देगा कि कश्मीर के अंदर प्लेब साइड करा दो भाई ठीक है तो ये क्या होता है ये पूरा हर समाज के हर वर्ग से समाज में जितने कार्य हो रहे हैं उन कार्यों में एक एक वर्ग आप बना लीजिए और वो आपको टीचर्स का अलग मिल जाएगा आपको लेबर्स का अलग मिल जाएगा और यह एक दूसरे की मैसेजिंग को एमप्लीफाई करते हैं फॉर एग्जांपल एक एग्जांपल हम लोग बहुत देते हैं आज से कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु में एक फ्लाइट में बीजेपी का एक लीडर तमिलनाडु में बीजेपी क्या ही है है ना आज से चा साल पहले तो और भी कुछ नहीं थी तो उस समय एक जो तमिलनाडु का बीजेपी का चीफ वो फ्लाइट में जाता है फ्लाइट में एक वामपंथी लड़की होती है कॉलेज में ही पढ़ रही है अचानक से हां वो अचानक से चिल्लाना शुरू कर देती है जोर-जोर से फासिज्म मुर्दाबाद बीजेपी मुर्दाबाद गो बैक और पता नहीं कुछ कुछ कुछ कुछ चिल्लाना शुरू कर अब 911 के बाद क्या है कि अगर आप फ्लाइट में ऐसी कुछ हरकत करते हो तो आपको एक पोटेंशियल हाईजैकर माना जा सकता है आपको खतरा माना जा सकता है कि यार यह बंदा कुछ भी कर सकता है तो उस लड़की को नीचे उतार दिया उसके ऊपर केस हो गया सारी चीजें हो गई अगले दिन 16 वकील उस लड़की के लिए खड़े थे 16 वकील आज आपके ऊपर या मेरे ऊपर कुछ हो जाता है खड़े हो जाएंगे हम फोन नंबर ढूंढ रहे होंगे भाई किस वकील को करें हम वकील को नहीं जानते कौन से वकील से किस तरीके से बात करनी है हमें नहीं पता और उसके लिए 16 वकील खड़े थे क्यों क्योंकि वो कम्युनिस्ट आईडियोलॉजी से संबंध रखने वाली लड़की थी पार्टी से शायद जुड़ी हुई हो तो आप यह सोचिए कि एक छात्रा उसके लिए 16 वकील खड़े हो सकते हैं तो इको सिस्टम क्या होता है आपने अभी रिसेंट वीडियोस जितने वायरल हुए हैं चुनाव चुनाव से पहले तानाशाही वाले डिक्टेटरशिप वाले उसमें आपने देखा होगा कि किस तरीके से उन वीडियोस को शेयर किया गया है बड़े-बड़े हैंडल से आपने ीडियो लिया उसके लिंक्स शेयर किए या फिर वो वीडियो डाउनलोड करके अपने ह तो आपका वीडियो 2 करोड़ 3 करोड़ व्यूज क्यों नहीं करेगा हम हम हम आप इस पर रिसर्च करिए एक बार आपको पता चलेगा कि कोई ऐसा हैंडल नहीं होगा जिसने वो वीडियोस शेयर नहीं किए हैं हम यार इसमें एक एक चीज और है जो रह गई जैसे आपके ये होते हैं लेबर लेबर होती हैं या आंगनवाड़ी हो गई टीचर्स हो गई ये सारी चीजें आप कोई भी आंदोलन देख लो हम पूरे देश में कहीं पे भी नॉर्थ से लेके साउथ तक ईस्ट से लेके वेस्ट तक कहीं पे भी आप कोई भी आंदोलन देखो हम झंडा केवल एक होगा हम दरांती और हथौड़े वाला ठीक है एक ही झंडा वहां पे दिखेगा आपको किसान आंदोलन था उसमें भी ये झंडे दिखे आपको आप कोई भी आंदोलन उठाओ यह झंडे ही होते हैं एटलीस्ट शुरुआत में हमेशा आपको जैसे किसान आंदोलन में भी शुरुआत में यही झंडे चल रहे थे वो शुरुआत हमें पता नहीं है वो एक अलग बात है क्योंकि उस समय लॉकडाउन चल रहा था लॉकडाउन के समय किसान आंदोलन शुरू हो गया था ये बहुत कम लोगों को पता है यह बात बट उसमें झंडे यही थे उससे पहले 19 के चुनाव से पहले महाराष्ट्र से किसान मार्च कर रहे थे दिल्ली की तरफ उसमें यही झंडे थे तो कोई जाति हो जातीय आंदोलन हो यह आंदोलन हो आपको झंडे यही दिखते हैं ठीक है अब आप मेरे को एक प्रश्न का उत्तर दो कि पूरे देश में कम्युनिस्ट की सरकार कहां पे है केरल में है क्या एक आला जगह केरल में ही उनका थोड़ा बहुत कभी कांग्रेस आ जाती कभी ये आ जाते है तो केवल बल से समाप्त हो चुके बंगाल से समाप्त हो गए त्रिपुरा से समाप्त हो गए जहां-जहां इनका बेस था हर जगह से समाप्त हो गए जेएनयू में बचे या केरल में बचे हैं ठीक है और जेएनयू में भी एबीवीपी के अगेंस्ट इनको पूरे मतलब एसएफआई मब सबको मिला के तब जाके लड़ते हैं तब जाके ये मतलब आठ 10 ग्रुप्स मिलते हैं तब जाके लड़ते हैं और उसके बाद वो एबीवीपी से थोड़े से मार्जिन से जीत पाते हैं ठीक है तो जेएनयू में भी उतना नहीं बचा है जितना पहले हुआ करता था तो ये पूरे देश में कहीं पर भी कहीं पर भी नहीं है और उसके बाद भी पूरे देश के जितने भी आंदोलन हैं ये संचालित कर रहे हैं आंदोलनों को चलाने में पैसा लगता है पैसा कहां से आता है क्या है कि देखो आंदोलन कांग्रेस भी करती है आंदोलन बीजेपी भी करती है बट यहां पर शब्द जो प्रयोग होना चाहिए वो मेजॉरिटी है मेजॉरिटी ऑफ आंदोलन आपको छोटे आंदोलन भी दिखेंगे ना किसी हॉस्पिटल का कोई स्टाफ आंदोलन कर रहा है तो वो इनके झंडे के तले कर रहा होगा आंगनवाड़ी की इनके झंडे हरियाणा में कम्युनिज्म नहीं है ना हरियाणा में आंगनवाड़ी की महिलाएं अगर आंदोलन कर रही है तो कम्युनिज्म के झंडों के तले ही होता है व बस जिनकी बात कर क होता है नहीं क्या है ना भाई देखो जब हम लेफ्ट आइडल जीी की बात कर रहे होते हैं ना तो जो कार्ल मार्क्स था उसने बोला कि हम लोग सब लोग एक शिप में सवार है और इस शिप में हम लोग बेसिकली वो जीवन की बात कर रहा है जीवन हमारा जो है वो एक शिप की तरह है जिसमें हम सब यात्री हैं हम सबके बरा हम सब बराबर रहने चाहिए हम हम ठीक है अब ये अधिकारों के रूप में तो ये बात जस्टिफाइड लगती है कि आपका भी वोटिंग राइट सेम हो मेरा भी वोटिंग राइट सेम हो पर आप तो काम ना करो हां और सामने वाला बंदा काम करे फिर बराबर नहीं हो स तो पैसे उसको कम मिलेंगे उसको ज्यादा मिलेंगे यही होना चाहिए है ना ये यहां पर जो मार्क्सवाद है वो फेल हो जाता है हम वो या तो बोलते हैं कि वो मार्क्सवादी बोलते हैं या तो दुनिया में अमीर लोग हैं या दुनिया में गरीब लोग हैं बीच में कुछ नहीं है मार्क्स का ये था ये और ये उसी टाइम पे ही फेल भी हो गया था मतलब 187 में लोगों ने क्वेश्चन करना शुरू कर दिया था कि भाई बीच में जो मिडिल क्लास है वो कहां है आप केवल गरीब और अमीर की बात कर रहे हो बाकी कहां है बीच में भी तो है बाकी क्या हुआ उसके बाद जो ये इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन ए एवरीथिंग उससे मिडिल क्लास भी बढ़ गया काफी तो ये कांसेप्ट होने लगे जहां भी ये कांसेप्ट पहुंचे उन्होंने हत्या ही करवाई है तो हम जिन लोगों की बात कर रहे हैं वो भारत में जो कर्मचारी वर्ग या गरीब वर्ग वो लगभग 70 पर है लोअर मिडल क्लास और गरीब वर्ग ठीक है ये लगभग लगभग 70 पर कवर होता है मेरे ख्याल से है ना और इन लो ये इतनी बड़ी पॉपुलेशन है ये आपका अगर फॉर एग्जांपल आर्थिक आधार पर वोट बैंक बनने लगे हम आधार पर छोड़ दीजिए तो 70 पर वोट बैंक है है ना तो ये जो कम्युनिस्ट होते हैं ना इनको ये चीज पता है पता है और ये इसमें देखो मैं ऐसा नहीं कह रहा कि कम्युनिज्म गलत सही उसमें तो अभी तक हम गए ही नहीं है मैं बेसिकली यह बताने का प्रयास कर रहा हूं कि ये लोग ये इस तरीके से पॉलिटिक्स करते हैं इनके जो भारत में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया है वो 1920 में बनी है वो यूएसएसआर के इंस्ट्रक्शन लेकर यहां पे चीजें करती थी यूएसएसआर कहता था कि तुम यह कर दो तो वो ये कर देते तुम वो कर दो तो वो कर एम एन रॉय नाम का एक व्यक्ति था जिसने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया 1920 में बनाया क्योंकि 1919 में रूसी क्रांति हुई है और उसके बाद 1920 के बाद यहां पर भारत में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया बन गई जो कि रशियन इंस्ट्रक्शंस पर काम करते थे इवन जो गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन था उसमें भी इन्होंने सपोर्ट नहीं किया कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने री पता है री रीजन ये था कि जो द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था हम द्वितीय विश्व युद्ध में जो हिटलर के अगेंस्ट यूएसएसआर लड़ रहा था रूस लड़ रहा था ठीक है इंग्लैंड यूएसएसआर दोनों एक साइड पे थे उस टाइम पे तो यूएसएसआर ने कहा कि इंग्लैंड का विरोध मत करो और इंग्लैंड भारत पे राज कर रहा था तो उन्होंने इंग्लैंड का विरोध नहीं किया तो ये बेसिक तो इसलिए गांधी जी का साथ ही नहीं लि हां तो गांधी जी का साथ नहीं गांधी जी का जो आंदोलन था वह 1942 43 में ही फेल हो चुका था हमें आजादी किन कारणों से मिली वो एक अलग विषय हा नहीं गांधी जी पर भी आएंगे क्योंकि आपकी लेटेस्ट एक डॉक्यूमेंट्री भी आई थी उसमें क्या है कि वो हमें यही बताया जाता है कि 42 का जो आंदोलन था गांधी जी का उसी के कारण हमें आजादी मिली पर ऐसा है कि नहीं है ये एक अलग ही मुद्दा है और मतलब उसमें बहुत सारी चीजें अलग आती है उसपे जब आप चर्चा करोगे तब करेंगे पर हां अभी मतलब कम्युनिस्ट की कम्युनिस्ट पार्टी की हम बात कर रहे हैं तो उसके बाद फिर ऐसा भी होता है कि चाइना जो है चाइना भक इवॉल्व हो जाता है कम्युनिस्ट कंट्री के रूप में और जो भारत के कम्युनिस्ट्स हैं वो ये कहते हैं कि भाई किसको हम माने कम्युनिस्ट इसको कम्युनिस्ट माने चाइना की इंस्ट्रक्शंस माने या यूएसएसआर की माने तो कुछ लोग कहते हैं कि भाई चाइना की मानो कुछ लोग कहते हैं यूएसएसआर की मानो चाइना से मतलब वहां से फिर दो फाड़ भी होते हैं तो ये सारी कहानी आगे तक चलती है 1961 62 में जब लड़ाई होती है चाइना के साथ तो उसमें ऐसा हो जाता है कि भाई मतलब भारत का जो केरल में जो कम्युनिस्ट पार्टी रूल कर रही थी उस टाइम पे तो ये कहती थी कि भारतीय सैनिकों को आपको खून नहीं देना है ब्लड डोनेट नहीं करोगे भारतीय सैनिकों को नहीं मिलना चाहिए तो उनके ये आदेश आ चुके होते हैं तो वो चीन से इंस्ट्रक्शन ले रहे होते हैं अगर आप अभी भी येचुरी की बात सुनोगे तो येचुरी कहेगा कि नहीं चाइना तो इट्स अ वेरी गुड कंट्री उनके जो मेनिफेस्टोस लिखे होते हैं उसमें क्या होता है उसमें होता है भाई अमेरिका से हम सारी चीजें अपने सारे टाइल्स तोड़ देंगे चाइना के साथ हम अपनी मित्रता बढ़ाएंगे ये उनका बेसिकली आप देखोगे तो मोटा मोटी रूप में यह है इसको और ज्यादा डीप में पढ़ना है तो फिर वो बहुत लंबा विश् नहीं इसमें एक एक प्रश्न ये भी उठता है जैसे हम बोलते हैं कि जो मार्क्सवाद है या कम्युनिज्म है वो एक जगह आके फेल कर जाता है लेकिन हम जो चाइना में हमने डेवलपमेंट देखा है पिछले 20-30 साल में वो फिर हा मैं बताता हूं देखो देख चाइना में डेवलपमेंट हुआ है वो मार्क्सवाद के कारण नहीं हुआ है या फिर मावाद के कारण नहीं हुआ है 1949 से लेकर 1976 तक आप चीन के बारे में जब पढ़ते हो चीन का इतिहास इस इस समय का पढ़ते हो तो आपको सिर्फ लूटमार हत्याएं और लोगों का मारा जाना ही दिखेगा मिलियंस ऑफ पीपल वर किल्ड या फिर दे डाइड आपने ऐसी यू नो पॉलिसी बना रखी थी एक क्षेत्र का व्यक्ति दूसरे क्षेत्र में नहीं जाए 500 चीज ऐसी कर रखी थी जिसकी वजह से लोग मारे जा रहे थे और ग्रोथ रेट आप देख लीजिए 1980 तक भारत की ग्रोथ रेट और चीन की ग्रोथ रेट वो आपको सेम दिखेगी कोई ग्रोथ रेट ही नहीं थी और भारत में तो ग्रोथ रेट मतलब उस टाइम प 2 पर 2 पर ऐसा होता था और जब जब एक गरीब देश जो है ना वो थोड़ा सा भी काम करता तो उसकी ग्रोथ रेट बहुत ज्यादा होती है हमारी ग्रोथ रेट दो % हुआत क्या है ना कि कोई बच्चा उसके क्लास में 100 में से 10 नंबर आ रहे हैं तो 10 से 20 करना इज वेरी इजी और वो डबल हो गया % मतलब 100% की ग्रोथ हो गई है ना कोई बंदा 100 में से 90 नंबर लेकर आ चुका है 92 92 93 पहुंचने में भी उसकी सांस फूल जाएगी 2 पर बढ़ाना भी बहुत कठिन है लेकिन वहां से 100% बढ़ाना भी बहुत इजी है तो पॉइंट यहां पर यह आ गया था कि माओ के समय में चीन ने ग्रोथ नहीं की क्योंकि प्रॉपर कम्युनिज्म प्रॉपर साम्यवाद वो चल रहा था जैसे ही माओ की मृत्यु होती है दूसरा चेयरमैन बनता है उसका नाम मैं भूल गया हूं जो भी था उस व्यक्ति ने चीन को ओपन कर दिया एजुकेशन में इन्वेस्ट किया चीन को ओपन कर दिया बोल दिया कि भाई देखो हमारी एक पॉलिटिकल आइडियो जीी है उसको मत छेड़ो विदेशी कंपनियों को बोला गया उस पर कोई बात नहीं होगी बाकी आप हमारे देश में आइए हम आपके लिए देश को खोलते हैं हम आप जो कहोगे वो सुविधा आपको देंगे देख लीजिए फिर उसके बाद अ 1980 तक भारत में और चीन में जो प्रति व्यक्ति आए होती है सेम थी ऑलमोस्ट ठीक है आपकी जीडीपी भी ऑलमोस्ट सेम थी हम आज उसमें पांच गुना का अंतर है वो कैसे हुआ वो इसी तरीके से हुआ 80 में उन्होंने सपना देखा था 80 के दशक में सपना देखा था कि हम ओलंपिक कराएंगे ओलंपिक के लिए बिडिंग करेंगे 2008 में उन्होंने ओलंपिक करवा के दिखा दिया ओलंपिक ऐसे ही तो नहीं होता आपके देश में क्यों नहीं आज तक नहीं हुआ तो ऐसे ही नहीं होता उसके लिए आपको एक विकसित देश बनना पड़ता है तो क्या अभी अभी कम्युनिज्म नहीं है चाइना में पॉलिटिकली तो है पॉलिटिकली ही है बट क्या होता है ना कि जैसे पॉलिटिकली सब कुछ होगा आपको आपने देश के जो धना लोग हैं या फिर जो भी है उनको बोल रखा है आप एक ओपन इकॉनमी है वहां पर पर पॉइंट क्या आ जाता है कि ओपन इ फॉर एग्जांपल ग है ग वहां पर कुछ लिखे गी आपकी सरकार के अलावा या फिर सरकार के ऊपर जो भी है तो सरकार को पता चल रही है कि यह पॉलिटिकली कुछ सोच रहे हैं तो फिर वह आ जाएगा यहां पे विडंबना है एक एक सबसे बड़ी विडंबना यहां पे यह है कि यह जो लेफ्ट है या फिर जिसे आप कम्युनिस्ट बोलते हैं वह अपने आप को रेवोल्यूशन बोलते हैं ठीक है और वो नोमेन क्लेचर ऐसा बना दिया गया है कि आप भी उन्हें रेवोल्यूशन ही बोलते हो थ प्रोसेस ठीक थॉट प्रोसेस वो हो गया कि आप ची ग्वे को टेररिस्ट नहीं बोलोगे आप उसको रेवोल्यूशन बोलोगे तो वो और डिबेट है यहां पे कि भाई टेररिस्ट था कि रेवोल्यूशन था ठीक है उसको साइड करते हैं विडंबना सबसे बड़ी यह है कि चीन में रेवोल्यूशन की कंट्री में रेवोल्यूशन अलाउड नहीं है आप वहां पे उनके अगेंस्ट प्रोटेस्ट नहीं कर सकते वहां पे कुछ स्टूडेंट्स ने प्रोटेस्ट किया था ब्रूटली उसको पढ़ो कि क्या थन स्वेर की बात हो रही है 1989 में आप सोचिए भारत में 10000 बच्चे प्रोटेस्ट के लिए निकल जाए और एक चौक पर इकट्ठा हो जाए यहां परनोट प्लेस पर सरकार आए उनके सामने तोप रख दे उन्हें गोलियों से उड़ा दे 10000 नहीं इमेजिनेबल ही नहीं इंडिया में वहां हुआ ये कम्युनिस्ट पार्टी मतलब आप रेवोल्यूशन की बात करते हो आपका पूरा जो थीसिस लिखा गया है वो सब रेवोल्यूशन के आधार पर लिखा गया है आपने भारत में नक्सलाइट्स की प्रॉब्लम शुरू कर दी कि ये तो रेवोल्यूशन है है ना मतलब आपने उनको ग्लोरिफाई ऐसे किया ना ये दज आर नॉट टेररिस्ट दज आर री तो इतनी बड़ी आप जिस देश में सत्ता पर आ जाओगे वहां वहां पर आपके अगेंस्ट कोई प्रोटेस्ट नहीं कर सकता आप जो करते हो वो सर्वथा सत्य है प्रोटेस्ट तो बहुत दूर की बात है आप शब्द नहीं बोल सकते आप फॉर एग्जांपल मैं आपको टेक्स्ट मैसेज करूं वो भी पॉसिबल नहीं वो हा तो अभी अनु जी जैसे हम लोग बात जब अभी इसकी कर रहे थे कि लेफ्ट विंग कैसे उसका इकोसिस्टम बना वहां पर फिर गांधी जी की भी बात आई कि कैसे उनके आंदोलन में कम्युनिस्ट पार्टी ने नहीं किया फिर गांधी जी पर अभी आप ने एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है जो एक अलग ही मतलब अभी तक गांधी जी पर बहुत सी डॉक्यूमेंट्री बनी होंगी जो उनके जीवन को लेकर या फिर और भी दूसरे पहलुओं को लेकर बहुत बनती है पर आपने एक अलग ही मुद्दा उठाया खासकर आपने बताया कि गांधी जी रेसिस्ट थे थे कि नहीं थे वो जो डॉक्यूमेंट्री में एक है कि कुछ-कुछ ऐसे पहलू मिले हैं जिसकी वजह से आज अफ्रीकन कंट्रीज में भी गांधी जी की मूर्तियों को या तो लगने नहीं दिया जा रहा है या तो तोड़ दिया जा रहा है जस्ट बिकॉज कि वो ऐसा मानते हैं कि गांधी जी भी रेसिस्ट थे हम हम तो ये कहां से ये आपको पहली बार यह चीज आपके दिमाग में आई कि आपके सामने आई कि ऐसा भी पहलू है और इसकी रिसर्च आपने कैसे की और गांधी जी को इतना पढ़ने के बाद आपको क्या लगा कि गांधी जी के व्यक्तित्व के विषय में थोड़ा कोई भी व्यक्ति चाहे आप हो मैं हूं कोई भी हो उसके शेड्स हैं हम शे ब्लैक और वाइट नहीं है सब ग्रे हैं कुछ चीजें अच्छी हैं कुछ चीजें बुरी हैं और उन्हें यथार्थ लेना चाहिए ऐसा नहीं है कि भाई अगर यह आदमी का स्टैचर इतना बड़ा कर दिया गया है तो वो सही ही सही होगा ये नहीं होता तो पहले तो यह बोल दूं और उसके बाद अब जितने भी आपके माइंड में चीजें हैं उसको निकाल दो जितनी भी सोच आपने बना रखी है उसको निकाल दो और उसके बाद सुनो हम ठीक है अब जो इसका जो वो आता है वो आता है अभी थोड़े दिनों पहले कुछ आंदोलन हुए थे साउथ अफ्रीका में वो हमने पढ़े थे तब कि ऐसे ऐसे आंदोलन हो रहे हैं गांधी की मूर्ति के को लेके कई न्यूज़ चैनल्स पे भी उसके बारे में बात हुई थी वह भी हमने देखे थे तो वहां से एक था कि भाई यह विषय क्या है हम तो वहां से हमने थोड़ा बहुत पढ़ा कि इस तरीके से चीजें हैं या ऐसा ऐसा हुआ है गांधी जी ने यह सब किया है तो वो वहां से हमने पढ़ना शुरू किया था हम फिर थोड़ा बहुत वहां प पढ़ के कि हां चलो ऐसी ऐसी चीजें हुई है हम वो छोड़ दिया हमने वहां पे ही कि ठीक है मतलब अब थोड़ा बहुत पता चल गया इतना ही बहुत है हम फिर अभी जब डॉक्यूमेंट्री बनाने लगे तो हम विमर्श कर रहे थे कि भाई किस टॉपिक के ऊपर हम डॉक्यूमेंट्री बना अच्छा जो अपनी आप दूसरी नेक्स्ट डॉक्यूमेंट्री प्लान कर रहे होंगे तो हमने विम क्या हुआ कि उसमें जो हम मैंने आई थिंक आपको ऑफ कैमरा भी बताया था कि लोंगर फॉर्म ऑफ डॉक्यूमेंट्री जो होती हैं उसमें थोड़ा सा समय तो जाता है और हमारा तो काफी गया है उसके हमारे कुछ अपने फैमिली रीजन भी थे तो हम उसे समय पूर्वक तो अभी तक नहीं कर पाए तो मुझे लगा कि अ टिल द टाइम जब तक हम वो लंगर फॉर्म ऑफ डॉक्यूमेंट्री नहीं ला रहे तो छोटी डॉक्यूमेंट्री एटलीस्ट लोगों को दिखाना शुरू करें अब वो डॉक्यूमेंट्री जब छोटी बनानी है 20 22 25 मिनट तक की हम तो उसके लिए आपको विषय चाहिए राइट तो यह विषय आई थिंक हमें थोड़ा सा पता था कि भाई गांधी जी के बारे में ऐसा हुआ है अफ्रीका में और उधर उनकी मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है गांधी मस्ट फॉल जैसे रोड्स म मस्ट फॉल एक हैशटैग चला था तो गांधी मस्ट फॉल भी एक वहां पर चलाया गया कई देशों में चलाया गया साउथ अफ्रीका में घाना में मालवी देर आर मेनी कंट्रीज जहां पर ये सब हुआ है जहां प ब्लैक्स थे अधिकतर उन देशों में अश्वेत लोगों के साथ ये सारी घटनाएं हो रही थी तो मुझे लगा कि इस विषय पर क्यों ना हम थोड़ा बहुत पढ़ा क्योंकि ये हमारे लिए वो हो जाता है ना कि गांधी जी की मूर्तियां क्यों तोड़ी जा रही है क्योंकि हम देखते हैं कि चाहे लेफ्ट हो चाहे राइट हो गांधी जी ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर कहीं ना कहीं मतलब लोग कोशिश करते हैं कि ना ही बोले मतलब अगर आप देखोगे ना इसको और गुढ़ा से देखोगे तो लेफ्ट और राइट दोनों मिलके गांधी जी को गालियां देते हैं अच्छा हां और ब्रॉडर रूप से देखोगे तो आपको लगेगा लेफ्ट और राइट दोनों गांधी जी का सम्मान करते हैं दोनों के अपने अपने विषय इसमें अगर आप देखोगे ना जैसे फॉर एग्जांपल हम राइट जिसको बोलते हैं भारत में हालांकि मैं मानता नहीं हूं भारत में को लेफ्ट और राइट सही फॉर्म में एजिस्ट करता है ना लेफ्ट एंड लेफ्ट वाले भी गणेश जी की मूर्तियों को अपने कंधे पर लेकर जा ना गया ना अभी अच्छा ठीक है तो वो भी सही फॉर्म ऑफ कम्युनिज्म को नहीं मान रहे हैं ना हमारे जो राइट विंग जिसको बोला जाता है फॉर एग्जांपल मोदी जी हैं वो भी गांधी जी के विषय में बहुत प्रेरणादाई बात कहेंगे गांधी जीय गांधी जी उनका जैसे स्वच्छ स्वच्छता अभियान आप देखिए वो गांधी जी पर इवन आरएसएस आरएसएस का आप संवाद सुन लीजिए हम बट जैसे ही यह सारी बातें वर्कर लेवल पर या कार्यकर्ता लेवल पर आ जाती हैं हम तो आपको संवाद बदलते दिख जाएंगे दिख जाएंगे आपको दिखेगा कि गांधी को कुछ कुछ लोग अब्यूड़ोस एक ब्रिटिश सरकारी राज का जो आदेश था उसके बाद उनके आगे महात्मा लगाया गया है वह लोगों ने उन्हें उपाधि नहीं दी थी इसमें क्या है ना कि अगर आप कहीं पे भी पढ़ोगे हम तो आपको पढ़ने को यही मिलेगा कि 1915 में टैगोर ने महात्मा की उपाधि गांधी को दी थी लेकिन ऐसा है नहीं क्योंकि 1937 में एक राजपत्र आता है उसके आगे लिखा जाता है उसमें लिखा जाता है कि आपको गांधी के लिए महात्मा श गांधी शब्द का जब भी प्रयोग करना है तो उससे पहले महात्मा का उपयोग करना है तो यह 1937 में राजतंत्र जो है व फरमान देता है यह वाला और उसके बाद किसी भी जेल में या किसी भी कोर्ट में गांधी के सामने महात्मा लगने लगा और वहीं से ही वह महात्मा गांधी बनते हैं अगर आप किसी से भी पूछोगे तो व सब टैगोर कोई टैगोर बोलेगा मतलब इसमें तीन चार थरी है कोई टैगोर बोलेगा कोई किसी और का नाम लेगा कोई किसी और का नाम लेगा पर प्री डोमिनेंटली ये लोग टैगोर को ही कोट करते हैं 1915 में टैगोर ने ऐसा कहा था जबकि ऐसा है नहीं 1937 का राज शाही से वो आया था नोटिस आया था वहां से ये बात शुरू होती है रही बात रेसिजम की तो वही मतलब जैसे एक ह्यूमन बीइंग गलती करता है और वह उनके विचारों में बहुत लंबे समय तक रखा इसके ऊपर मैंने जब पढ़ा तो रामचंद्र गुहा को मैंने देखा रामचंद्र गुहा वाज डिफेंडिंग इट कि भाई ठीक है उन्होंने किया बट वो 30 वर्ष की आयु तक इन्होंने रेसिजम किया और उसके बाद उनका रेसिजम पे विचार जो था वो चेंज हो गया था उनके विचार सबको एक साथ रखने वाले हो गए थे थोड़ा सा इस रेसिजम पे भी बता दीजिए उस पे आ रहा हूं मैं उस आ रहा हूं तो रामचंद्र गुहा को मैंने पढ़ा तो मेरे को यह लगा यार क्या यह सही में ऐसा हुआ था फिर उसके बाद मैंने और डीप पढ़ना शुरू किया अब हम चले जाते हैं जब गांधी साउथ अफ्रीका गए अब गांधी साउथ अफ्रीका जाते हैं तो वहां पर वह बहुत सारे विचार रखते हैं मतलब एक साल में वो एक टाइम पर वो कहते हैं कि ब्लैक्स जो है वो हिंदुओं से हीन है और हिंदुओं को आप ब्लैक से कंपेयर मत कर वो बेसिकली इंडियन शब्द यूज कर रहे थे हा हिंदू नहीं इंडियन इंडियन भारतीयों से हीन है वो तो वो एक टाइम प कहते हैं कि ब्लैक्स हीन है भारतीयों से उन एक जैसा एक समान ना समझा जाए एक असभ्य शब्द भी यूज किया है अस असभ्य शब्द तो किया ही है एनिमल शब्द का प्रयोग किया गया है अश्वेत के लिए साथ में ही मतलब सवेज जंगली सवेज लाइक यू नो तो जंगलिया की तरह ऐसे ऐसे शब्दों का प्र किया उ एक शब्द जो प्री डोमिनेंटली यूज किया गया है वो है काफिर अब काफिर का मुझे भी थोड़ा कम समझ आया उसका रीजन क्या हो सकता है कि अफ्रीकन कॉन्टिनेंट है वहां पर जो वहां के अंग्रेज थे हम जो ब्रिटिशर्स थे वो भी काफिर ही बोलते थे अश्वेत को तो अच्छा वो भी काफिर ही बोलते थे अश्वेत को और गांधी ने भी काफिर शब्द का डिमन मतलब वो उनको डिमन करते हुए काफिर बोलते थे ब्रिटिशर्स तो सिमिलरली गांधी यूज द वर्ड काफिर फॉर देम डिमन करते हुए ही तो ये शब्द ये शब्दावली का प्रयोग गांधी जी ने किया अश्वेत के लिए अब इसमें फिर आप देखेंगे तो उन्होंने कहा कि जेल में आप अश्वेत को और भारतीयों को एक साथ एक साथ बंदी नहीं बनाना चाहिए और उन्होंने कहा कि मतलब अगर इनको एक साथ बंदी बनाओगे तो ऐसा हो सकता है कि ये अश्वेत का जो के जो नियम हैं जो जैसे ये रहते हैं वैसे भारतीय करने लग जाए और वो भी इन्हीं की तरह अनसिविलाइज्ड हो जाए तो इस तरीके के विचार गांधी ने बहुत लंबे समय तक रखे नॉट जस्ट के दो चार बार ऐसा बोला होगा लेकिन इसके पैरेलली आप देखते हो तो ये कहते हैं कि भाई अश्वेत को भी अधिकार है अश्वेत अश्वेत को जो नंबर दिया गया है जब वो साइकिल चलाते हैं तो उनको एक नंबर दिया हुआ था कि आप ये नंबर पहन के ही साइकिल चलाओगे और किसी को नहीं दिया गया था तो गांधी जी ने कहा कि भाई इन्हीं के साथ क्यों डिस्क्रिमिनेशन ऐसा नहीं होना चाहिए फिर आप इसी में ही देखते हो कि वो कहते हैं कि भाई अश्वेत अश्वेत को उस जगह से मतलब डरबन की आ थिंक बात डरबन से आगे किसी दूसरी जगह पर भेजा जा रहा था जो कि काफी दूर था और वहां का जो बेसिकली एक्सोडस हो रहा था अच्छा तो वो बोलते हैं कि ये यहां पर गलत हो रहा है हा ये गलत हो मतलब देखो आपको ऐसा दिखेगा कि उनकी जो और ये समकालीन चल रहा है दोनों चीजें मतलब वो उनके लिए लड़ रहे हैं या बात कर रहे हैं लेकिन उनको नीचा समझ रहे नीचा समझ रहे मलब इस चीज को मान रहे कि हम ये इनफीरियर रेस है पर उनका जो दुख दर्द है उसको समझ ने का प्रयास कर रहे हैं दोनों चीजें पैरेलली दिखती है और सेम चीज आपको फिर भारत में दलित जो समुदाय है उसके साथ भी दिखेगी वो जन्मना जाति के पक्षधर रहते हैं गांधी जी जो हैं और उसका उसके कई संवाद मिलते हैं कि अंबेडकर उनको अंबेडकर और गांधी के बीच में इस चीज पर थोड़ा डिबेट क्या हुआ था ना गांधी जी ने एक आर्टिकल लिखा था अपनी उन्होंने पत्रिका चलाई थी हरिजन नाम से वो दलित शब्द का प्रयोग नहीं करते थे वो हरिजन शब्द का प्रयोग करते थे हरिजन शब्द उन्होंने ही दिया था और विद गुड इंटेंशन हां लेकिन ये बाद में मतलब ये कोर्ट्स में गया ये कि भाई हरिजन क्यों बोलते हो हरिजन अगर आज आप हरिजन बोल दोगे तो उसके ऊपर आपके ऊपर चीजें कानून धाराएं लग सकती हैं कोर्ट ने मना कर रहा है कि नहीं हरिजन नहीं बोलना है तो गांधी जी बोला करते थे हां और गांधी जी ने एक पत्रिका चलाई थी हरिजन के नाम से उस पत्रिका में गांधी जी ने कुछ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए एक आर्टिकल लिखा हुआ था द आइडियल अच्छा इस जाति सूचक शब्द के लिए मैं तो क्षमा मांगता हूं बट गांधी जी का आर्टिकल था तो मुझे बोलना पड़ा ठीक है अब उस आर्टिकल में मतलब अगर आज आप ये शब्द बोल दोगे तो और जैसे सलमान खान ने एक बार बोला था या फिर और युवराज ने बोला था या फिर एक बबीता जी आती है उसमें क्या नाम है वो तारक मेहता का उल्टा चश्मा उसने बोला था तो उनके ऊपर बहुत बड़ा विवाद हुआ था केसेस भी लग गए थे धाराए राए भी लग गई थी तो आज आप इस शब्द को प्रयोग में नहीं ला सकते हो पर उन्होंने एक आर्टिकल लिखा था बहुत लंबा चौड़ा सा और उस आर्टिकल में गांधी जी बताते हैं कि एक को कैसा होना चाहिए और वह बताते हैं कि इस समाज के लोगों को पता होना चाहिए कि किस तरीके से शौच को साफ करते हैं उस समाज के लोगों को पता होना चाहिए कि किस तरीके से टॉयलेट का निर्माण किया जाना चाहिए इस समाज के लोगों को यह पता होना चाहिए कि मल और मूत्र से खाद कैसे बना जा सकती है और कैसे बनेगी तो यह एक आइडियल होगा जिसको यह सब चीजें पता होंगी अब बेसिकली मतलब यहां पर यह आ गया कि वो जन्मना जाति यानी कि एक ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण बनेगा एक दलित का बेटा दलित बनेगा इस थॉट को वो वो नहीं छोड़ पा रहे थे उसके लिए वो एग्जांपल देते हैं वो ये कहते हैं कि शहरों को तो छोड़ दीजिए पर ग्रामों में आपको असली व्यवस्था दिखाई देती है एक पुत्र अपने पिता का व्यवसाय चुन है और इसी तरीके से इसी भारत की परिकल्पना मैं करता हूं एक पुत्र अपने पिता की वो जो जो उसका बिजनेस है वो करे अब इसमें अंबेडकर एक इसके ऊपर आर्टिकल लिखते हैं इसके रि बटल में कि भाई अगर आप चाहते हो कि पुत्र पिता का बिजनेस संभाले तो इसका अर्थ है कि आप जातिवादी हो और घोर जातिवादी हो इसमें आप कहते हो कि पुत्र ही वही व्यवसाय करे जो पिता करता है तो इसका अर्थ य है कि जातियों जातीय व्यवस्था में आप वर्ग को हिंदुओं को और देश को बांटना चाहते हो तो अंबेडकर ये शब्द लिख देते हैं इसका फिर गांधी जी रिप्लाई देते हैं गांधी जी कहते हैं कि भाई मैं तो वर्ण व्यवस्था में बिलीव करता हूं जातीय व्यवस्था में बिलीव नहीं करता हूं फिर अंबेडकर जी रिप्लाई देते हैं कि अगर आप जातीय व्यवस्था में और वो उसके लिए यह कहते हैं कि मेरा मानना गांधी जी कहते हैं कि मेरा मानना यह है कि जितनी भी जातियां हैं जैसे हमने दलित एक शब्द का प्रयोग किया दलित में जितनी भी जातियां आती हैं वो सब दलित बन जाएं या हरिजन बन जाए नहीं नहीं वो उसका उस कहने का मतलब यह है बेसिकली कि जितनी भी अनुसूचित जातियां हैं जो शेड्यूल कास्ट में जिनको आज माना जाता है तो गांधी जी ये कह रहे थे कि सारी जातियां एक साथ मिलके एक वर्ण बना ले जिसको शुद्र कहा जाए तो वही वो बेसिकली वर्ण बन गया हां म अब इस पे अंबेडकर जी रिप्लाई देते हैं ह अंबेडकर जी कहते हैं कि अगर मतलब चार डिफरेंट तरीके की जो जातियां हैं और दलित समाज की वो चार जातियां हैं वो सब मिलके एक बड़ी जाति बन जाए एक बड़ा वर्ग बन जाए वर्ण आप उसको वर्ण कह दो और वो काम फिर भी वो वही कर रहे हैं जो अभी तक करते आ रहे हैं अगर आप जैसे का एग्जांपल दे रहे हो गांधी जी तो अगर वो का बेटा ही बन रहा है तो प्रॉब्लम सॉल्व कैसे हुई आपने केवल नाम चेंज कर दिया कमन क्चर इ नॉ द सलूशन ये अंबेडकर ने उनको कहा और फिर अंबेडकर कहते हैं कि आप वर्ण व्यवस्था को समझे ही नहीं हो वर्ण व्यवस्था आपको पता ही नहीं है हिंदू धर्म में वर्ण व्यवस्था अंबेडकर डिफाइन करते हैं कि हिंदू धर्म की वर्ण व्यवस्था यह है और इसमें फिर मैं एक और बुक पढ़ रहा था उसमें मुझे पता चला कि भाई गांधी जी को भारतीय जो यह भारतीय जो क्या बोल सकते हैं इसको ट्रे ट्रेडीशंस है जो परंपराएं हैं वो गांधी जी को उतनी पता ही नहीं है क्योंकि उसका कभी ना गांधी जी का कभी कोई गुरु रहा उस संदर्भ में ना उनसे सीखा ना उन पुस्तकों को पढ़ा मतलब मैं तो ये भी पढ़ रहा था कि एक एक पुस्तक में आई थिंक संजीव सानयाल की पुस्तक है उसमें लिखा हुआ है कि गांधी जी गीता और रामायण का जो एग्जांपल देते हैं वह केवल अपने आप को जस्टिफाई करने के लिए देते हैं और जहां पे गांधी जी के विचार और गीता के विचार में भिन्न ता दिखती है वहां पर गांधी जी गीता को नकार देते हैं और कहते हैं मेरे ही विचार उच्च है वो छोड़ दो तो ये ये चीज भी उनके चीजों में दिखते तो उनको भारतीय दर्शन के बारे में बहुत ज्यादा पता नहीं था तो वो वर्ण को उस तरीके से बता रहे थे जैसे उन्होंने बताया अंबेडकर जी ने उनको उनके लिए फिर वर्ण की व्याख्या की कि भाई वर्ण व्यवस्था ऐसे होती है ये वर्ण व्यवस्था है जो कि जो आप बोल रहे हो वो जातीय व्यवस्था ही है हां बस उसका नाम ही आप चज कर रहे और ग्रुप्स को थोड़ा बड़ा कर ले रहे हैं बट टोटलिटी में देखेंगे ना फिर आपको गांधी जी की हरिजन समाज के लिए या फिर दलित समाज के लिए जो किया गया उनका युद्ध है वो भी दिखाई देगा हां तो मैं दोनों ही चीजें हम यहां पर देख सकते हैं कि एक वर्ग को का दर्द भी उनको दिख रहा है पर उस वर्ग को वो थोड़ा सा वैसा ही रखना चाह ते हैं मतलब वो उसी उस उसी तरह से उसी स्ट्रक्चर में रहते हुए जो अच्छा हो सके हां हां हां राइट राइट राइट राट उनका अप्रोच वैसा ही रहा तो हमारा निष्कर्ष यही निकल पाया देखिए क्या होता है ना कि पढ़ने को इतना कुछ होता है सारी चीजें आप मे बी इसमें कुछ ल होलो हमने लोगों से कहा था कि अगर इसमें कोई लूप होल हो तो बताइए आप इसमें ना 1946 में एक अंग्रेज ने लिखा था कि मतलब गांधी उनका जो राइटिंग है वो ये है गांधी बन अ रेसिस्ट फॉर मतलब ता उमर वो रेसिस्ट टाइप के ही रहे पर 1946 के आसपास उनके विचार जो थे वो थोड़े बदलने लगे थे वो समावेशी होने लगे थे दो साल ही तो बचे थे उनके तो वो 196 पर उनको पता नहीं था ना 1948 में ऐसा हो जाएगा तो वो 1946 में थोड़े समावेशी होने लगे थे ये एक अंग्रेज ने लिखा भी है हम और गांधी जी को जैसे मैं तो कहूंगा जैसे सब बोलते हैं कि पढ़ के थोड़ा जानने का प्रयास करना चाहिए जैसे मैंने जो पढ़ा अब देखिए गांधी जी के जो विचार हैं जो मैंने पढ़े हैं वो बहुत आइडियल सोसाइटी के हैं और उस तरह के विचारों के मानने वालों के बीच में ही चलेंगे अब अगर उनका यह विचार है कि डॉक्टर्स की आवश्यकता नहीं है क्योंकि डॉक्टर्स इंसान को लेजी बनाते हैं क्योंकि अगर कोई गलत मान लीजिए कोई शराब पीता है और उसको हैंगओवर होता है और डॉक्टर उसको सही कर देता है तो अगले दिन फिर पिएगा तो यहां गलती डॉक्टर की है शराबी की नहीं है अगर उसको उसको हां उसको हैंगओवर रहे अगर दो-तीन दिन तो अगली बार फिर पिए फिर दर्द होगा तो हो सकता है तीसरी बार छोड़ दे डॉक्टर से मुझे एक और किस्सा याद आया गांधी जी का गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा गांधी उनको कोई बीमारी मलेरिया हो गया था आई थिंक तो मलेरिया नहीं था जो कोई कोई बीमारी हो गई थी उनको बीरी थी उनको पेनिसिलिन का इंजेक्शन लगना था गांधी जी ने मना कर दिया मतलब डॉक्टर्स ने कहा कि भाई इनको पेनिसिलिन का इंजेक्शन लगेगा तो ये बच जाएंगे कोई दिक्कत नहीं है ठीक हो जाएंगे गांधी जी ने कहा नहीं नहीं लगना गांधी जी बेसिकली प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास रखते थे तो लेकिन थोड़े समय के बाद गांधी जी को स्वयं को बीमारी हो गई गांधी जी ने कहा लगा दो भाई साहब बाय द वे गांधी जी की जो अ पत्नी थी कस्तूरबा हां हां शी डाइड हां वो वो पेनिसिलिन नहीं मिला तो कस्तूरबा की मृत्यु हो गई हम थोड़े टाइम के बाद गांधी जी को सेम हुआ उनको भी पेनिसिलिन लगना था लगा दो यार क्या फर्क पड़ता तो ये चीजें हैं अभी एक अंतिम चर्चा करेंगे उसके बाद हम फन सेक्शन में चलेंगे और उस पर जैसे सभी हमारे दर्शकों को पता है कि वहां पर हम एक रैपिड फायर राउंड करते हैं दिस और दैट और थम का एक अंतिम चर्चा करेंगे क्योंकि अभी लेटेस्ट चुनाव गया है और यह ऐसा अनप्रेसिडेंटेड मतलब चुनाव रहा है जहां पर यूट्यू बर्स बहुत तेज तरार निकले हैं और काफी हमें सोशल मीडिया पर इस चुनाव की चर्चा दिखी है अभी जो जो जो भी रिजल्ट आया मैं पहले आपके ओपिनियन जानना चाहता हूं क्या यह इंडिया के लिए बेहतर रिजल्ट है एज कि ऐसे सोचे कि बीजेपी के पास भी अभी मोटिवेशन है कि हम आगे हार सकते हैं काम करें और कांग्रेस की कुछ आशा जग गई है कि भाई कुछ हुआ है तो चलो काम करते हैं तो ये लग है ये बहुत सकारात्मक सोच है पर इतने सकारात्मक लोग ये दोनों ही नहीं है अच्छा तो आप लोगों के क्या व्यूज हैं इस रिजल्ट को लेके और फिर दूसरा मैं प्रश्न करता हूं मुझे लगता है कि बहुत से लोग कह रहे हैं कि अच्छा हुआ है हां बट मुझे नहीं लगता मुझे पर्सनली लगता है कि जो देश था वो एक अच्छे विकास के पथ पर था उसमें कुछ अवरोध आ सकते हैं कुछ निर्णय जो है वो नहीं लिए जा पाएंगे कुछ बड़े निर्णय जिनकी बात हो रही थी वह नहीं लिए जा पाएंगे पर चलिए वो हिंदुत्व के जो मुद्दे हैं उनको छोड़ भी दीजिए इवन जो विकास के मुद्दे हैं उन पर भी रोक लग सकती है फॉर एग्जांपल कल को सेमीकंडक्टर के नाम पर कुछ होने लगे सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री जो होती है उसमें आपको बहुत पानी की जरूरत होती है बहुत सारी चीजों की जरूरत होती है तो उसमें अचानक से कोई विपक्ष का बंदा बोलने लगे या फिर जो सत्ता पक्ष में जो सहयोगी पार्टिया है वो बोलने लगे कि तुम तो यार एक ऐसे क्षेत्र में ऐसी कंपनी ला रही हो जिसको पानी की जरूरत है जहां अकाल पड़ते हैं जहां पर किसानों को पानी चाहिए तुम किसानों को पानी नहीं दे पा रहे हो ये एग्जांपल आप बिहार के संदर्भ में लेके देखो बिहार में सपोज करो इस तरीके से सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने की बात होती है ठीक है वहां पे सूखा पड़ रहा है किसी साल बाढ़ आ रही है किसी साल सूखा पड़ रहा है हम अब बिहार में आपके सहयोगी दल है हम नितेश जी आ गए हम तो नितीश जी कह रहे हैं कि भाई नहीं नहीं नहीं यह तो इंडस्ट्री में नहीं लगने दूंगा वो कह रहे हैं कि नहीं नहीं ये तो लगेगी यहीं पे लगेगी ये तो बेस्ट एनवायरमेंट इसके लिए तो यही है तो फिर क्या करोगे तो यहां पे फिर दिक्कत हो सकती है यहां से हटा के फिर दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ेगा बहुत सारी इस तरीके बेसिकली क्या है ना कि जो डिसीजन मेकिंग है वो टफ हो जाती है अब मुझे तो थोड़ा ऐसा लगा कि आई थिंक 272 क्रॉस हो जाते तो मतलब जो एक वे थी वो इजियर रहती क्योंकि जो जितना मैं देख पा रहा पीएलआई स्कीम्स वगैरह जो भी चीजें हो रही थी वो अच्छी चल रही थी उनकी वजह से करीब सवा लाख एक लाख करोड़ से ऊपर का तो इन्वेस्टमेंट आया पीएलआई स्कीम्स के बाद और नंबर ऑफ स्टार्टअप्स वगैरह सारी चीजें कितनी बढ़ रही है करीब सवा लाख इस देश में इस समय स्टार्टअप्स चल रहे हैं तो जिस गति से चीजें चल रही थी वह आप यह देखिए ना वैश्विक स्तर पर कोरोना के बाद कौन सी इकॉनमी जो है जो अच्छा कर रही है कोई इकॉनमी अच्छा नहीं करो रिसेशन चल रहे हैं दुनिया में भारत अच्छा कर रहा है लेकिन जो जैसे आपने स्वास्तिक पर डॉक्यूमेंट्री की थी तो हिटलर के विषय में भी बहुत पढ़ा होगा उसके जो वो थे कि बचपन में कैसा था क्या था फिर हिटलर ने किस तरह से जर्मनी को आगे बढ़ाया तो वो जो डिक्टेटरशिप आप देखते हैं और जो आज एक समस्या यह तो छोटी समस्या है सेमीकंडक्टर बड़ी समस्या डिक्टेटरशिप है जिससे आप अभी हम सब देखे पिछले छ महीने में अचानक से समस्या सेमीकंडक्टर नहीं है समस्या विकास का दर रुकना है जो कि बहुत बड़ी समस्या है एक्चुअली अगर वो विकास का दर रुकता है तो तो हिटलर को पढ़ते समय आप मोदी जी के डिक्टेटरशिप को कितना अंक देते हैं मोदी जी का डिक्टेटर यार मोदी गौ आदमी का दो कौड़ी के डिक्टेटरशिप है भैया हम तो यही बोलते हैं भाई क्या दो कड़ी की डिक्टेटरशिप भाई मतलब देर इज नथिंग लाइक डिक्टेटरशिप इन इंडिया वो हो भी नहीं सकती है और ये आज से नहीं चल रहा है ये मामला मोदी को डिक्टेटरशिप मोदी हिटलर है मोदी डिक्टेटर है इसको 2007 से ऐसे बयानों की पूरी श्रृंखला है कौन सा लीडर है जिसने नहीं कहा नितीश कुमार ने नहीं कहा आज साथ बैठे हैं ममता बैनर्जी ने नहीं कहा हम ठीक है ये लीडरशिप की बात है कांग्रेस के कौन से बड़े लीडर ने नहीं कहा सबने कहा है कौन से अखबार में इस टाइप के लेख नहीं छपे हैं हमने इस पर कवरेज की थी 200 मैं एक कहानी सुनाता हूं आपको बढ़िया कहानी है अटल बिहारी वाजपेई लिबरल है म उसको उनको तो सब यही कहते हैं ना कि नहीं बाजपाई अच्छे हैं भाजपाई बुरे हैं यही बात थी अब अटल जी की सरकार आती है 1995 96 पहले दिन उनकी सरकार आती है पहले दिन न्यूयॉर्क टाइम्स में लेख छप जाता है राइज ऑफ फासिज्म इन इंडिया अटल जी फासिस्ट थे च रहा सारा ड्रामा और जो आपने पिछले पिछले टर्म में पिछले से पिछले टर्म में 2014 से 19 वाले टर्म में आपने बहुत सारी चीज सुनी होंगी टोलरेंस टोलरेंस चल रहा था पहले तो वो इनटोलरेंस जो था वो आपको क्या लग रहा है नया था अटल जी के टाइम प भी बहुत इनटोलरेंस था इतने आर्टिकल्स में आपको अटल जी के टाइम के दिखाता हूं जब इनटोलरेंस इनटोलरेंस की बातें चल रही थी तो कुछ नैरेटिव होते हैं जो बीच में हर चुनाव के पहले बिल्ड मब अगर भाजपा की सरकार आएगी तो ये वाले नैरेटिव जो है जैसे मैंने आपको अरुंधती की कहानी सुनाई थी ओम वाली कहानी जो थी वो इनटोलरेंस ही बता रही थी ना कि हिंदुओं का कितना इनटोलरेंस है तो इस तरीके की कहानिया अभी क्या ज श्रीराम के नाम पे इनटोलरेंस है उस टाइम पे ओम के नाम पे हिंदुत्व के नाम पे इनटोलरेंस हो रही थी ठीक है तो ये एक नैरेटिव बनाने का पूरा प्रयास किया जाता था और अटल जी के टाइम पे भी फासिज्म फासिज्म फासिज्म फासिज्म जब तक वो गए नहीं तब तक फासिज्म अटल जी ने दो चीजें चेंज करी थी एनसीआरटी में एक चीज थी के गुरु तेग बहादुर एनसीआरटी में लिखा हुआ है 12वीं की पुस्तक में गुरु तेग बहादुर वाज अ प्लंडरर हम वो डाकू थे गुरु तेग बहादुर ठीक है तो अटल जी नेय चेंज कर दिया नहीं भाई यह सब कुछ नहीं लिखोगे तुम ठीक फिर अगली एक दूसरी चीज थी वो महावीर जैन के बारे में थी तो उस उनके लिए मतलब नग्न कुछ मतलब उस टाइप की चीजें लिखी हुई थी जो मैं शायद कोट भी ना करना चाहूं यहां पे ठीक है तो इस तरीके की चीजें वो भारत की एनसीआरटी की पुस्तक में लिखी हुई है महावीर जन के बारे में ठीक है अटल जी ने वो चेंज कर दिया नेक्स्ट डे दो दो चीजें जो मैंने बताई वही चेंज हुई है बस हम नेक्स्ट डे टाइम्स ऑफ इंडिया का आर्टिकल हम सेफ्रोटक्स राम और ओम का मैंने आपको इक्वेट करके बताया ही उस टाइम पे क्या चल रहा था ठीक तो ये सब चीजें जैसे ही भाजपा की सरकार आएगी आपको देखने को मिलेगा इसके पहले इनटोलरेंस हमने इतना ध्यान नहीं दि इस बार डिक्टेटरशिप कुछ ज्यादा ही हो गया तो अभी चर्चा को यहीं पर समाप्त करेंगे सभी साथियों का फिर से स्ट्रकिंग थॉट्स के इस पड़ाव पर स्वागत है यह पड़ाव आपके लिए शिक्षणम लेकर आता है यहां पर हम पुस्तकों की चर्चा करते हैं और मैंने यह बनाया है कांसेप्ट कि चूंकि पुस्तकें कहीं ना कहीं पीछे छूट जा रही है और कंटेंट क्रिएटर्स एटलीस्ट लोग तो पढ़ते ही हम लोग कंटेंट क्रिएटर होते हुए ज्यादा पढ़ते हैं क्योंकि हमें पढ़ना पड़ता है और वही प्राइमरी सोर्स भी होते हैं हमारे तो मैं चाहता हूं कि हमारी जनता भी बुक्स को पढ़े क्योंकि उससे बहुत बुक्स के साथ क्या होता है कि एक एक अच्छी आप शांति के साथ पढ़ भी सकते हो और बहुत ढेर सारे पर्सपेक्टिव को घर बैठे समझ भी सकते हैं तो गर्वित जी आप से मैं शुरू करूंगा कम खल से हम हम एक एक बुक ही रिकमेंड करता हूं तो एक प्रखर श्रीवास्तव जी की बुक है हे राम हेरा हे राम हे राम हे राम पढ़िए उसमें आपको गांधी जी के पर्सपेक्टिव में बहुत कुछ जानने को मिलेगा बहुत डिटेल्स है एक एक चीज उस टाइम के 1946 से 1948 तक के टाइम की जब तक उनकी मृत्यु होती है और जब वो भारत में दंगे बंगे हो रहे थे उसमें पाकिस्तान कैसे बना और उसमें गांधी जी का पर्सपेक्टिव क्या है और नेहरू जी का पर्सपेक्टिव क्या है नेहरू जी प्रधानमंत्री कैसे बने और क्या-क्या चीजें हो रही है उस टाइम पे उ स से 48 के बीच में वो सारी चीजें वेल डॉक्यूमेंटेशन कई आ रही है दिमाग में बट आई थिंक एक पुस्तक है शेषराव मोरी जी की बहुत प्रचलित नहीं है क्यों मराठी में लिखी गई थी उसका नाम है 1857 का जिहाद अच्छा अब यह जो है कई लोगों को बहुत लग सकता है तो इट्स काइंड ऑ फूड ऑफ फूड फॉर थॉट आपके पास एक और पर्सपेक्टिव आएगा तो उसको जब आप पढ़ते हैं आपको बहुत सारी घटनाएं ऐसी पता चलती है जिनके बारे में आप अनभिज्ञ है इतिहास में और उन्हीं घटनाओं का जिक्र जो है वो जे साई दीपक की पुस्तक में आता है इंडिया भारत पाकिस्तान आई थिंक तो आई थिंक मैं वो रिकमेंड करना चाह करेंगे तो बहुत-बहुत धन्यवाद आपका अनुज जी और ग जी इतनी अच्छी पुस्तको को बताने के लिए मैं इस एपिसोड को समाप्त एक अंतिम प्रश्न से करूंगा बहुत पर्सनल प्रश्न है कि जहां हम एक तरफ देखते हैं कि बहुत से कंट्रीज अपने पास्ट को भुलाकर आगे बढ़ चुके हैं चाहे वो जर्मनी हो हो सकता है उतना ना भुलाए हो लेकिन हमें दिखता है उनके अप्रोच में अब कि जर्मनी के जो रिलेशंस रहे हो अब और पहले जैसे हालात थे वहां पर या फिर और भी कंट्रीज है जो अपनी चीजों को भूलकर अब एक नए सिरे से अपने ग्लोबलाइजेशन में आगे बढ़ चुके हैं और जैसे जापान हो गया उसके जो अमेरिका के साथ संबंध बुरे थे अभी जापान को हम देखते हैं काफी अच्छे संबंधों के साथ आगे बढ़ रहा है तो क्या एज अ एस अ कंट्री मैन और कंट्री की जो लीडरशिप है क्या उसको पुराने इतिहास को मुगलों के इतिहास को जो हिंदू मुस्लिम में हुआ या बहुत सी चीजें हुई अंग्रेजों के साथ हुई वो सब भूल के अब इन सब चीजों को छोड़ के एक ओपन माइंड सेट के साथ प्रोग्रेस की तरफ बढ़ना चाहिए या इतिहास को हमेशा जिंदा रखना चाहिए और उस पर बीच-बीच में पन्ने पलटक देखने चाहिए यह मेरा अंतिम प्रश्न है इस पॉडकास्ट को यही समाप्त करेंगे तो इसमें मेरा पॉइंट ऑफ व्यू यह है कि भाई क्या आपने अभी तक भी सही इतिहास को पढ़ा चलो और क्या हम उन सब चीजों को भूलकर परस्पर रूप से आगे नहीं बढ़ रहे हैं क्या अगर ब्रॉडर वे में देखोगे तो आपको लगेगा कि हां हम परस्पर रूप से आगे बढ़ ही रहे हैं कोई उसमें बहुत ज्यादा दिक्कतें नहीं है कुछ दिक्कतें हैं और अगर इतिहास ही की बात है तो इतिहास तो मेरे ख्याल से हमने ढंग से पढ़ा ही नहीं है जो सत्यता थी वो तो सत्यता छुपा ही ली गई है तो मेरे ख्याल से सबको एक बार तो एटलीस्ट वो सत्य जान लेना चाहिए और उस सत्य को जानने के बाद हमें पता है कि भाई हिंदू को भी यही रहना है मुसलमान को भी यही रहना है और ये दोनों का सत्य अभी क्या है ना हिंदू कहता है कि भाई यह सत्य था मुसलमान कहता था य कहता है यह सत्य था अब इन दोनों के बीच में जो गैप है उसके ऊपर डिबेट है हम तो वो एक बार सत्यता सबको पता चलनी चाहिए कि भाई यह सत्य है और उस सत्य के साथ अब जीना है तो आसान हो जाता है अब कोई कहेगा नहीं ये सत्य है कोई कहेगा ये सत्य है तो क्लैश होता रहेगा एक सत्य पे आओ उस सत्य को जानो दोनों साइड जाने और उसके बाद परस्पर रूप से आगे बढ़े हम मेरा भी मोर लेस यही मानना है बस इसमें बस यही है कि दोनों का ट्रुथ जो है वो डिफरेंट है बट जैसे कि अब इनकी पुस्तक आई है क्या नाम है विक्रम संपत जी की सावरकर पर पुस्तक आई है तो उसको कांग्रेस के बड़े लीडर जैसे शशी थरूर जैसे लोग भी जो कि कांग्रेस से हैं और बड़े लीडर हैं और सावरकर की विचारधारा के विरुद्ध हैं उन्होंने भी कहा है कि ही हैज डन गुड वर्क इन दिस बुक तो ऐसा एक काम करना चाहिए और उस पुस्तक को फिर एक बेंचमार्क मानते हुए आगे बढ़ना चाहिए और उसके बाद ना देखिए य मैं ऐसा नहीं सोचता कि इतिहास को भूलना चाहिए या फिर इतिहास को आगे बढ़ो ऐसा मैं नहीं मानता हूं उसका रीजन यह है कि जब तक आप इतिहास को ढंग से नहीं पढ़ोगे या इतिहास को पढ़ते नहीं रहोगे पीढ़ियों तक हम वही मिस्टेक्स फिर से करने वाले हो जो आप पहले कर चुके हो तो इतिहास को पढ़ना और इतिहास से सीख लेना बहुत जरूरी है हां उसकी वजह से प्रेजुड पाल के बैठना उसकी वजह से अपने भीतर क्रोध पाल के बैठना वो गलत है बट ये क्रोध और ये प्रेजुड आने के भी कई कारण हो जाते हैं जैसे फॉर एग्जांपल आप औरंगजेब को मसीहा बताने लग जाओ वली बताने लग जाओ आप जैसे नालंदा को ब्राह्मण ने बिन कासम है मोहद ब कासिम को यह बोलने लग जाओगे उसका अटैक ठीक था तो जब ऐसी चीज आएंगी ना तो फिर साइड वाला बंदा जो है वो भी कुछ नैरेटिव ले आएगा और उसके बाद क्लश होंगे तो आई थिंक ये जो औरंगजेब और मोहम्मद बिन कासिम वाले जो नैरेटिव है ये बिल्कुल फुस होने चाहिए आपकी एनसीआरटी औरंगजेब को सेंट बताती है थी हा थी मतलब औरंगजेब को सेंट बताती थी अब तक तो कैसे मान ले मतलब हम सबने तो पढ़ा ही है ना तो कैसे मान ले कि भाई वोह सेंट था वो संत था तो ये नहीं माना जा सकता ना तो सत्य सत्य होना चाहिए वही मैं कह रहा हूं ना आपका ट्रुथ मेरा ट्रुथ लेकिन एब्सलूट ट्रुथ उस एब्सलूट ट्रुथ पे पहुंच जाएंगे तो यह वाला जो विवाद है ये समाप्त हो जाएगा य वो सर्वमान्य होगा और सर्वमान्य होने के बाद फिर ये विवाद एटलीस्ट समाप्त हो सकता है और उसको पढ़ना अवश्य चाहिए हिंदू को भी मुसलमान को भी ताकि मुसलमान वो चीज करे ना और हिंदू उस चीज को दोहराने देना हम तो इन्हीं कुछ शब्दों के साथ और जो हमें हमारे गेस्ट हमारे अतिथियों से जानने को मिला है उसके साथ में इस पॉडकास्ट को यहीं पर समाप्त करूंगा आपका धन्यवाद गर्वित जी और अनुज जी जो आपने इतना समय निकाला इस पॉडकास्ट के लिए और आशा करता हूं कि आप सभी को भी बहुत ढेर सारी जानकारी जो आपको नहीं पता रही होंगी पता चली होंगी क्योंकि मुझे भी बहुत कुछ नया जानने को मिला है इसी के साथ इस एपिसोड को यही समाप्त करेंगे और धन्यवाद थैंक य [संगीत]

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